भारत और अमेरिका के बीच में रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो चुके हैं। टैरिफ को लेकर शुरू हुआ आर्थिक युद्ध कुछ महीने पहले शुरू हुआ था, अब वो पूरी तरह चरम पर है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर लगातार निशाना साधा जा रहा है।

टैरिफ को लेकर दो सवाल क्या हैं?

इस समय अमेरिका की तरफ से भारत पर टैरिफ को डबल कर दिया गया है, आने वाले समय में भारत को 50% तक टैरिफ देना पड़ेगा। लेकिन दो सवाल यहां पर बरकरार हैं- पहला सवाल तो यह कि जो डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी को अपना इतना अच्छा दोस्त मानते थे, आखिर वे भारत के इतनी ही ज्यादा खिलाफ क्यों हो गए? दूसरा सवाल यह कि जो पीएम मोदी अपने आक्रामक तेवर के लिए जाने जाते हैं, आखिर खुलकर एक बार भी उन्होंने क्यों डोनाल्ड ट्रंप की या फिर अमेरिका की आलोचना नहीं की?

अब जानकर इन दोनों ही सवालों के जवाब खोजने की कोशिश कर रहे हैं। बात सबसे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की करते हैं जिनके तेवर भारत के खिलाफ काफी आक्रामक हो गए हैं।

ट्रंप क्यों चल रहे भारत से नाराज?

एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप शायद भारत से ज्यादा हताश इसलिए हो चुके हैं क्योंकि वे समझ गए हैं कि भारत झुकने नहीं वाला है। कई दूसरे देश जरूर उनकी शर्तों को मानते हुए दिख रहे हैं, लेकिन भारत अपने स्टैंड पर कायम है।

एक थ्योरी यह भी चल रही है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने लगातार दावा किया कि उनकी तरफ से भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव को कम करवाया गया, उनकी वजह से ही सीजफायर हुआ, लेकिन भारत ने सामने से कभी भी इस बात को या फिर इस दावे को स्वीकार नहीं किया बल्कि कई मौके पर इसे गलत बताया। भारत सरकार तक ने इसे खारिज कर दिया. ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप इससे भी नाराज हो सकते हैं।

भारत ट्रंप का मुकाबला कैसे कर रहा?

अब ट्रंप की नाराजगी के दो कारण तो समझ आ रहे हैं, लेकिन शांत दिखाई दे रहे भारत की कूटनीति भी अलग ही चल रही है। माना हिंदुस्तान सामने से अमेरिका पर वार नहीं कर रहा है, लेकिन डिप्लोमेटिक चैनल्स के जरिए वो अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज करवा रहा है।

जानकार मानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप टैरिफ के जरिए जो दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उस वजह से दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है। कुछ देश ऐसे हैं जो पूरी तरह उस दबाव के आगे झुक चुके हैं, कहा जा सकता है उन्होंने सभी शर्तों को मान लिया है। इस कैटेगरी में बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों को शामिल किया जा सकता है। दूसरी तरफ वो देश भी खड़े हैं जिन्होंने ट्रंप के टैरिफ के जवाब में खुद भी अमेरिका पर भारी भरकम टैरिफ लगा दिए हैं, इस लिस्ट में चीन और कनाडा जैसे देश शामिल हैं।

अब सूत्रों ने भारत की रणनीति के बारे में बताया है कि वो बीच का रास्ता अपना रहा है। वो पब्लिक में किसी की भी आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन अपने मुद्दों पर मजबूती के साथ खड़ा हुआ है, वो ज्यादा शोर नहीं मचा रहा, लेकिन अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।

रूस से तेल ले रहा भारत, विवाद क्या है?

वैसे राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से भारत पर जो टैरिफ लगाए गए हैं, इसका एक बड़ा कारण रूस के साथ हिंदुस्तान की दोस्ती भी है। असल में जब से रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ा है, भारत ने सस्ता तेल रूस से आयात किया है। ट्रंप को इसी बात पर आपत्ति है और वे चाहते हैं कि भारत अपनी तेल की जरूरत को अमेरिका के जरिए पूरा करे।

यहां पर समझने की कोशिश करते हैं कि भारत असल में रूस से कितना तेल आयात कर रहा है, पिछले कुछ सालों में यह पैटर्न कितना बदला है। 2023 में जब रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ, पूरी दुनिया में तेल सप्लाई बाधित हुई, चिंता भारत के लिए थी- कहीं तेल की कीमतों में भारी उछाल ना आ जाए, कहीं पेट्रोल-डीजल के दाम सातवें आसमान पर ना पहुंच जाएं।

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उस समय तक भारत, रूस से ना के बराबर तेल ले रहा था, कुल आपूर्ति का 0.2 फीसदी सिर्फ वहां से आ रहा था। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद एक बड़ा शिफ्ट देखने को मिला और समय भारत का 40 फीसदी तेल रूस से आने लगा। नीचे दी गई टेबल से आसानी से समझा जा सकता है कि भारत इस समय अपनी तेल की आपूर्ति को कैसे पूरा कर रहा है और रूस उसमें कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है-

देश2021-222022-232023-242024-25
रूस2.10%19.10%33.40%35.10%
ईराक24.50%20.70%20.70%19.10%
सऊदी18.30%17.90%15.60%14.00%
यूएई10.00%10.40%6.40%9.70%
कुवेत6.10%4.90%3.10%2.80%
यूएस8.90%6.30%3.60%4.60%
मेक्सिको3.00%1.80%1.30%1.10%
कोलंबिया1.60%1.00%1.40%1.30%
मलेशिया0.90%0.80%2.00%0.50%
नाइजीरिया7.60%3.70%2.40%2.20%
ईरान0.00%0.00%0.00%0.00%
वेनेजुएला0.00%0.00%0.60%1.00%
अन्य17.00%13.40%9.50%8.60%
भारत के तेल आयात में किस देश की कितनी हिस्सेदारी (सोर्स- EY)

अब ऊपर दी गई टेबल से समझ आता है कि 2021-22 तक तो भारत, रूस से काफी कम तेल आयात करता था, कुल आंकड़े का वो सिर्फ 2.10 फीसदी था। इसके बाद 2022-23 में आंकड़ा बढ़कर 19.10% पहुंचा और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध ने तो सारे समीकरण बदल दिए और आंकड़ा सीधे 33.40% तक चला गया। 2024-25 की बात करें तो भारत ने रूस से 35.10% तेल आयात किया है।

अमेरिका को क्यों लगी मिर्ची?

इसी तरह अगर नजर ईराक और सऊदी जैसे देशों पर डालेंगे तो वहां से किसी जमाने में भारत सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा था। उदाहरण के लिए 2021-22 में भारत की कुल तेल आपूर्ति का 24.50% हिस्सा ईराक ने पूरा किया था, उसी साल सऊदी ने भी भारत की 18.30% जरूरत को पूरा किया। लेकिन 2024-25 की बात करें तो स्थिति पलट चुकी है, ईराक का हिस्सा सिर्फ 19.10% रह गया है तो वहीं सऊदी भी 14.00% पर सिमट गया।

जिस अमेरिका को सबसे ज्यादा मिर्ची लग रही है, उससे तो भारत ने अपने तेल की आपूर्ति काफी कम पूरी की है। कहाजा सकता है कि भारत इस मामले में अमेरिका पर बिल्कुल भी निर्भर नहीं है। आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं और कहा जा सकता है कि इसी वजह से अमेरिका नाराज भी है। 2021-22 में अगर अमेरिका से भारत की तेल की 8.90% पूरी हो रही थी, 2024-25 तक वो आंकड़ा सिर्फ 9.70% रह चुका है।

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P Vaidyanathan Iyer के इनपुट के साथ