गाजियाबाद की एक स्थानीय अदालत ने सोमवार ( 6 जून, 2022) को 2006 के वाराणसी सीरियल ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी को मौत की सजा सुनाई। अदालत ने गाजियाबाद की डासना जेल में बंद वलीउल्लाह (47) पर 4.05 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने आदेश दिया कि जब तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इसे बरकरार रखा जाता है, तब तक मौत की सजा नहीं दी जाएगी।
साल 2006 में वाराणसी के छावनी रेलवे स्टेशन और संकट मोचन मंदिर में बम विस्फोट हुए थे, जिसमें कम से कम 20 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। तीसरा बम वाराणसी के गोदौलिया इलाके से बरामद किया गया, लेकिन उसमें विस्फोट नहीं हुआ था।
वलीउल्लाह के वकील मोहम्मद आरिफ अली ने बताया कि श्रृंखलाबद्ध विस्फोट के बाद तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे। रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट में अदालत ने वलीउल्लाह को बरी कर दिया। संकट मोचन मंदिर में हुए ब्लास्ट में कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि गोदौलिया में बम की बरामदगी में अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। अली ने कहा कि वे वलीउल्लाह की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।
केस- जानिए पूरा घटनाक्रम
7 मार्च, 2006 को वाराणसी छावनी रेलवे स्टेशन पर एक विस्फोट हुआ और कुछ ही मिनटों बाद संकट मोचन मंदिर के अंदर एक और बम फट गया।
पुलिस टीमों ने तुरंत पूरे जिले में तलाशी शुरू की, और जल्द ही गोदौलिया इलाके में एक बम मिला। दो धमाकों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि तीनों बम प्रेशर कुकर में विस्फोटक पैक कर बनाए गए थे। जांच के दौरान, उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुरू में दावा किया कि विस्फोट आतंकवादी समूह हरकत-उल-जेहाद इस्लामी (हूजी) की करतूत थी।
5 अप्रैल, 2006 को, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय भूषण के नेतृत्व में यूपी पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया, जिन्होंने लकड़ी की एक छोटी-सी दुकान चलाने के अलावा, लखनऊ के गोसाईगंज से फूलपुर में एक स्थानीय मस्जिद में इमाम बन गया।
हूजी के कथित गुर्गे वलीउल्लाह को इस मामले का मास्टरमाइंड घोषित किया गया था। पुलिस ने उसके कब्जे से डेटोनेटर, आरडीएक्स और .32 बोर की एक पिस्तौल बरामद करने का भी दावा किया है। जांच से पता चला कि बम एक कुकर में रखे गए थे, जिन्हें बनाने में अमोनियम नाइट्रेट और एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि धमाकों को वलीउल्लाह के तीन सहयोगियों ने अंजाम दिया, जिनके साथ वह सहारनपुर के देवबंद में दारुल उलूम में पढ़ता था।
तीन आरोपी जो अभी भी फरार हैं उनकी पहचान बशीरुद्दीन, मुस्तफिज और जकारिया के रूप में की गई, जो सभी बांग्लादेश के निवासी हैं। पुलिस ने कहा कि वलीउल्लाह ने तीन फरार आरोपियों को रसद सहायता प्रदान की। पुलिस के अनुसार, वलीउल्लाह तीनों को वाराणसी ले गया और धमाकों में इस्तेमाल होने वाले कुकर खरीदने में उनकी मदद की और बाद में वे बांग्लादेश भाग गए।
मई 2006 में यूपी के मूल निवासी मोहम्मद जुबैर जिस पर विस्फोटों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। उसको सीमा पार करने का प्रयास करते हुए जम्मू-कश्मीर में गोली मार दी गई थी।आगे की जांच में यूपी के चंदौली जिले के निवासी शमीम अहमद उर्फ सरफराज की संलिप्तता का भी पता चला। पुलिस ने दावा किया कि शमीम ने गोदौलिया इलाके में बम रखा था। उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया।
2013 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने शमीम के खिलाफ केस वापस लेने का आदेश दिया था. इस कदम पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक एसएलपी दायर की, जो अभी भी लंबित है।
केस गाजियाबाद ट्रांसफर-
3 मई 2006 को, वाराणसी की अदालत में वकीलों ने वलीउल्लाह को मुकदमे के लिए अदालत में पेश किए जाने पर उनके साथ बदतमीजी की। वकीलों ने वलीउल्लाह के साथ अदालत में जाने वाले पुलिसकर्मियों को भी नहीं बख्शा। वाराणसी बार एसोसिएशन ने तब फैसला किया कि कोई भी वकील आरोपी के लिए बहस नहीं करेगा। घटना के बाद वलीउल्लाह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में गुहार लगाई कि उनका केस दूसरे जिले में ट्रांसफर कर दिया जाए। कोर्ट ने सहमति जताते हुए इसे गाजियाबाद स्थानांनतरित कर दिया।
दो साल बाद अगस्त 2008 में, लखनऊ की एक अदालत ने वलीउल्लाह को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अपराधों का दोषी पाए जाने के बाद 10 साल के कारावास की सजा सुनाई।
सितंबर 2008 में बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद गिरफ्तार किए गए आईएम के कुछ सदस्यों ने कथित तौर पर वाराणसी विस्फोटों की जिम्मेदारी ली थी।
एडवोकेट आरिफ अली ने कहा, ‘मैंने गाजियाबाद कोर्ट में असदुल्ला अख्तर का बयान दर्ज करवाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हैदराबाद के समक्ष दर्ज अपने बयान में, असदुल्ला अख्तर ने मिर्जा शादाब बेग, मोहम्मद सरवर, आरिज, आतिफ और सैफ के साथ 2006 के वाराणसी विस्फोटों को अंजाम देना स्वीकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि आईईडी को सादिक शेख ने असेंबल किया था।