भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आपातकाल विरोधी आंदोलन से पैदा हुए नेता हैं। आर्ट्स और मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले नकवी के नेता बनने की कहानी दिलचस्प है। जनसत्ता डॉट कॉम के कार्यक्रम ‘बेबाक’ में मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने नेता बनने की कहानी बताई। कार्यक्रम में जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा से बातचीत में नकवी ने निजी और राजनीतिक सफर से जुड़ी कई यादें साझा कीं।
जनसंघ से कैसे जुड़े नकवी?
जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था तब मुख्तार अब्बास नकवी छात्र जीवन में थे। उसी दौरान वह इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन में शामिल होने लगे थे। जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा ने जब उनके जनसंघ के करीब आने की कहानी पूछी तो उन्होंने शिवेंद्र तिवारी नाम के ABVP कार्यकर्ता का जिक्र कर कहा, “शिवेंद्र तिवारी नाम के मेरे एक साथी थे। वह विद्यार्थी परिषद (ABVP) में थे। उन्होंने ही मुझे जनसंघ/भाजपा की तरफ आकर्षित किया। वह मुझसे बहुत सीनियर थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्टूडेंट लीडर थे। छात्र संघ का चुनाव भी लड़ना चाहते थे लेकिन लड़ नहीं पाए। उन्होंने काफी आकर्षित कराया (जनसंघ के प्रति)।”
अपनी दोस्ती की गहराई बताते हुए नकवी कहा, “मेरा उनसे आपातकाल से पहले से परिचय था। दोस्ती थी। हम दोनों एक दूसरे के यहां खाना खाने जाते थे। कई बार वह मुझे संघ के कार्यक्रम में ले गए। तो उससे भाजपा (तब जनसंघ) को लेकर जो कन्फ्यूजन था वह दूर हुआ। तब मुझे यह लगा कि यह भी एक राजनीतिक दल है। और मैं समझ पाया कि कांग्रेस पार्टी जो एक तरह से साम्प्रदायिक शोषण करती है, उससे बेटर है यह जगह।”
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पहले जनसंघ के बारे में क्या सोचते थे?
नकवी से अगला सवाल था कि पहले वह जनसंघ को लेकर क्या सोचते थे और बाद में उन्हें ऐसा क्या बताया गया कि उनका मत परिवर्तन हो गया?
जवाब में उन्होंने कहा, “नहीं! बताया किसी ने नहीं। मैंने खुद ही उसे समझा और जाना। मुझे लगा कि जो पिक्चर पेंट की गई (जनसंघ को लेकर जो परसेप्शन बनाया गया है) वह ठीक नहीं है। मैं आपको बताऊं, कांग्रेस का टाइम था, जब हम लोग अरेस्ट हुए तो उस समय कम्यूनल भावना दिखी थी मुझे। ऐसे लोग (कम्यूनल) मुस्लिम धर्म में भी हैं। दूसरे धर्मों में भी है। यह व्यक्तियों पर निर्भर करता है। मुझे नहीं लगता कि इसे पार्टी के रूप में देखने की जरूरत है।”
पार्टी में धर्म के आधार पर भेदभाव न होने का उदाहरण देते हुए कहा, “मैं जनता युवा मोर्चा में सभी पदों पर रहा। वाइस प्रेसिडेंट रहा। तब पद बहुत कम होते थे। दो वाइस प्रेसिडेंट। एक प्रेसिडेंट। एक सेक्रेटरी। उसके बाद मैं पार्टी में सेक्रेटरी रहा। जनरल सेक्रेटरी रहा। तब जनरल सेक्रेटरी भी चार हुआ थे, राजनाथ जी थे, अरुण जेटली जी थे, प्रमोद महाजन जी थे और मैं था। पार्टी के शीर्ष पदों पर काम किया। पार्टी की जो सैद्धांतिक प्रतिबद्धता है, उसपर काम किया। और मैं प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हूं। लेकिन मुझे कभी नहीं लगा कि कोई मेरी धार्मिक आस्था पर चोट कर सकता है।”
‘गला दबा कर जय श्री राम कहलवाना गलत’
व्यक्तिगत तौर पर भेदभाव न महसूस करने वाले नकवी से विजय कुमार झा ने पूछा, आपकी धार्मिक आस्था पर कोई चोट नहीं कर सकता, ऐसा आपको व्यक्तिगत तौर पर लगा। लेकिन इस तरह की बातें तो आप देखते ही हैं, जैसे- जय श्रीराम बुलवाना, मस्जिद पर झंडा फहराना… इस तरह की घटनाएं तो हो रही हैं न। व्यक्तिगत तौर पर तो आपको कोई इस तरह की भावना नहीं महसूस हुई। लेकिन इन घटनाओं को आप मुस्लिम समाज के लिहाज से कैसे देख रहे हैं?
इसके जवाब में नकवी ने कहा, “मुझे लगता है जय श्रीराम की बात जो आप कह रहे हैं तो जय श्रीराम गले लगाकर हो सकता है। गला दबाकर नहीं हो सकता है। जो लोग यह सोच रहे हैं कि गला दबाकर जय श्रीराम कराएंगे तो ये जबरदस्ती की बात है।”
बकरीद पर योगी ने भिजवाए आम
नकवी ने यह भी बताया कि हर ईद-बकरीद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्य नाथ उन्हें फोन कर बधाई देते हैं। योगी तो तोहफा भी भिजवाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरफ से इस बकरीद पर क्या तोहफा आया था।
इलाहाबाद के कंपनी गार्डन से क्या है कनेक्शन
मुख्तार अब्बास नकवी ने अंतरजातीय शादी की है। उनकी पत्नी सीमा से उन्हें इलाहाबाद में प्यार हुआ था और शहर के एक पंसदीदा ठिकाने (कंपनी गार्डन) पर दोनों की अक्सर मुलाकातें होती थीं। 1983 में दोनों ने शादी कर ली।
फिल्म के लिए स्क्रीन राइटिंग कर चुके हैं नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक करियर और उनके लव लाइफ पर मीडिया में अक्सर बात होती है। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं कि नकवी ने कॉरपोरेट और ट्रैफिक सिग्नल जैसी फिल्मों की स्क्रीन राइटिंग की है। मधुर भंडारकर निर्देशित ‘कॉरपोरेट’ फिल्म में बिपाशा बसु, के.के. मेनन, राज बब्बर और रजत कपूर जैसे कलाकारों ने काम किया था।
कोरोना काल में मुख्तार अब्बास नकवी ने एक साल में तीन उपन्यास भी लिख दिया था। वह अब भी खाली समय का इस्तेमाल लिखने और पढ़ने में करते हैं।