लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल में भी निराशाजनक रहे। भाजपा को पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम सीटें मिली हैं और वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) से हार गई। जिसके बाद बंगाल बीजेपी में दरारें भी सामने आ रही है। हार के बाद दो प्रमुख नेताओं ने राज्य नेतृत्व की आलोचना की है।

42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में इस बार बीजेपी 12 सीटें जीत पायी है वहीं, टीएमसी ने 29 सीटों पर कब्जा जमाया है। पिछले आम चुनाव में भाजपा को 18 और टीएमसी को 22 सीटें मिली थीं।भाजपा के बिष्णुपुर सांसद सौमित्र खान ने अपनी पूर्व पत्नी और टीएमसी उम्मीदवार सुजाता मंडल को 5,567 वोटों से हराया है।

सौमित्र ने बुधवार को राज्य नेतृत्व पर हमला बोलते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “अगर यह आरएसएस और केंद्रीय भाजपा नेतृत्व का प्रयास नहीं होता तो हम उतनी सीटें भी नहीं जीत पाते जितनी हमने जीतीं। पार्टी में ऐसे कोई अनुभवी नेता नहीं हैं जिन्होंने चुनाव में सफलता हासिल की हो। नेताओं में संगठनात्मक ज्ञान का भी अभाव है।”

सौमित्र ने लगाया भाजपा नेताओं पर टीएमसी से समझौता करने का आरोप

सौमित्र खान ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के एक वर्ग का टीएमसी के साथ समझौता था। खान ने कहा, “हो सकता है कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने टीएमसी के साथ समझौता किया हो। अगर ऐसा नहीं होता तो हम बंगाल में ज्यादा सीटें जीतते। अनुभवी नेता ही राज्य इकाई को चला सकते हैं। यह सीट (बिष्णुपुर) 1 लाख वोटों से जीतनी चाहिए थी। अगर मैं टीएमसी के साथ होता तो यह सीट दो लाख से अधिक वोटों से जीतता।”

निशाने पर सुवेंदु अधिकारी

पूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के बर्धमान-दुर्गापुर उम्मीदवार दिलीप घोष, जो टीएमसी के कीर्ति आजाद से 1.38 लाख वोटों से हार गए उन्होंने भी राज्य नेतृत्व पर निशाना साधा। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी का नाम लिए बिना घोष ने बुधवार को कहा, “षड्यंत्र और चुगली करना राजनीति का हिस्सा है। मैं उन्हें इसी तरह लेता हूं। इसके बावजूद मैंने काफी मेहनत की लेकिन सफलता नहीं मिली। राजनीति में हर कोई आपको उकसाने के लिए घूमता है। 2021 तक पार्टी तेज गति से आगे बढ़ रही थी जो उसके बाद कहीं अटक गई। हम 2021 तक जिस गति से हम चल रहे थे उस गति से आगे नहीं बढ़ सके। इस साल हमें बहुत उम्मीदें थीं लेकिन प्रदर्शन नहीं कर सके। कुछ तो गैप रहा होगा। हमें इसकी जांच करनी चाहिए। हर बात पर चर्चा होनी चाहिए।”

दिलीप घोष की स्थिति कमजोर करने के आरोप

दिलीप घोष को 2021 में राज्य भाजपा अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा उन्हें उनकी मेदिनीपुर सीट से बर्धमान-दुर्गापुर में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसे टीएमसी ने इस चुनाव में जीत लिया। कुछ बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने आरोप लगाया कि घोष की स्थिति को कमजोर करने के लिए सुवेंदु ने पार्टी के फैसले को प्रभावित किया था।

घोष ने गुरुवार को भी इस मुद्दे पर बात करते हुए संवाददाताओं से कहा, ”संगठन कमजोर था। मजदूर अपने घरों से बाहर नहीं आ सके। बूथ स्तर के संगठन को मजबूत करने के लिए मैं एक साल से अधिक समय तक मेदिनीपुर में रहा। मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के हर गांव का दौरा किया और वहां केंद्र सरकार की कई पहलों को लागू करने में मदद की। लोग काम से खुश थे लेकिन पार्टी ने अलग फैसला लिया लेकिन आज वह फैसला गलत साबित हुआ है।”

सोशल मीडिया पर दिलीप ने साधा निशाना

दिलीप ने कहा कि एक समर्पित भाजपा कार्यकर्ता होने और आरएसएस पृष्ठभूमि से आने के कारण, उन्होंने बर्धमान-दुर्गापुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हुए भी इस फैसले को स्वीकार कर लिया है। घोष ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक कोट पोस्ट किया, “एक बात ध्यान रखें, पार्टी के एक भी पुराने कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। अगर आवश्यक हो तो 10 नए कार्यकर्ता अलग कर दिए जाएं क्योंकि पुराने कार्यकर्ता ही हमारी जीत की गारंटी हैं। नए कार्यकर्ताओं पर बहुत जल्दी भरोसा करना सही नहीं है।”

पश्चिम बंगाल में पार्टी की हार के बाद राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली। मजूमदार ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ”प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मुझे इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। शायद मैं हर फैसला नहीं ले पाता। किसी ने निर्णय लिया था लेकिन यह जिम्मेदारी मुझे ही लेनी होगी।” राज्य भाजपा प्रमुख ने खुद उत्तरी बंगाल में अपनी बालुरघाट सीट 10,386 वोटों से जीती।

34 उम्मीदवारों को चुनने में सुवेन्दु की थी भूमिका

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि राज्य के 42 निर्वाचन क्षेत्रों में से 34 उम्मीदवारों को चुनने में सुवेन्दु अधिकारी ने भूमिका निभाई थी। उनमें से सात जीते। हालांकि, उनके खेमे के सदस्यों ने पार्टी के भीतर से हो रही आलोचना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि बंगाल में आरएसएस नेतृत्व भाजपा में सुवेन्दु अधिकारी की भूमिका से खुश नहीं है और चाहता है कि घोष मेदिनीपुर विधानसभा उपचुनाव लड़ें क्योंकि टीएमसी के मेदिनीपुर सांसद जून मालिया को अब विधानसभा सीट खाली करनी होगी। बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “अगर वह जीतते हैं तो दिलीप घोष को सुवेंदु अधिकारी की जगह राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया जा सकता है। यह अभी भी बहुत शुरुआती चरण में है। किसी भी बात पर गंभीरता से चर्चा नहीं की गई है।”

बंगाल भाजपा में अंदरूनी कलह

बीजेपी के अंदरूनी कलह पर टीएमसी के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘चुनाव के दौरान भविष्यवाणी की गई थी कि पश्चिम बंगाल बीजेपी के लिए ऐसी स्थिति पैदा होगी। भाजपा के उम्मीदवारों की सूची मुख्य रूप से सुवेंदु अधिकारी द्वारा नियंत्रित और बनाई गई थी। उनके द्वारा लगभग 30 उम्मीदवारों को चुना गया या अंतिम रूप दिया गया। अब जब नतीजे विपरीत आए हैं तो दिलीप घोष, सौमित्र खान और सुकांत मजूमदार अपनी शिकायतें लेकर सामने आए हैं। उनका मेन टारगेट सुवेंदु अधिकारी हैं। बंगाल में भाजपा की हार के लिए वह पूरी तरह जिम्मेदार हैं।’