देश भर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ताओं पर NIA और ED की छापेमारी जारी है। 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। आइए जानते हैं वे मामले जिनकी चर्चा से PFI सुर्खियों में आया था।
प्रोफेसर का काटा हाथ
PFI साल 2007 में तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से बना था। जुलाई 2010 में PFI कार्यकर्ताओं ने केरल के प्रोफेसर टीजे जोसेफ का दाहिना हाथ काट दिया था। इस मामले में 2015 में PFI के 13 कार्यकर्ताओं को दोषी पाया गया था, 10 कार्यकर्ता तो सीधे तौर पर शामिल पाए गए थे।
प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर पैगम्बर मोहम्मद के अपमान का आरोप लगाकर हमला किया गया था। तब प्रोफेसर केरल के एर्नाकुलम जिला में रहते थे। उन्होंने बी.कॉम सेकंड ईयर की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र तैयार किया था, जिसमें ‘मोहम्मद’ का जिक्र था। प्रोफेसर ने ‘मोहम्मद’ का इस्तेमाल लेखक पी टी कुंजू मोहम्मद के लिए किया था, जिसे पैगम्बर मोहम्मद से जोड़ लिया गया।
4 जुलाई 2010 को चर्च जाते समय प्रोफेसर पर 8 लोगों ने तलवार और चाकू से हमला किया था। वह बुरी तरह घायल हो गए थे। इस घटना के बाद कॉलेज ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। पत्नी ने सामाजिक दबाव और आर्थिक परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
आतंकी शिविर का किया आयोजन
2010 की घटना के बाद PFI के कार्यकर्ता कथित तौर पर सांप्रदायिक हिंसा से लेकर राज्य विरोधी गतिविधियों तक में शामिल पाए गए। साल 2016 में PFI के 21 सदस्यों को केरल के कन्नूर में एक आतंकी शिविर आयोजित करने के मामले में दोषी पाया गया था।
श्रीलंका में हुए बम धमाके के लिए PFI की जांच
2016 में फेडरल एजेंसियों ने ISIS के संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिनमें से कुछ PFI के सदस्य निकले थे। बाद में एनआईए ने श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए बम विस्फोटों के मामले में भी पीएफआई की जांच की। ईस्टर के दिन चर्चों और होटलों में हुए बम धमाकों में 200 से अधिक लोग मारे गए थे। आतंकी संगठन ISIS ने उन धमाकों की जिम्मेदारी ली थी।
काबुल के गुरुद्वारे में हुए हमले से जुड़ा नाम
साल 2020 में अफगानिस्तान के काबुल स्थित एक गुरुद्वारे में हुए हमले में 25 सिख मारे गए थे। हमलावरों में से एक केरल यूनिट के PFI का सदस्य बताया गया था। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ”काबुल गुरुद्वारा हमले में केरल का 29 वर्षीय मोहम्मद मुहसिन भी शामिल था। वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया सदस्य था। एक स्थानीय मंदिर पर पथराव के मामले में आरोपी होने के बाद वह दुबई भाग गया था। जहां से वह संभवत: पूर्वी अफगानिस्तान में आईएस के शिविरों में चला गया।” 2020 में हुए दिल्ली दंगे से भी पीएफआई का नाम जुड़ता है।