चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की गिनती बेहद अनुशासित जजों में होती हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समय के बेहद पाबंद हैं और उन्हें लेट-लतीफी पसंद नहीं है। खुद आगे बढ़कर इसकी मिसाल पेश करते हैं। CJI चंद्रचूड़ जरा सा लेट होते हैं, तो फौरन माफी मांगने से भी नहीं हिचकते। ऐसा ही एक वाकया कुछ महीने पहले का है।

The Week की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन जस्टिस चंद्रचूड़ को कोर्ट रूम में पहुंचने में 10 मिनट देरी हो गई। जब वह पहुंचे तो सबसे पहले सॉरी बोला। सीजेआई ने कहा, ‘क्षमा कीजियेगा, मैं साथी जजों के साथ कुछ डिस्कस कर रहा था… इसलिए लेट हो गया’। सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के लिए इतनी सी देरी पर माफी मांगना कोई सामान्य बात नहीं है, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ अक्सर ऐसा करते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस प्रदीप कुमार सिंह जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को याद करते हुए कहते हैं कि वो बेहद अनुशासित हैं और कानून का सख्ती से पालन करते हैं। दूसरों से ऐसी ही उम्मीग भी रखते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के दूसरे साथी जज भी कहते हैं कि उन्हें सच्चाई कहने से जरा सी गुरेज नहीं होती है और मुस्कुराते हुए सच कह देते हैं। यही उनकी खासियत है।

समय बचाने के लिए छुट्टियों में भी करते हैं काम

जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज सप्ताह के सातों दिन काम करते हैं। पिछले दिनों इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा कि हम कोर्ट की टाइमिंग यानी सुबह 10:30 से 4:00 तक जो काम करते हैंस वह हमारे काम का महज छोटा सा हिस्सा है। हमें अगले दिन जिन केसेज की सुनवाई करनी होती है, उनकी तैयारी में भी इतना ही वक्त लगता है। तमाम मामलों के फैसले रिजर्व होते हैं, जिसे शनिवार को तैयार करते हैं और फिर रविवार को सोमवार के मामलों के लिए तैयारी करनी होती है।

इसी दौरान सीजेआई ने बताया था कि किस तरीके से वह पिछले विंटर वेकेशन के दौरान भी काम कर रहे थे। सीजेआई चंद्रचूड़ कहते हैं कि तमाम मामले ऐसे थे, जिनपर फैसला देना था। ऐसे में समय बचाने के लिए मैं छुट्टी के दौरान भी अपने जुडिशल क्लर्क के साथ जजमेंट पर काम कर रहा था।

सादगी भरा जीवन जीते हैं सीजेआई चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को दिखावा पसंद नहीं है। इससे जुड़ा एक वाकया उनके साथ काम कर चुकीं एडवोकेट मानसी चौधरी अपने ब्लॉग में लिखती हैं। साल 2019 में सीजेआई चंद्रचूड़ के 60वें जन्मदिन के मौके पर लिखे ब्लॉग में बताती हैं कि एक बार वह अपने सहकर्मियों को दिल्ली के एक मशहूर रेस्टोरेंट में खाने पर ले गए। वहां साधारण आदमी की तरह लाइन में अपनी बारी का इंतजार किया। वह लिखती हैं जस्टिस चंद्रचूड़ चाहते तो एक फोन पर टेबल बुक करा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

बकौल मानसी चौधरी, जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) अपने सहकर्मियों का पूरा ध्यान रखते हैं और छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते हैं। मानसी लिखती हैं कि जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ काम करते हुए एक दिन उन्हें बुखार आया। तबीयत इतनी बिगड़ी कि ऑफिस में ही उल्टी होने लगी। जस्टिस चंद्रचूड़ को जब पता लगा तो फौरन दवाई दी और अपने गेस्ट रूम में आराम करने के लिए ले गए। वह लिखती हैं कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से सिर्फ कानून ही नहीं दया और उदारता भी सीखी जा सकती है।