Dalit Votes Delhi Election 2025: दिल्ली में बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है। पार्टी को 48 सीटों पर जीत मिली है और इस जीत से पार्टी नेतृत्व गदगद है। चुनाव परिणाम का बारीकी से विश्लेषण करेंगे तो यह साफ समझ में आएगा कि दिल्ली में दलित मतदाताओं के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन आम आदमी पार्टी के मुकाबले फीका रहा है।

सीधे शब्दों में कहें तो पूरी ताकत लगाने के बाद भी बीजेपी दिल्ली की आरक्षित सीटों या फिर ऐसी सीटों जहां पर दलित समुदाय की अच्छी-खासी मौजूदगी है, वहां आम आदमी पार्टी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है।

दिल्ली में 12 सीटें दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 8 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है जबकि चार सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं। इसके अलावा दिल्ली की कुछ अन्य विधानसभा सीटों पर जहां दलित समुदाय की अच्छी आबादी है, वहां भी बीजेपी को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है।

दिल्ली में विधानसभा की 36 सीटें ऐसी हैं जहां पर दलित समुदाय की आबादी 15% से ज्यादा है। इनमें से 21 सीटों पर बीजेपी जीती है और इसमें से भी 8 सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित समुदाय के मतदाता 20% से ज्यादा हैं। बीजेपी को केवल ऐसी तीन सीटों पर जीत मिली है, जहां पर दलितों की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है।

अब अगर दलित समुदाय की ज्यादा आबादी वाली सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को देखें तो AAP ने 10 ऐसी सीटें जीती हैं, जहां दलित समुदाय की आबादी 20% से ज्यादा है। त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर जहां दलित आबादी 25% से अधिक है, बीजेपी ने आप को सिर्फ 392 वोटों से हराया है।

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर अगर नजर डालें तो इससे पता चलता है कि बीजेपी ने दलित समुदाय की मौजूदगी वाली 36 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीती थी। यह सीट रोहतास नगर है। इस बार भी वह रोहतास नगर सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। इस सीट पर 19.9% दलित मतदाता हैं।

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सभी आरक्षित सीटों पर जीती थी AAP

पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सभी 12 आरक्षित सीटें जीती थीं, जिनमें- बवाना, सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, करोल बाग, पटेल नगर, मादीपुर, देवली, अंबेडकर नगर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, सीमापुरी, गोकलपुर शामिल हैं।

किस सीट पर कितनी है दलित आबादी?

विधानसभा सीट का नामकितनी है आबादी (प्रतिशत में)
सुल्तानपुर माजरा44%
करोल बाग 41%
गोकलपुर 37%
मंगोलपुरी36%
त्रिलोकपुरी 32%
अंबेडकर नगर31%
सीमापुरी 31%
मादीपुर 29%
कोंडली 27%
देवली 27%
बवाना 24%
पटेल नगर23%
राजेंद्र नगर22%
वजीरपुर22%
तुगलकाबाद22%
बल्लीमारान22%
नांगलोई जाट21%
नरेला21%

इस बार बीजेपी ने आरक्षित सीटों- मंगोलपुरी, त्रिलोकपुरी, मादीपुर और बवाना के अलावा कुछ ऐसी सीटों पर भी जीत हासिल की है, जहां पर दलित मतदाता 20% से ज्यादा हैं। इन सीटों के नाम- वजीरपुर, राजेंद्र नगर, नांगलोई जाट और नरेला हैं जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी जीती थी ।

पिछले बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रोहतास नगर को छोड़कर जिन सीटों को अपनी झोली में डाला था वह सभी ऐसी थीं, जहां पर दलित आबादी काफी कम है। यह सीटें- रोहिणी (6%), करावल नगर (8%), लक्ष्मी नगर (9%), गांधी नगर (11%), बदरपुर (12%), विश्वास नगर (13%) और घोंडा (13%) हैं।

2015 में बीजेपी जिन तीन विधानसभा सीटों पर जीती थी, उन सभी में दलित समुदाय की आबादी कम है। इससे पहले जब बीजेपी ने दिल्ली में 1993 में सरकार बनाई थी तब वह 70 में से 49 सीटों पर जीती थी और उसे दलित समुदाय के लिए आरक्षित 13 सीटों में से आठ सीटों पर जीत मिली थी। अगर पिछले कुछ विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करें तो यह समझ में आता है कि बीजेपी को दलित समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर ज्यादा जीत नहीं मिली। इसे इस टेबल से समझिए।

दलित समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन

विधानसभा चुनाव कितनी आरक्षित सीटें जीती
19938
19981
2003 2
2008 2
2013 2
20150
20200
20254

दिल्ली की राजनीति में कहा जाता है कि यहां दलित समुदाय का वोट सबसे पहले कांग्रेस को ही मिलता था लेकिन 2013 में आम आदमी पार्टी के दिल्ली की राजनीति में बड़ी ताकत के रूप में उभरने के बाद दलित समुदाय का रुख AAP की ओर हो गया।

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सामान्य सीटों पर भी दलित नेताओं को बनाया उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद इस तरह का राजनीतिक संकेत गया कि दलित समुदाय की बीजेपी से दूरी बढ़ी है। पार्टी ने इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली में आरक्षित सीटों के अलावा दो सामान्य सीटों पर भी दलित समुदाय के नेताओं को टिकट दिया हालांकि वहां पर पार्टी की उम्मीदवारों को काफी अंतर से हार मिली है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दलित समुदाय के बीच नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित ऑर्गेनाइजेशंस ने एक सर्वे किया था। इस संगठन के अध्यक्ष अशोक भारती का कहना है कि अरविंद केजरीवाल दलित समुदाय के मतदाताओं को यह समझाने में कामयाब रहे कि वह देश में संविधान विरोधी ताकतों का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इस तरह का माहौल बनाया था कि मोदी सरकार संविधान में बदलाव कर सकती है या आरक्षण को खत्म कर सकती है।

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DELHI ASSEMBLY | ADR REPORT |
दिल्ली में 70 में 31 विधायक दागी हैं।

नकारात्मक प्रचार करती है कांग्रेस: बीजेपी सांसद

दिल्ली में बीजेपी के दलित सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि अधिकांश आरक्षित विधानसभा सीटों पर बीजेपी को कामयाबी न मिलने की एक वजह कांग्रेस द्वारा दशकों से उसके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान और उसे एससी-एसटी विरोधी बताने का प्रोपेगेंडा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ऐसा नकारात्मक प्रचार करती है कि बीजेपी उनके लिए काम नहीं करेगी लेकिन मोदी जी के सत्ता में आने के बाद हमने दुनिया भर में संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के स्मारक बनवाए हैं।

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