हरियाणा में हिंसा के बाद मेवात के मेव मुसलमान चर्चा में हैं। मेव मुसलमानों (Meo Muslim) का लंबा इतिहास रहा है…मुगल आक्रांता बाबर से जंग से लेकर 1857 की क्रांति तक। जब भारत का बंटवारा हुआ तो मेव मुसलमानों को दिल्ली के तीन कैंपों में रखा गया। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेव मुस्लिमों को लेकर चिंतित हो गए।

उन्होंने 5 सितंबर 1947 को गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल को चिट्ठी लिखकर मेव मुसलमानों के प्रति आगाह किया था। सरदार पटेल ने इस चिट्ठी का बिंदुवार जवाब दिया था। इसका ब्यौरा ”सेलेक्टेड कॉरेस्पोंडेंस ऑफ सरदार पटेल 1945-50” (Selected Correspondence Of Sardar Patel 1945-50) के चौथे खंड में दर्ज है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने क्या लिखा था?

डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी चिट्ठी में लिखते हैं, ‘पिछली रात करीब 500 मेव मुसलमान करोल बाग की गलियों में इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन करने लगे। सेना के जवान पहुंचे तब वे तितर-बितर हुए। हालात बहुत खराब हैं। उस इलाके में रहने वाले गैर मुसलमान, जो अल्पसंख्यक हैं उन्हें हमले का डर सता रहा है। मुझे आज के अखबार से पता लगा कि मेव मुसलमानों को पश्चिमी पंजाब ट्रांसफर करने की तैयारी चल रही है। यह काम जितनी जल्दी हो जाए, उतना अच्छा है। लेकिन तब तक इन्हें जामा मस्जिद या किसी ऐसे कैंप जो हिंदू बस्तियों से दूर हों, वहां ट्रांसफर कर दिया जाए और कड़ी निगरानी रखी जाए। अगर एक बार शहर में समस्या शुरू हो गई तो संभालना मुश्किल होगा’।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी चिट्ठी में आगे लिखते हैं, ”मेरे संज्ञान में एक-दो चीजें और लाई गई हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि इनमें कितनी सच्चाई है। लेकिन अगर जरा सी भी सच्चाई है तो फौरन कदम उठाए जाने चाहिए। मेरी समझ है कि दिल्ली में तमाम पुलिस स्टेशन के इंचार्ज मुसलमान हैं। इनकी संख्या 70 से 80 बताई जा रही है। ऐसी स्थिति में हिंदुओं का डर जायज है कि यदि कोई हमला होता है तो इनसे सुरक्षा नहीं मिलेगी। यहां तक कि हथियारों की बिक्री वालों करने वाले कई दुकानों के मालिक भी मुसलमान हैं। मेरी जानकारी में कम से कम ऐसे तीन दुकानें हैं। इसका भी संज्ञान लेना चाहिए।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सरदार पटेल को लिखी चिट्ठी। सोर्स- Selected Correspondence Of Sardar Patel 1945-50, Vol. 4

राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद आगे लिखते हैं, ”शहर में रहने वाले हिंदुओं की तरफ से मांग है कि उन्हें आत्मरक्षा के लिए हथियार मुहैया कराए जाएं, खासकर मेव मुसलमान जैसे शरणार्थियों से सुरक्षा के लिए। मैं यह आपके ऊपर छोड़ता हूं। जो भी किया जाना है, जल्दी करना चाहिए ताकि कोई समस्या ना खड़ी हो जाए।

सरदार पटेल का जवाब

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 5 सितंबर को ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद की चिट्ठी का बिंदुवार जवाब दिया। पटेल लिखते हैं कि ‘मैं आपको दिल्ली की डेली रिपोर्ट की 4 सितंबर 1947 की कॉपी भेज रहा हूं, जिससे आपको एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय पर हमले से जुड़े तथ्य पता लगेंगे। आप देखेंगे कि ज्यादातर हमले एकतरफा हो रहे हैं और हमला करने वाले या तो हिंदू या सिख हैं। ऐसे में यह तथ्य हिंदुओं के मन में कथित डर को खारिज करने के लिए पर्याप्त है’।

वल्लभभाई पटेल का डॉ. राजेंद्र प्रसाद को जवाब। सोर्स- Selected Correspondence Of Sardar Patel 1945-50, Vol. 4

पटेल आगे लिखते हैं, ‘हालांकि जिन तीन कैंप में मेव मुसलमानों को रखा गया है, वहां लॉ एंड आर्डर पर संभावित खतरा, साफ-सफाई और शहर की सुरक्षा की चिंता है। इसीलिए हम मेव मुसलमानों को आर्मी ट्रक से पश्चिम पंजाब ट्रांसफर करने की व्यवस्था कर रहे हैं। ये ट्रक ईस्ट और वेस्ट पंजाब से शरणार्थियों को निकालने जा रहे हैं। पटेल आगे लिखते हैं कि हालांकि इस परिस्थिति में करोल बाग के कैंप से मेव मुसलमानों को जामा मस्जिद के कैंप में ट्रांसफर करना संभव नहीं होगा, क्योंकि जामा मस्जिद का कैंप पहले ही मेवों से भरा पड़ा है और हालात बहुत अच्छे नहीं है। भीड़ और गंदगी की वजह से पहले से ही खतरा मंडरा रहा है। ज्यादा भीड़ बढ़ाने का मतलब खतरे को दावत देना होगा।

मुस्लिम पुलिसकर्मियों पर जवाब

सरदार पटेल मुस्लिम पुलिसकर्मियों के मुद्द पर जवाब देते हुए लिखते हैं, ”दिल्ली पुलिस में बड़े पैमाने पर मुस्लिम पुलिस अफसर हैं लेकिन उन्हें हटाना मुश्किल है। क्योंकि वह परमानेंट सरकारी कर्मचारी हैं और यदि उन्हें बिना किसी चार्ज के हटा दिया गया तो हर्जाना देना पड़ेगा। हमने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया था कि चीफ कमिश्नर के प्रांतों के कर्मचारियों की अदला-बदली कर सकते हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई तो मामला वहीं खत्म हो गया। इसके बावजूद हम पुलिस विभाग में ऊपर की रैंक में सभी समुदाय का बराबर प्रतिनिधित्व बनाने में सफल रहे हैं। जहां तक निचली रैंक की बात है, वहां स्थिति तोड़ी कठिन है, लेकिन वहां भी चीजें ठीक करने की कोशिश की जा रही है।

हथियार लाइसेंस पर क्या जवाब?

सरदार पटेल आगे लिखते हैं कि जहां तक हथियार लाइसेंस की बात है, हमने पहले ही दो-तीन हिंदू डीलर्स को हथियार बेचने के लाइसेंस दिए हैं। इसके अलावा पिछले 6-8 महीने से गैर मुस्लिमों को भी बिना किसी भेदभाव के हथियार के लाइसेंस दिए जा रहे हैं। लेकिन अभी जो हालात हैं इस स्थिति में कोई और लिबरल पॉलिसी बनाना मुश्किल है।