इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया। उसके बाद बदले की कार्रवाई शुरू हुई। पहले चुन-चुनकर विपक्षी नेताओं और पत्रकारों को जेल में डाला गया। फिर जजों का नंबर आया। इसके बाद उद्योगपतियों और राज परिवार निशाने पर आए। इमरजेंसी के दिनों में इंदिरा सरकार अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए जिस हथियार का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही थी, वो थी इनकम टैक्स की रेड।
इंदिरा गांधी और महारानी गायत्री देवी की दुश्मनी
आपातकाल के दौरान दो राज परिवारों पर रेड का किस्सा मशहूर है। पहला जयपुर राजघराना और दूसरा ग्वालियर का सिंधिया राजघराना। वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने अपनी किताब ‘दरबार’ में इमरजेंसी के दौरान रेड पर विस्तार से लिखा है। तवलीन लिखती है कि इमरजेंसी के दौरान इंदिरा सरकार ने जहां-जहां रेड डलवाई, उसमें सबसे मशहूर किस्सा जयपुर के राज परिवार का है। इंदिरा गांधी जयपुर की राजमाता महारानी गायत्री देवी को नापसंद करती थीं।
राजमाता गायत्री देवी 60 के दशक की शुरुआत में ही चुनाव लड़ चुकी थीं और इतना वोट हासिल किया था कि गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हो गया था। हालांकि बाद में उनकी राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं रही और सियासत से दूरी बना ली। ऐसे में समझ में नहीं आता है कि इंदिरा गांधी को आखिर राजमाता से कैसा खतरा था।
तवलीन सिंह लिखती हैं कि उन दिनों दूरदर्शन पर पूरी तरह केंद्र सरकार का कब्जा था और बॉलीवुड में भी एक तरीके से लेफ़्टिस्ट विचारधारा के लेखक हावी थे। जो अपनी पटकथा में राजा-रजवाड़ों और अमीरों को एक तरीके से आम जनता का दुश्मन बताया करते। इमरजेंसी में जब इंदिरा सरकार ने जयपुर राज-परिवार पर रेड डलवाई तो ऐसे मिथ और पुख़्ता हुए।
जब 800 किलो सोने पर पड़ा अफसर का पैर..
इनकम टैक्स के दर्जनों अफसर जयपुर राजघराने पर रेड डालने पहुंच गए। कई दिन सारे महल की खास छानते रहे। सब कुछ पलट डाला, लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा। लेकिन आखिरी दिन मोती डूंगरी किले में रेड के दौरान अप्रत्याशित हुआ। तवलीन सिंह लिखती हैं कि इनकम टैक्स की टीम महाराजा जयपुर के महल में छापेमारी करती रही, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। आखिरी दिन टीम मोती डूंगरी पहुंची, वहां भी उन्हें कुछ अवैध नहीं मिला। टीम को जो अफसर लीड कर रहा था उसने झल्लाहट में एक कोठरी के फर्श पर अपना पैर पटका और कुछ आवाज महसूस की। नीचे खुदाई हुई तो आंखें फटी रह गईं। मोती डूंगरी किले से 800 किलो सोना मिला था।
तवलीन सिंह लिखती कि किसी को भी नहीं पता था कि वहां कोई खजाना दबा हुआ है। यहां तक कि राज परिवार को भी नहीं। अगर राज परिवार को उस खजाने के बारे में पता होता तो क्या रेड के बावजूद वहां छोड़ देते?
वसुंधरा के घर पर संजय गांधी के दोस्त ने कर लिया कब्जा
जयपुर के बाद नंबर आया ग्वालियर के सिंधिया राजघराने का। उन दिनों सिंधिया परिवार के बस दो सदस्य, वसुंधरा राजे सिंधिया और उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया ही बाहर थीं। उनके भाई माधवराव सिंधिया पहले ही नेपाल चले गए थे, जबकि मां राजमाता विजयराजे सिंधिया को जेल में डाल दिया गया था। इनकम टैक्स की टीम पहले सिंधिया परिवार के दिल्ली स्थित घर पर पहुंची। वहां वसुंधरा राजे मिलीं। इनकम टैक्स के अफसरों ने घर से सारे फर्नीचर, कुर्सियां और दूसरी चीजें निकाल कर बाहर फेंक दी
रातों-रात बेघर हो गई थीं वसुंधरा
तवलीन लिखती हैं कि बाद में वसुंधरा ने मुझसे बताया था कि इनकम टैक्स की टीम ने उनसे कहा कि बाहर फेंके गए सामान में से जो चाहे रख सकती हैं, लेकिन घर फौरन खाली करना होगा। उस घर पर संजय गांधी के करीबी दोस्त नवीन चावला ने कब्जा जमा लिया और वसुंधरा रातों-रात बेघर हो गईं। बाद में उन्हें अपनी एक पारिवारिक फैक्ट्री (जो बंद हो गई थी) के परिसर में मैनेजर के घर शिफ्ट होना पड़ा।