मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट 2024-25 जोर-शोर से जारी कर दिया। मोदी सरकार का दावा है कि उसने बजट में नौकरी पेशा युवाओं से लेकर किसानों और समाज के तभी तबकों का ख्याल रखा है।
बिहार और आंध्र प्रदेश में अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही भाजपा ने उनके लिए एक तरह से खजाना खोल दिया है। बिहार को तो मोदी सरकार ने उसकी मनमांगी मुराद से ज्यादा दिया है लेकिन सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार राजधानी से सटे हुए राज्य हरियाणा को कैसे भूल गई? जबकि हरियाणा में बीजेपी की ही सरकार है और यहां तीन से चार महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।
हरियाणा के लोकसभा चुनाव के नतीजे से संकेत साफ है कि यहां उसे कांग्रेस से जबरदस्त चुनौती मिलने वाली है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि मोदी सरकार इस चुनावी राज्य पर विशेष नजरें इनायत करेगी लेकिन न जाने सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया?
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
बिहार और आंध्र को मिली सौगात
केंद्रीय बजट में बिहार को तीन प्रोजेक्ट के लिए 59 हजार करोड़ रुपए की मदद दी गई है। 26 हजार करोड़ रुपए में चार नए एक्सप्रेस वे के अलावा नए मेडिकल कॉलेज और एयरपोर्ट बनाने का ऐलान भी बजट में किया गया है। पावर प्रोजेक्ट्स, बाढ़ नियंत्रण के लिए भी मोदी सरकार ने बिहार सरकार को पैसा दिया है। इसी तरह आंध्र में राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15 हजार करोड़ देने की बात केंद्रीय बजट में की गई है। आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष अनुदान भी मोदी सरकार आंध्र प्रदेश को देगी लेकिन इसकी तुलना में हरियाणा को ऐसा कुछ नहीं मिला।

हरियाणा का नाम तक नहीं लिया: हुड्डा
हरियाणा को इस बजट में मोदी सरकार की ओर से कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं मिलने को कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया है। हरियाणा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरे भाषण में हरियाणा का नाम तक नहीं लिया। राज्य के लोगों को किसी भी तरह की कोई राहत नहीं दी गई।
हरियाणा की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही भाजपा को बजट को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देना भारी पड़ सकता है।
हरियाणा में कांग्रेस इन दिनों ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान चला रही है। इसके तहत वह हरियाणा में पिछले 10 साल से सरकार चला रही भाजपा से युवाओं, किसानों, महिलाओं और समाज के अन्य वर्गों के लिए किए गए कामों का हिसाब मांग रही है। इस यात्रा की अगुवाई रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने भी सवाल उठाया है कि बजट में हरियाणा को कोई नई परियोजना क्यों नहीं दी गई। इसके उलट 10 साल पहले कांग्रेस की सरकार द्वारा मंजूर की गई बड़ी परियोजनाओं के लिए भी कोई पैसा आवंटित नहीं किया गया।
अपनों के निशाने पर है सैनी सरकार
इसके अलावा हरियाणा में भाजपा अपने ही नेताओं के द्वारा लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी बुरी तरह घिरी हुई है। पहले राव नरबीर सिंह और फिर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भ्रष्टाचार को लेकर राज्य की नायब सिंह सैनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।
राव नरबीर सिंह कह चुके हैं कि हरियाणा में तहसीलों से लेकर सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है जबकि राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम में इको ग्रीन नाम की कंपनी को 350 करोड़ रुपए दिए जाने को लेकर सैनी सरकार को पत्र लिख चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह का कहना है कि राज्य सरकार, अफसरों और इको ग्रीन कंपनी के बीच जबरदस्त मिलीभगत है।

हरियाणा में गुरुग्राम एक बड़ा बिजनेस हब है। यहां भारत ही नहीं दुनिया भर की तमाम बड़ी आईटी और रियल एस्टेट कंपनियों के दफ्तर हैं। लाखों लोग इस शहर में काम करते हैं। इसलिए हर केंद्रीय बजट में हरियाणा सरकार को यह उम्मीद रहती है कि इतने बड़े शहर की सड़क, परिवहन और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार विशेष बजट देगी।
ऐसी ही कुछ उम्मीद हरियाणा की भाजपा सरकार ने इस बार मोदी सरकार से जरूर लगाई होगी लेकिन उसे निश्चित रूप से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली।
किसानों को खुश कर पाएगा बजट?
हरियाणा में एक बार फिर किसान आंदोलन की सुगबुगाहट है। बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा से किसान दिल्ली की ओर कूच करने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब के साथ ही हरियाणा में भी किसान राजनीतिक बहुत ताकतवर है।
दोनों राज्यों के किसान चाहते हैं कि मोदी सरकार एमएसपी को लेकर गारंटी कानून बनाए और सभी 23 फसलों पर एमएसपी की गारंटी दे।
मोदी सरकार ने बजट में खेती और उससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। सरकार ने कहा है कि वह 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती कराएगी। लेकिन किसानों की सबसे बड़ी मांग यानी सभी 23 फसलों पर एमएसपी की गारंटी को लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं हुई है।
यह भी उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी सरकार किसान सम्मान निधि की राशि में कुछ बढ़ोतरी कर सकती है लेकिन सरकार ने ऐसा भी नहीं किया और यह राशि 6,000 सालाना ही रहेगी।

जब केंद्रीय बजट आने की तैयारी हो रही थी तो यह माना जा रहा था कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार किसानों के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। जिससे दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे किसान थोड़ा शांत हो सकें लेकिन बजट सामने आने के बाद ऐसा नहीं दिखाई देता कि किसान एमएसपी के मामले में चुप बैठेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र सरकार को यह बजट कागजों पर अच्छा लग सकता है लेकिन जमीन पर इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
हालांकि हरियाणा के हिस्से में केंद्रीय करों से मिलने वाला हिस्सा जरूर बढ़ा है। वित्त वर्ष 2024-25 में हरियाणा को केंद्रीय करों से 13,632 करोड़ रुपए मिलेंगे जबकि 2023-24 में यह राशि 12,345 करोड़ थी। इस तरह हरियाणा को केंद्रीय करों से 1287 करोड़ रुपए ज्यादा मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते रहे हैं कि हरियाणा से उनका विशेष लगाव है लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार ने हरियाणा को कोई बड़ा प्रोजेक्ट चुनाव के नजदीक होने के बाद भी क्यों नहीं दिया, इसे लेकर राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं के मन में भी सवाल जरूर उठ सकता है और उन्हें इस बात का डर भी हो सकता है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इसे मुद्दा बना सकती है।