वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को 137 साल पुरानी कांग्रेस की कमान मिल चुकी है। पार्टी अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में 8 गुना अधिक वोट हासिल कर खड़गे ने अपने प्रतिद्वंदी शशि थरूर को हरा दिया है।

50 साल के राजनीतिक अनुभव से लैस 80 वर्षीय खड़गे पर कांग्रेस के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी है। पार्टी के भीतर तो नए मुखिया को लेकर उम्मीद मिश्रित उत्साह है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों को इस बदलाव से किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद कम है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खड़गे के चुनावी राजनीति के तजुर्बे को रेखांकित करते हुए कहा है, ”उन्होंने एक जनप्रतिनिधि के रूप में और राज्य तथा केंद्र में मंत्री के रूप में विशिष्टता हासिल की है। वह नेहरू, अंबेडकर, इंदिरा गांधी और देवराज उर्स से प्रेरित सामाजिक सशक्तिकरण के प्रतीक हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में उनकी जीत उन ताकतों की जीत है जो वैचारिक प्रतिबद्धता को व्यक्तिगत महत्व से ऊपर रखते हैं। वह लाइमलाइट में रहने की बजाए हमेशा कांग्रेस पार्टी के हितों के लिए आत्म-प्रभावी ढंग से काम करने वाले संगठन के सबसे उत्कृष्ट व्यक्ति रहे हैं। उन्हें सभी कांग्रेसियों की शुभकामनाएं।”

‘केवल नेता बदलने से पार्टी में नहीं आएगी जान’

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने लेख में मनोज सीजी ने लेबर पार्टी के संदर्भ में कहे पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के कथन का जिक्र किया है। मनोज लिखते हैं, ब्लेयर ने पिछले साल जो कहा वह शायद खड़गे और कांग्रेस के लिए भी सच है: ”केवल नेता बदलने से पार्टी पुनर्जीवित नहीं होगी। इसके लिए पूर्ण विघटन और पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। इससे कम में कुछ नहीं हो पाएगा।”

खड़गे की हालिया असफलता

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने खड़गे की कुछ हालिया असफलताओं को रेखांकित करते हुए बीबीसी को बताया है कि ”पंजाब में खड़गे का बहुत दखल था। चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने में खड़गे की काफी भूमिका थी। पंजाब में कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ।

कांग्रेस पार्टी के नए मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे की पूरी कहानी जानने के लिए देखें वीडियो:

हाल ही में राजस्थान में वो पर्यवेक्षक बनकर गए थे लेकिन वो ना तो प्रदेश अध्यक्ष को और ना ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेर पाए कि कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग हो पाए। फिर भी कांग्रेस को और गांधी परिवार को लगता है कि खड़गे कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं और कांग्रेस को दुरुस्त कर सकते हैं तो इस राजनीतिक आकलन पर कई सवाल खड़े होते हैं।”