दलित IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी पूर्व सांसद और विधायक आनंद मोहन अब जेल से बाहर हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन कर 27 लोगों के साथ बाहुबली आनंद मोहन को रिहा करने का आदेश दिया था।

बिहार सरकार द्वारा रिहाई की अधिसूचना जारी करने के एक दिन बाद गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की पत्नी जी उमा कृष्णैया (G Uma Krishnaiah) ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात की। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार हत्या के दोषी व्यक्ति को रिहा करके एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं। यह अपराधियों को सरकारी अधिकारियों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करेगा क्योंकि वे जानते हैं कि वे आसानी से जेल से बाहर निकल सकते हैं। महज चंद राजपूत वोटों के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया है। राजपूत समुदाय को इस पर विचार करना चाहिए। क्या वे चाहते हैं कि आनंद मोहन जैसा अपराधी राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व करे।”

‘बिहार में तब भी माफिया राज था, अब भी है’

करीब तीन दशक पहले अपने पति को खो चुकीं 60 वर्षीय उमा कृष्णैया आज भी अपने पति का जिक्र करते हुए रो पड़ती हैं। आनंद मोहन की रिहाई से दुख को जाहिर करते हुए उमा बताती हैं कि उन्हें आनंद मोहन की (रिहाई) बारे में पता नहीं था। किसी ने उन्हें बताया तब पता चला। इस बात से उनका दिल टूट गया। बकौल उमा उनके मन की शांति छिन गई है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वह कहती हैं, “यह मेरे बारे (आनंद मोहन की रिहाई को लेकर चिंता) में नहीं है। मैंने अपना जीवन जी लिया है। यदि स्वास्थ्य ठीक रहता है, तो मैं कुछ और वर्ष जीवित रह सकता हूं। लेकिन यह उन सभी सिविल सेवकों और सरकारी अधिकारियों और आम लोगों के बारे में है जो अपराधियों का खामियाजा भुगतेंगे। क्योंकि अब अपराधी जैसा चाहें वैसा करेंगे क्योंकि उन्हें सजा का डर नहीं है। यह केवल गुंडों और ठगों को कानून अपने हाथ में लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा, इसलिए बिहार में माफिया का राज है। तब भी वही था, अब भी वही है।”

प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

दिवंगत IAS अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी चाहती हैं कि प्रधानमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें, नीतीश कुमार पर इस फैसले को वापस लेने के लिए दवाब बनाएं।

सरकार पर सवाल उठाते हुए वह कहती हैं, “मेरे पति एक आईएएस अधिकारी थे और उनके साथ न्याय हो, यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। जब आनंद मोहन की सजा को मृत्युदंड से आजीवन कारावास में बदला गया, तब भी मैं खुश नहीं थी। अब मुझे इस सच्चाई से जूझना पड़ रहा है कि हत्यारे पूरी सजा भुगते बिना ही जेल से रिहा किए जा रहे हैं। नीतीश कुमार कुछ सीटें जीत सकते हैं या सरकार भी बना सकते हैं, लेकिन क्या जनता ऐसे राजनेताओं और ऐसी सरकार पर विश्वास करेगी?”

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पति की हत्या के बाद उमा हैदराबाद चली गई थीं। (वर्तमान तस्वीर/ Express photo)

‘हम सदमे में थे’

5 दिसंबर, 1994 को जब IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या हुई, तब उमा 30 वर्ष की थीं। पति की हत्या के दो दिन बाद वह हैदराबाद चली गई थीं। उन्हें बेगमपेट में ऑफिसर्स ट्रांजिट हॉस्टल में एक फ्लैट आवंटित कर दिया गया। उस समय उनकी एक बेटी सात साल और दूसरी पांच साल की थी। उमा उस वक्त को याद करते हुए बताती हैं, “हम सदमे में थे और डरे हुए थे।”

पति की मौत के बाद उमा बेगमपेट स्थित गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज फॉर वीमेन में बतौर लेक्चरर काम करने लगीं। वह 2017 में सेवानिवृत्त हुईं। इस बीच उन्हें जुबली हिल्स के प्रकाशन नगर में जमीन आवंटित की गई, जहां उन्होंने एक घर बनाया है। उनकी बड़ी बेटी निहारिका एक बैंक मैनेजर हैं, वहीं छोटी बेटी पद्मा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

आगे की तैयारी

उमा इंडियन एक्सप्रेस से कहती हैं, “मुझे नहीं पता कि हमारे पास फिर से कानूनी प्रक्रिया से गुजरने का धैर्य है या नहीं। मेरे पति के 1985 बैच के अधिकारी मेरे संपर्क में हैं। वे कह रहे हैं कि हमें बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। हम इस पर चर्चा कर रहे हैं। मैं नहीं चाहती कि उन्हें जेल से रिहा किया जाए। उन्हें जीवन भर जेल में रहना चाहिए।”