टीएन शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो उनके साथ एक अजीब वाकया घटा। बात 28 फरवरी, 1992 की है। टीएन शेषन को उन दिनों एनएसजी की सुरक्षा मिली हुई थी। वह अपनी बुलेटप्रूफ कार से जा रहे थे। घर की तरफ उनका छोटा सा काफिला बढ़ा जा रहा था। उनके काफिले में एक पायलट गाड़ी आगे थी और पीछे एक एस्कॉर्ट कार चल रही थी।
पायलट कार के आगे एक सफेद मारुति चल रही थी। मारुति कार का ड्राइवर पायलट कार को आगे निकलने ही नहीं दे रहा था। पायलट कार सायरन बजा रही थी लेकिन मारुति कार चलाने वाले शख्स पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
जाहिर है कि उस वक्त पायलट कार का ड्राइवर काफी झल्ला चुका होगा। शेषन को इस बात का अनुमान भी था क्योंकि वह प्रधानमंत्री की सुरक्षा के प्रभारी भी रह चुके थे। उन्होंने अपनी कार के ड्राइवर से कहा कि वह पायलट कार को ओवरटेक कर लें। यह सुनते ही शेषन की कार में बैठे कमांडो ने ड्राइवर की गर्दन पर बंदूक रखी और कहा- ओवरटेक करेगा तो गोली मार दूंगा।

पीएसओ से पूछा- क्या चल रहा है?
टीएन शेषन हैरान थे। उन्होंने पीछे मुड़कर अपने पीएसएओ की ओर देखा और पूछा- ये चल क्या रहा है? पीएसओ बोला- पायलट कार को ओवरटेक करने की इजाजत नहीं है। फिर शेषन भी शांत बैठ गए। बस इतना कहा कि ड्राइवर के साथ जो बर्ताव किया गया वह सही नहीं था।
उस वक्त शेषन का काफिला इंडिया गेट के पास से गुजर रहा था। शेषन ने ड्राइवर को गाड़ी रोकने के लिए कहा। आंध्र प्रदेश भवन के पास गाड़ी धीरे हुई। पायलट कार भी रुक गई। गाड़ी में से रैंक अफसर बाहर निकला और पूछा- क्या बात है? सारी स्थिति को जानने के बाद उसने उस कमांडो की ओर से माफी मांगी।
शेषन इस बात पर खफा थे कि जिस व्यक्ति ने उनके ड्राइवर को उनकी ही गाड़ी में धमकी दी और उसकी गर्दन पर बंदूक रखी, वह शख्स उनके सुरक्षा काफिले में नहीं होना चाहिए। इसके बाद उस कमांडो को गाड़ी से उतार दिया गया और शेषन का ड्राइवर उनको लेकर घर गया।

NSG chief Subramaniam: एनएसजी प्रमुख ने मांगी माफी
जब शेषन घर पहुंचे तो अफसर ने उन्हें बताया कि उन्हें इस सारी घटना की रिपोर्ट अपने सीनियर अफसर को देनी होगी। शेषन ने कहा- आपको जो करना है कीजिए। इसी बीच शेषन ने एनएसजी प्रमुख डॉक्टर सुब्रमण्यम से बात की।
सुब्रमण्यम ने माफी मांगी और अपने डिप्टी को उनके पास भेजा। शेषन ने डिप्टी के साथ भी वही बात दोहराई। जिस व्यक्ति ने मेरे ड्राइवर के साथ ऐसा बर्ताव किया वह मुझे अपने सुरक्षा काफिले में नहीं चाहिए। उस कमांडो को बदल दिया गया। इसके बाद शेषन के लिए बात खत्म हो गई। लेकिन कुछ दिनों बाद, 17 मार्च को यह मीडिया में खबर बन गई और वह भी बिल्कुल अलग ही रूप में।
समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ़ इंडिया यूएनआई ने यह खबर जारी की। कई अखबारों में यह पूरी कहानी छपी। इसमें जो सबसे दिलचस्प था वह यह कि उन्होंने घटना का ब्यौरा देते हुए बताया कि सेशन की कार का जिस कार ने रास्ता रोका उसे आखिरकार ओवरटेक कर रुकवाया गया और शेषन ने अपने गार्ड को उस कार में सवार व्यक्ति पर फायर करने का ऑर्डर दिया।

T N Seshan through the broken glass: शेषन की बायोग्राफी
शेषन ने इस किस्से का जिक्र अपनी बायोग्राफी थ्रू द ब्रोकन ग्लास में किया है। रूपा प्रकाशन से यह बायोग्राफी उनकी मृत्यु के बाद सामने आई थी।