आखिरकार वह हो गया जिसकी काफी दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी। ओलंपिक में पदक लाने से चूक गईं पहलवान विनेश फोगाट और एक और ओलंपियन बजरंग पूनिया आधिकारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए। इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि विनेश फोगाट को कांग्रेस जींद जिले की जुलाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा सकती है। जुलाना विनेश फोगाट की ससुराल भी है।

बजंरग को कांग्रेस स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव प्रचार में उतारेगी।

दीपेंद्र हुड्डा ने एयरपोर्ट पर किया था रिसीव

विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, इसके संकेत उसी दिन मिल गए थे जब विनेश फोगाट ओलंपिक से लौटकर दिल्ली आई थीं और उनके स्वागत के लिए रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा एयरपोर्ट पहुंचे थे।

एयरपोर्ट से जब विनेश फोगाट का काफिला आगे बढ़ा था तो जीप में दीपेंद्र हुड्डा, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया साथ-साथ बैठे थे ।

इससे पहले जब महिला पहलवानों ने बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था तब भी इस मामले में हरियाणा के अंदर पहलवानों के पक्ष में कांग्रेस ने माहौल बनाने की कोशिश की थी।

हुड्डा ने कहा था- विनेश को भेजें राज्यसभा

यहां यह भी याद दिलाना होगा कि जब विनेश फोगाट लगभग 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से ओलंपिक में फाइनल नहीं खेल पाई थीं तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जोर-शोर से इस बात की मांग की थी कि विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजा जाए। उस वक्त भी भूपेंद्र हुड्डा के इस बयान से साफ था कि कांग्रेस हरियाणा के विधानसभा चुनाव में विनेश फोगाट की लोकप्रियता का फायदा उठा सकती है।

ओलंपिक के फाइनल में नहीं खेल पाने के बाद विनेश फोगाट के पक्ष में हरियाणा और देश के कई इलाकों में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी। विनेश फोगाट जब दिल्ली लौटी थीं और उनके आंसू छलक पड़े थे तो टीवी से लेकर अखबारों और सोशल मीडिया में भी आई उनकी तस्वीरों के बाद इस लहर में इजाफा ही हुआ था।

विनेश फोगाट जब बीते दिनों शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने में पहुंची थीं और जींद में उनका एक सामाजिक कार्यक्रम में स्वागत किया गया था, तब भी इस बात के स्पष्ट संकेत मिल चुके थे कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं।

Haryana assembly election 2024 Haryana BJP candidates list 2024
लगातार तीसरी बार सरकार बना पाएगी बीजेपी? (Source-FB)

जाट बनाम गैर जाट का समीकरण

हरियाणा की पूरी राजनीति जाट बनाम गैर जाट के समीकरण पर चलती है। हरियाणा में पिछले 10 साल में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उसने गैर जाट नेताओं क्रमशः मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जबकि 2005 से 2014 तक जब कांग्रेस की सरकार हरियाणा में थी तो उसने जाट बिरादरी से आने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था।

किस जाति की कितनी आबादी

राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में जाट समाज की आबादी 22% है। दलित समुदाय की आबादी 21%, ओबीसी की आबादी 30%, ब्राह्मण समुदाय की आबादी 8%, वैश्य 5%, पंजाबी 8%, राजपूत 3.5%, मुस्लिम 3.5% व शेष अन्य जातियों की आबादी है।

अब सवाल यह है कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के राजनीति में उतरने और कांग्रेस में आने का क्या असर होगा? इससे कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में कितना फायदा होगा?

क्योंकि यह दोनों नेता जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं और हरियाणा की राजनीति में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और आगे बढ़ते हुए सिरसा तक जाट समुदाय कई सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 में से इन इलाकों में पड़ने वाले 36 विधानसभा सीटों पर जाट असरदार हैं। ऐसे में विनेश फोगाट के पक्ष में सहानुभूति लहर के चलते जाट समुदाय के मतों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है।

बीजेपी पर हालांकि गैर जाट राजनीति करने का आरोप लगता है लेकिन उसने हरियाणा में बड़ी संख्या में जाट नेताओं को भी आगे बढ़ाया है। ओम प्रकाश धनखड़ को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया है तो किरण चौधरी और सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा है। 

Dushyant Chautala Dushyant Chautala Uchana Kalan seat
उचाना कलां सीट पर होगा जोरदार मुकाबला। (Source- dchautala/FB)

ध्रुवीकरण से तय होंगे चुनाव नतीजे

अब सवाल यह है कि अगर जाट मतदाता कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होते हैं तो इससे बीजेपी को कितना नुकसान हो सकता है। हरियाणा में गैर जाट समुदाय की आबादी 75% है।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे अब इस बात पर निर्भर करेंगे कि जाट और गैर जाट मतों का किस हद तक ध्रुवीकरण होता है। अगर गैर जाट बिरादरियों का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ गया तो निश्चित रूप से उसे इसका फायदा होगा जबकि ऐसी सूरत में कांग्रेस को इसका नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर कांग्रेस जाट मतदाताओं को साधते हुए गैर जाट नेताओं को टिकट वितरण में भागीदारी देगी तो इससे पार्टी को चुनाव जीतने में मदद मिल सकती है।