जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने वाले एडवोकेट मुरसलीन शेख मुश्किलों में घिर गए हैं। ताजा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट की सीटिंग जज के खिलाफ PIL से जुड़ा है। एडवोकेट मुरसलीन शेख के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा (BCMG) ने अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

मुंबई के एडवोकेट मुरसलीन शेख ( Mursalin Shaikh) ने 9 मार्च 2023 को अधिवक्ता विजय कुरले के माध्यम से बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी। इस PIL में बॉम्बे हाई कोर्ट की सीटिंग जज जस्टिस रेवती मोहिते डेरे (Revati Mohite Dere) के खिलाफ तमाम आरोप लगाते हुए आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने एडवोकेट शेख के इसी जनहित याचिका (PIL) का स्वत: संज्ञान लेते हुए 27 मार्च को एक मीटिंग आयोजित की। इस मीटिंग में न्यायमूर्ति डेरे के खिलाफ भड़काऊ और ओछी जनहित याचिका की निंदा की गई। बार काउंसिल ने आरोप लगाया कि एडवोकेट शेख ने हाईकोर्ट के एक मौजूदा जज को बदनाम करने और मामले को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से पीआईएल दाखिल किया। बार काउंसिल ने एडवोकेट शेख के कृत्य को सस्ता प्रचार और न्यायपालिका की छवि बदनाम करने वाला बताया।

कार्यवाही का क्या आधार?

बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा की मीटिंग में एडवोकेट मुरसलीन शेख के खिलाफ जांच शुरू करने और अनुशासनात्मक कार्यवाही का फैसला लिया गया। काउंसिल ने तीन सदस्यी अनुशासनात्मक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का गठन अधिवक्ता अधिनियम 1961 (Advocate Act 1961) की धारा 35 के तहत किया गया है। समिति को पूरे मामले की जांच करने और बार काउंसिल को सिफारिश देने का जिम्मा सौंपा गया है।

CJI चंद्रचूड़ के खिलाफ जा चुके हैं सुप्रीम कोर्ट

यह पहला मामला नहीं है जब एडवोकेट मुरसलीन शेख चर्चा में। वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनाने के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं। कानून मंत्रालय ने पिछले साल जब 17 अक्टूबर को ऐलान किया कि जस्टिस चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे तब एडवोकेट शेख ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी और उन्हें सीजेआई न बनाने की मांग की थी।

CJI चंद्रचूड़ के खिलाफ PIL का क्या आधार था?

जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ लगाई अर्जी में राशिद खान पठान नाम के एक शख्स की चिट्ठी का हवाला दिया गया था। पठान ने जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) के खिलाफ तमाम आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें दावा किया गया था कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यवाही से संबंधित एक एसएलपी पर सुनवाई की थी, जबकि उनका बेटा याचिकाकर्ता के वकीलों में शामिल था।

सुप्रीम कोर्ट में नहीं दिखा पाए थे सबूत

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान जब तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित ने लॉयर से इसका सबूत दिखाने को कहा तो वह अपनी फाइलों में कुछ ढूंढने लगे और बाद में आगे की डेट मांगी। जस्टिस ललित ने याचिका को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया था और नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि आपने कहा था कि आप पूरी तरह तैयार हो कर आए हैं, अब डेट मांग रहे हैं?

BCI ने भी रखा था पक्ष

राशिद खान पठान ने राष्ट्रपति को लिखी अपनी चिट्ठी में जिस एसएलपी का जिक्र किया था, बाद में उसपर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी अपना पक्ष रखा था। साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील, बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील से भिन्न थे।