उत्तर प्रदेश का प्रयागराज शहर राजनीति के साथ ही शिक्षा के हब के रूप में भी जाना जाता है। प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक प्रयागराज सीट पर युवा तमाम अन्य मुद्दों के बीच पेपर लीक को भी एक बड़ा मुद्दा मानते हैं। यहां के कई छात्रों का कहना है कि बीजेपी को इसके चलते नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। लेक‍िन, कई ऐसे भी हैं जो पेपर लीक में सरकार की कोई भूम‍िका नहीं मानते और इसे लोकसभा चुनाव में वोट देने का आधार बनाने लायक मुद्दा नहीं मानते। असद रहमान की ग्राउंड रिपोर्ट में जानिए क्या हैं प्रयागराज के मुद्दे और पेपर लीक पर क्या कहते हैं यहां के युवा?

पेपर लीक उन चुनावी मुद्दों में से एक है, जिसे राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान युवाओं के बीच उठाया है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पेपर लीक से संबंधित मामलों में फास्ट-ट्रैक अदालतों से फैसला करने और पीड़ितों को मुआवजा देने का वादा किया है।

सबसे लेटेस्ट मामले की बात की जाये तो फरवरी 2024 में जब यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया था और एग्जाम के दिन सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होता नजर आया था। 60,244 कांस्टेबल पदों के लिए होने वाली परीक्षा के लिए कुल 48 लाख उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया था।

पेपर लीक के बाद दोबारा परीक्षा कराने का आदेश

पेपर लीक के बाद यूपी सरकार ने दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया लेकिन अभी तक तारीख की घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले फरवरी 2023 में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया, जिसके परिणामस्वरूप इसे रद्द कर दिया गया था।

क्या कहते हैं प्रयागराज के युवा?

प्रयागराज का कटरा क्षेत्र लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटरों से भरा पड़ा है। चिलचिलाती गर्मी में, सैकड़ों छात्र चाय की दुकानों, किताबों की दुकानों या जूस की दुकानों पर किताबों के बोझ को संभालते कतार में खड़े नजर आते हैं। ये छात्र सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे उत्तर प्रदेश से आए हैं। लेकिन उनमें से कई लोगों के लिए, उनकी उम्मीदें और सपने पेपर लीक से धराशायी हो गए हैं।

कटरा की व्यस्त गलियों में, द इंडियन एक्सप्रेस ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में भाग लेने वाले कुछ उम्मीदवारों से सवाल किया कि क्या पेपर लीक उनके लिए एक चुनावी मुद्दा था। जहां कुछ ने कहा कि ऐसा नहीं नहीं है, वहीं कुछ ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षा कराना सरकार का काम है और इससे चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है।

‘अखिलेश और राहुल गांधी हमें बेवकूफ बना रहे’

19 साल के अंशु मौर्या प्रयागराज से 30 किमी दूर हंडिया के रहने वाले हैं। उनके पिता एक किसान हैं और 12वीं पास अंशु पिछले 1.5 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। अंशु ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि पेपर लीक कोई चुनावी मुद्दा नहीं है और राज्य या केंद्र सरकार को कुछ लोगों के लालच के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा, “जब परीक्षा इतनी सुरक्षा के साथ आयोजित की गई तो मैं सरकार को कैसे दोष दे सकता हूं? मुझे लगता है कि अखिलेश और राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता हमें बेवकूफ बना रहे हैं।”

युवाओं का कहना पेपर शिक्षा माफिया और अधिकारी द्वारा लीक किए गए

कौशांभी के रहने वाले 18 साल के खुराना यादव 12वीं पास हैं। उनके पिता यूपी पुलिस में कांस्टेबल हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थक खुराना 6 महीने से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पेपर लीक एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा है जिसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “सरकार क्या कर सकती है? अगर पेपर लीक कराने में कोई मंत्री शामिल होता तो गलती उनकी होती लेकिन पेपर शिक्षा माफिया और अधिकारी द्वारा लीक किए गए हैं।”

बीजेपी को हो सकता है नुकसान

24 साल के सचिन यादव प्रतापगढ़ से हैं और 2 साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ” पेपर लीक और बेरोजगारी के कारण चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा। मुझे समझ नहीं आता कि जब युवा बेरोजगार होंगे तो वे भाजपा को वोट कैसे देंगे? मैं आपको बता सकता हूं कि यूपी में युवा बेरोजगारी और पेपर लीक के मुद्दे पर वोट देंगे और इसके कारण बीजेपी को कई सीटें गंवानी पड़ेंगी।”

27 साल के सशेंद्र कुमार पिछले 8 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। सशेंद्र ने कहा वह श्योर नहीं है कि पेपर लीक कोई चुनावी मुद्दा होगा या नहीं। सशेंद्र ने कहा कि उनका वोट उस पार्टी को जाएगा जो उन्हें और उनके जैसे सैकड़ों अन्य लोगों को नौकरियां प्रदान करेगी। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “मुझे डर है कि मेरा पूरा जीवन यहीं इलाहाबाद में बीतेगा। मैंने घर छोड़ दिया है क्योंकि मुझे सरकारी नौकरी चाहिए। मेरे लिए, एकमात्र चुनावी मुद्दा बेरोजगारी है।”

पेपर लीक का संबंध सरकार से कैसे?

कौशांभी के रहने वाले अंकित त्रिपाठी पिछले 3 सालों स एसरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है, “पेपर लीक का संबंध सरकार से कैसे हो सकता है? यह भ्रष्ट अधिकारियों का मुद्दा है। मुझे लगता है कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने भारत को विश्व शक्ति बना दिया है और मैं उसी पर वोट करूंगा।”

राहुल कुमार यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “अगर लीक के बावजूद कांस्टेबल भर्ती परीक्षा रद्द नहीं की गई होती तो यह एक चुनावी मुद्दा होता। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि पेपर लीक इस बार कोई चुनावी मुद्दा बन गया है। सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी और घोषणा की कि इसे दोबारा जाएगा। मैं राहुल गांधी से सहमत हूं जब वह कहते हैं कि पेपर लीक के खिलाफ एक कानून होना चाहिए। इसे रोकने का यही एकमात्र तरीका है।”

इस मुद्दे से इंडिया गठबंधन को फायदा

आजमगढ़ के रहने वाले बृजेश पाल 3 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है, “इस मुद्दे से इंडिया गठबंधन को फायदा होगा, खासकर यूपी में। उन्होंने कहा, “सबसे पहले, वेकेंसी निकलने में सालों लग जाते हैं। फिर परीक्षा की तारीखें घोषित की जाती हैं और परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। लेकिन आख़िरकार पेपर लीक हो जाने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह सरकार की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।”

22 साल के बृजराज ने बेरोजगारी और महंगाई से निपटने में विफल रहने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मेरा वोट मोदी के लिए है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कुछ किया है।” 12वीं पास जितेंद्र यादव 1 साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। जितेंद्र ने लीक रोकने और सरकारी नौकरी को कम करने के लिए केंद्र और यूपी की भाजपा सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि राहुल गांधी एक अच्छे नेता हैं। भाजपा धर्म से जुड़े मुद्दे उठाती रहती है जिसका देश में अशिक्षित लोगों के लिए बड़ा आकर्षण है। लेकिन हम जैसे लोगों के लिए रोजगार ही एकमात्र चुनावी मुद्दा है।”