पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल करने का अनुरोध किया है। उनकी इस मांग ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने बीजेपी को ‘एंटी-बंगाल’ पार्टी कहा है। भाजपा नेताओं ने पहले भी उत्तर बंगाल के जिलों को एक अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनाने की मांग उठाई है।

बुधवार को जारी एक बयान में सुकांत मजूमदार ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और एक प्रेजेंटेशन दिखाकर उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच समानताओं को हाइलाइट किया। मैंने उनसे अनुरोध किया कि उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल किया जाए।”

बंगाल भाजपा अध्यक्ष ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री इस प्रस्ताव पर समय पर निर्णय लेंगे। अगर उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल किया जाता है तो केंद्र सरकार की योजनाओं से इसका लाभ होगा। वहां अधिक विकास होगा। मुझे लगता है कि राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी और वह सहयोग करेगी।”

उसी दिन राज्य सभा में भाजपा सांसद नागेंद्र रे (अनंत महाराज) ने उत्तर बंगाल से एक अलग कूच बिहार राज्य की मांग की। नागेंद्र रे ने कहा, “स्वतंत्रता के बाद से कूच बिहार के लोगों के साथ जो अन्याय किया गया है, उसे सुधारना चाहिए।”

भाजपा ने पहले भी की है बंगाल के लिए ऐसी मांग

यह पहली बार नहीं है कि पश्चिम बंगाल के भाजपा नेताओं ने ऐसी मांग की है और इसे नरेंद्र मोदी सरकार के सामने उठाया है। 2021 में तत्कालीन अलीपुरद्वार सांसद जॉन बरला ने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर बंगाल से एक अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की मांग उठाई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सालों से राज्य सरकारों ने इस क्षेत्र के लोगों का अनादर किया है, उन पर वह ध्यान नहीं दिया गया जो उन्हें देना चाहिए था।

उसी साल हीटवेव में राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में जल्दी गर्मी की छुट्टियों के आदेश का उदाहरण देते हुए तत्कालीन सिलीगुड़ी विधायक शंकर घोष ने अलग राज्य की स्थापना की मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि उत्तर बंगाल में मौसम सुहावना हो रहा है और इस क्षेत्र में स्कूल बंद नहीं होने चाहिए।

दार्जिलिंग को पश्चिम बंगाल से अलग करने की मांग

इसी बीच, कुर्सीयोंग विधायक बिश्नु प्रसाद शर्मा ने दार्जिलिंग हिल्स को पश्चिम बंगाल से अलग करने की मांग की थी। भाजपा सांसद सौमित्र खान ने पश्चिम बंगाल के पश्चिमी हिस्से में जांगलमहल क्षेत्र के लिए अलग राज्य की मांग उठाई थी। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जांगलमहल की 6 सीटों में से 5 जीती थी।

2022 में, माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी और डबग्राम-फुलबाड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के भाजपा विधायक आनंदमय बर्मन और शिखा चटर्जी ने उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठाई थी।

भाजपा अब इस मांग को क्यों उठा रही?

दरअसल, तमाम प्रचार-प्रसार के बावजूद भाजपा 2021 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल जीतने में विफल रही थी। राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 77 सीटें हासिल की थी। चुनाव में हार के बाद भाजपा नेताओं ने उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग को समर्थन देना शुरू किया ताकि वे लोकसभा चुनावों में कुछ कमाल कर सके।

हालांकि, आम चुनावों में, भाजपा न केवल अपने 30 लोकसभा सीटों का लक्ष्य हासिल करने में फेल हुई बल्कि उसकी सीट संख्या 12 तक गिर गई। हालांकि, उत्तर बंगाल में पार्टी ने अपनी पोजीशन बनाए रखी। पार्टी की 12 सीटों में से 6 इस क्षेत्र से हैं, जो 2019 में जीती गयी सीटों से एक कम है। मजूमदार और रे की टिप्पणियों से लगता है कि पार्टी के नेताओं का यही मकसद है कि उत्तर बंगाल को राज्य के अन्य हिस्सों से अलग करके इस क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा बनाए रखें।

भाजपा ने सुकांत के बयान से खुद को किया अलग

हालांकि, भाजपा ने आधिकारिक रूप से अपने राज्य अध्यक्ष की मांग से खुद को अलग किया। पार्टी ने कहा कि वह राज्य को विभाजित करने में विश्वास नहीं रखती। पार्टी के वक्ता और राज्यसभा सांसद समीक भट्टाचार्य ने कहा, “भाजपा का मानना है कि बंगाल का समग्र विकास राज्य की भौगोलिक सीमाओं को बनाए रखकर संभव है। हम राज्य को विभाजित करने में विश्वास नहीं रखते। सभी राजनीतिक पार्टियां वर्षों से उत्तर बंगाल के विकास के बारे में बोल रही हैं लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने उत्तर बंगाल के लोगों के लिए पर्याप्त बजट आवंटन नहीं किया है।”

बंगाल को विभाजित करने की साजिश- ममता बनर्जी

शनिवार को NITI Aayog की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के नेताओं के बयानों पर निशाना साधा, “मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेताओं तक वे बंगाल को विभाजित करने की साजिश कर रहे हैं। एक ओर अर्थव्यवस्थात्मक ब्लॉकेज, दूसरी ओर भौगोलिक और राजनीतिक ब्लॉकेज है। वे देश को टुकड़ों में बाँटने की साजिश रच रहे हैं। वे चाहते हैं कि बंगाल, बिहार, झारखंड और असम को विभाजित किया जाए।”

टीएमसी प्रमुख ने आगे कहा,”जब संसद चल रही है तो एक मंत्री बंगाल को विभाजित करने के बारे में बयान दे रहा है और अब पार्टी के सदस्य बिहार, झारखंड, असम और बंगाल को विभाजित करने के लिए अलग-अलग प्रकार के बयान दे रहे हैं। हम इस दृष्टिकोण की निंदा करते हैं। बंगाल को विभाजित करना मतलब भारत को विभाजित करना। हम इसका समर्थन नहीं करते।”

क्या बोले TMC नेता?

TMC के सांसद सुखेन्दु शेखर रे ने भी भाजपा अध्यक्ष के बयान की आलोचना की। अपने बयान में उन्होंने कहा, “मजूमदार ने संविधान के तहत ली गई शपथ का उल्लंघन किया है। उत्तर बंगाल पश्चिम बंगाल का अभिन्न हिस्सा है। प्रधानमंत्री को भी ऐसी असंवैधानिक और अवैध मांगों को स्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं है। यह भाजपा की शर्मनाक हार के बाद से हो रहे सभी चुनावों में पश्चिम बंगाल को विभाजित करने की योजना है।”