भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाया जा चुका है। इसका इंतजार भारत पिछले 16 सालों से कर रहा था। अमेरिका से प्रत्यर्पण कर इसे भारत लाया गया है। तहव्वुर राणा अभी 64 साल का है और 26/11 मुंबई हमले के पीछे का मास्टरमाइंड है। तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था और वह पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में शामिल था।
हेडली और राणा हैं बचपन के दोस्त
हालांकि 1990 के दशक में तहव्वुर आर्मी छोड़ कनाडा चला जाता है और उसके बाद अमेरिका चला जाता है। यहां पर उसने इमीग्रेशन बिजनेस शुरू किया था और यहीं पर वह 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड हेडली के संपर्क में आया था। डेविड हेडली और राणा बचपन के दोस्त हैं।
डेविड हेडली के संपर्क में आने के बाद तहव्वुर राणा लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया और मुंबई हमले की योजना बनाने में हेडली की उसने जमकर मदद की थी। तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि तहव्वुर राणा को फांसी हो सकती है या फिर नहीं?
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क्या राणा को हो सकती है फांसी?
तहव्वुर राणा की सजा को लेकर भारत के पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा कि यह वही शख्स है जिसने अंदर की बात बताई थी। गोपाल कृष्ण पिल्लई ने तहव्वुर राणा की सजा को लेकर कहा कि यह वही व्यक्ति था, जो भारत आया और फिर पाकिस्तान गया और सारी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इसे भारत में दोषी ठहराया जाएगा और उसे मृत्युदंड या फिर 10 साल से अधिक की सजा मिल सकती है। गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा कि राणा से पूछताछ के दौरान मुंबई हमले में पाकिस्तान की भूमिका भी स्पष्ट हो सकती है और सबूत मिल सकते हैं।
गोपाल कृष्ण पिल्लई के अनुसार तहव्वुर राणा ने मुंबई में अपने फर्म का दफ्तर खोला था और डेविड हेडली को काम दिया था। इसके बाद फिर उसे भारत आने के लिए वीजा दिलवाया। उनके अनुसार तहव्वुर राणा और डेविड हेडली को मामले की पूरी जानकारी थी। इसलिए भारतीय एजेंसियां जब उनसे पूछताछ करेंगी, तब सब कुछ सच्चाई बाहर आएगी। हालांकि गोपाल कृष्ण पिल्लई कहते हैं कि राणा वह व्यक्ति नहीं है जिसने ताज होटल और अन्य स्थानों की रेकी की थी। लेकिन उसे इन सब की जानकारी थी।