पंजाब के बटिंडा में रहने वाला एक शख्स जब लंदन में था तो एक महिला ने उसके खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज करा दिया। मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा तो पुलिस की रिपोर्ट देखकर जज का पारा चढ़ गया। महिला को फटकार लगाते हुए केस को खारिज कर दिया गया।

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जस्टिस जगमोहन बंसल ने अपने फैसले में महिला के खिलाफ तीखी टिप्पणी कीं। उनका कहना था कि ये केवल ब्लैकमेल के लिए दर्ज कराया मामला है। जो शख्स भारत में है ही नहीं वो रेप के मामले में कैसे इन्वाल्व हो सकता है। जज के तेवर इतने ज्यादा तीखे थे कि उन्होंने यहां तक कहा कि अदालत को हथियार बनाकर एक व्यक्ति को ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही है। अदालत का कहना था कि पीड़ित महिला ने गैंगरेप का केस दर्ज कराया था। मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया। लेकिन पीड़ित महिला पहले ही तीन लोगों पर लगाए आरोपों से मुकर चुकी है।

हाईकोर्ट का कहना था कि महिला की हरकत दिखाती है कि उसका चेहरा और चरित्र किस तरह का है। वो बेवजह लोगों को फंसाने का काम कर रही है। अदालत के तेवर इस कदर तीखे थे कि जज ने यहां तक कहा कि इस तरह के याचिकाकर्ताओं को सबक सिखाने की जरूरत है। इन लोगों की वजह से ही रेप जैसे मामलों में सही और गलत का फर्क करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कई बार असली पीड़ित को भी इंसाफ नहीं मिल पाता है।

वारदात से चार-पांच दिन पहले भारत छोड़ चुका था वरिंदर

मामले के मुताबिक वीरेंद्र कुमार उर्फ विक्की के खिलाफ गैंग रेप के साथ आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कराया गया था। वरिंदर ने कोर्ट में बताया कि महिला के मुताबिक रेप 1/2 फरवरी 2019 को हुआ था। उसका कहना था कि वो 26 जनवरी 2019 को ही भारत छोड़ चुका था। जिस दिन की ये वारदात बताई जा रही है उस दिन वो लंदन में था। ऐसे में वो कैसे गैंगरेप में शामिल हो सकता है।

वरिंदर के बयान की पुष्टि बटिंडा पुलिस ने भी की। डीएसपी ने हाईकोर्ट में दाखिल कराई अपनी रिपोर्ट में बताया कि वरिंदर वाकई में वारदात वाले दिन भारत में नहीं था। पुलिस ने अपने हिसाब से और हर तरह से इस बात की तसदीक कर ली है। पुलिस की बात को सुनकर जस्टिस जगमोहन बंसल का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया।