गुलाम नबी आजाद के समर्थन में कांग्रेस छोड़ने वालों का सिलसिला जारी है। मंगलवार को 65 नेताओं के इस्तीफे के बाद, अब बुधवार को 42 और नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इस तरह आजाद के समर्थन में कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का आंकड़ा 100 को पार कर चुका है। कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री से लेकर पूर्व डिप्टी तक शामिल हैं। उनका कहना है कि वह सभी आजाद की नई पार्टी का हिस्सा होंगे।

ऐसा ही एक नाम हैं ताज मोहिउद्दीन। कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन ने रविवार को पार्टी छोड़ गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाले मोर्चे में शामिल हो गए। कांग्रेस छोड़ आजाद के साथ जाते हुए मोहिउद्दीन ने कसम खायी, ”मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारा भाजपा से कोई रिश्ता नहीं है और मैं अल्लाह की कसम खाता हूं। हम धर्मनिरपेक्ष हैं और किसी भी तरह से गैर-धर्मनिरपेक्ष पार्टी के साथ कोई संबंध नहीं रख सकते हैं।

बता दें कि आजाद द्वारा नई पार्टी बनाने की घोषणा के बाद से ही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा इसे भाजपा की एक अन्य परियोजना के रूप में देखा रहा था। लेकिन मोहिउद्दीन ने स्पष्ट किया है कि नई पार्टी का भाजपा से कोई संबंध नहीं होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आजाद के रिश्ते निजी हैं न कि राजनीतिक।

कौन हैं ताज मोहिउद्दीन?

ताज मोहिउद्दीन जम्मू-कश्मीर के एक प्रमुख गुर्जर नेता। अर्थशास्त्र पोस्ट-ग्रजुएट मोहिउद्दीन साल 1986 में कांग्रेस में शामिल हुए। 77 वर्षीय मोहिउद्दीन मूल रूप से जम्मू प्रांत के रहने वाले हैं, लेकिन कई दशकों से उन्होंने घाटी के सीमावर्ती क्षेत्र उरी को अपना राजनीतिक मैदान बना रखा है। उरी में गुर्जरों और पहाड़ियों की मिश्रित आबादी है, जो जम्मू-कश्मीर के दो सबसे बड़े आदिवासी समुदाय हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में गुर्जरों की आबादी लगभग 10 लाख थी। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के लगभग सभी गुर्जर मुसलमान हैं।

उरी नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ हुआ करता था, पार्टी के मोहम्मद शफी का तीन दशकों से अधिक समय तक विधानसभा सीट पर कब्जा रहा। लेकिन 2002 में मोहिउद्दीन ने शफी को यहां से हरा दिया। 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर जीत हासिल की। 2014 में शफी ने सीट वापस ले ली, लेकिन तब तक मोहिउद्दीन ने खुद को कांग्रेस नेता के रूप में स्थापित कर लिया था।

2002 की जीत इतनी शानदार थी कि इसने मोहिउद्दीन को कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया था। 2009 में जब कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर सत्ता में लौटी तो मोहिउद्दीन फिर से मंत्री बनाए गए।

घोटाले का आरोप

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद वहां चुनावी राजनीतिक ठंडी पड़ गयी थी। साल 2020 में उरी में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव हुआ। मोहिउद्दीन ने सबको चौकते हुए घोषणा की कि वह डीडीसी का चुनाव लड़ेंगे। मोहिउद्दीन मैदान में उतरने वाले एकमात्र पूर्व मंत्री थे। उन्होंने उरी से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में डीडीसी चुनाव जीता। इसके बाद से ही डीडीसी की हालत खराब है।

मोहिउद्दीन का शोपियां में भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने के आरोपों समेत कई विवादों में नाम है। डीडीसी चुनाव की दौड़ में शामिल होने के कुछ दिनों बाद सीबीआई ने उन पर कथित भूमि घोटाले में मामला दर्ज किया था जो जांच एजेंसी के समक्ष लंबित है।