लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने के बाद से यूपी में बीजेपी में चल रहा शीत युद्ध फिलहाल थमा भले लग रहा हो, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा है। इसके आधार पर अटकलें ऐसी भी लगने लगी हैं कि ‘शांति-बहाली’ के मिशन में आरएसएस भी शामिल हो गया है। गुरु पूर्णिमा पर आरएसएस के गुरु-दक्षिणा कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ के शामिल होने के बाद इन अटकलों को बल मिला है। उधर, आज या कल में दिल्ली में यूपी भाजपा की स्थिति पर पार्टी की हाई लेवल मीटिंंग होने वाली है। दिल्ली में योगी आदित्य नाथ के पीएम से मिलने की भी संभावना है। यह मुलाकात नीति आयोग की बैठक से इतर हो सकती है।
सारी कवायद का जोर अभी इस बात पर है कि राज्य में विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल की जाए। इन सीटों पर चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इसके नतीजों पर यूपी बीजेपी में चल रही खींचतान की परिणति बहुत हद तक निर्भर करेगी।
कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली है। अगर इसमें भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो योगी आदित्यनाथ को अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिलेगी। अगर लोकसभा चुनाव जैसे ही परिणाम रहे तो बीजेपी और योगी आदित्यनाथ, दोनों के लिए मुश्किल बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में योगी विरोधी खेमा और हावी होने की कोशिश करेगा।
कार्यकर्ताओं की अनेदखी को केशव प्रसाद ने बनाया बड़ा मुद्दा
बताया जा रहा है कि 2800 जमीनी कार्यकर्ताओं को शहीर निकायों में पार्षद और सभासद बना कर कार्यकर्ताओं की नाराजगी खत्म करने का प्लान भी बनाया जा रहा है। कार्यकर्ताओं की अनेदखी और नाराजगी को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ा मुद्दा बनाया है। उन्होंने खुले आम कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है और यह भी कि आपका (कार्यकर्ताओं का) दर्द मेरा दर्द है।
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश भाजपा की स्थिति को लेकर आरएसएस की चिंंता यह है कि कार्यकर्ताओं के दर्द के नाम पर कोई नेता निजी फायदा न उठा ले और उत्तर प्रदेश में भाजपा कमजोर न पड़ जाए। हिंंदुत्व का एजेंडा लागू करने के लिहाज से योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश आरएसएस के लिए अहम है।
आरएसएस पदाधिकारी की केशव मौर्य से मुलाकात
मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि पूर्वी यूपी क्षेत्र के एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने कुछ दिन पहले केशव मौर्य से मुलाकात की थी और हाल ही में राज्य भाजपा कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की थी। सूत्रों ने कहा कि आरएसएस पदाधिकारी ने मौर्य को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को बड़े लेवल पर उठाया जाएगा। साथ ही उनसे अपनी शिकायतों को सार्वजनिक मंचों पर न कहने का आग्रह किया।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक नेता ने यूपी बीजेपी के इस संकट के समाधान के लिए राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से भी मुलाकात की।
योगी आदित्यनाथ करेंगे पीएम मोदी से मुलाकात
इधर, मंगलवार को आरएसएस के सालाना गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में सीएम योगी की मुलाकात भी आरएसएस नेताओं से हुई। बताया जा रहा है कि आदित्यनाथ ने अपनी ओर से कार्यकर्ताओं की नाराजगी समझने और दूर करने की कवायद शुरू की है। उन्होंने विभिन्न जिलों के प्रभारी मंत्रियों से स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कहा है।
अब सीएम आदित्यनाथ शुक्रवार को जब नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में होंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से उनके मिलने का भी कार्यक्रम बताया जा रहा है। केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और यूपी बीजेपी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के भी उसी समय भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से मिलने की संभावना जताई जा रही है।
सीएम योगी और डिप्टी सीएम के बीच खटपट
दरअसल, केशव प्रसाद ने योगी आदित्यनाथ पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोलते हुए आरोप लगाया था कि सरकार में आम पार्टी कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि पार्टी संगठन की उपेक्षा लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे प्रमुख कारणों में से एक है।
इसके कुछ दिनों बाद केशव मौर्य ने राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में संविदा नियुक्तियों में आरक्षण को लेकर आदित्यनाथ पर एक और हमला बोलते हुए सवाल उठाया था कि क्या विभिन्न सरकारों में संविदा नियुक्तियां करने में सरकारी आदेश के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया गया था। इसके बाद यूपी सरकार ने इससे संबंधित आंकड़ा जारी करना शुरू कर दिया है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के साथ केशव मौर्य की मुलाकात ने भी राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। दोनों भाजपा के गठबंधन सहयोगी थे और इस मुलाकात को मौर्य के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था।
यूपी बीजेपी में अंदरूनी लड़ाई
केशव मौर्य और सीएम योगी ही नहीं यूपी बीजेपी में कई पार्टी नेताओं की आपस में बन नहीं रही है। पार्टी की हार के बाद यह लड़ाई खुलकर सामने आई। प्रयागराज में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में यमुनापार के अध्यक्ष विनोद प्रजापति ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने पूरे मनोयोग से बूथों पर अपना काम नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा था कि हम लोग समाजवादी पार्टी से नहीं अपनों से ही चुनाव लड़ रहे थे।
मुजफ्फरनगर सीट पर हार के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच जुबानी जंग खुलकर सामने आई थी। सलेमपुर सीट से चुनाव हारे रविंद्र कुशवाहा ने भी राज्यमंत्री विजयलक्ष्मी गौतम और सहयोगी दल सुभाषपा के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर पर निशाना साधा था।
उत्तर प्रदेश में भाजपा का निराशाजनक प्रदर्शन
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। पार्टी यहां 80 में से महज 33 सीटें जीत पायी है जबकि 2019 में भाजपा ने यहां 62 सीटें जीतीं थीं। इतना ही नहीं उसका वोट शेयर भी 49.98% से घटकर 41.37% हो गया। यहां तक कि वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी की जीत के बावजूद पिछली बार की अपेक्षा उनकी जीत का अंतर कम हो गया है।
| राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
| बीजेपी | 33 | 62 |
| सपा | 37 | 5 |
| कांग्रेस | 6 | 1 |
| बीएसपी | 0 | 10 |
| रालोद | 2 | – |
| अपना दल (एस) | 1 | 2 |
| आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
BJP में हार पर मंथन जारी
चुनाव परिणाम आने के बाद से पार्टी में हार पर मंथन जारी है। पार्टी के तमाम नेता अब हार के कारणों की पड़ताल करने में जुटे हैं। यूपी भाजपा की टास्क फोर्स ने आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिली हार की वजहों के बारे में बताया है। इसमें पार्टी की अंदरूनी लड़ाई से लेकर जातीय समीकरण और सरकारी कर्मचारियों के असहयोग को मुख्य वजह बताया गया है।
इतना ही नहीं सीएम योगी के सुझाव को नजरंदाज करना भी हार की वजहों में से एक रहा। दरअसल, मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया था कि 35 मौजूदा सांसदों को बदल दिया जाना चाहिए लेकिन उनके इस सुझाव को नजरअंदाज कर दिया गया और पिछली बार जीते बीजेपी के 27 सांसद इस बार चुनाव हार गए।
