जस्टिस सैयद जफर इमाम (Justice Syed Jaffer Imam) 10 जनवरी 1955 को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए और 31 जनवरी 1964 को अपने निधन तक इस पद पर रहे। 31 जनवरी 1964 को ही सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस बीपी सिन्हा रिटायर होने वाले थे। उस वक्त जस्टिस इमाम सबसे वरिष्ठ जज थे, और अगला CJI बनने की कतार में थे। हालांकि उनके जूनियर जस्टिस पीबी गजेंद्रगाडकर (PB Gajendragadkar) जस्टिस सिन्हा के बाद चीफ जस्टिस बने।
दिग्गज एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन पब्लिकेशन से प्रकाशित अपनी किताब, ‘Supreme Whispers’ में इस किस्से का विस्तार से जिक्र करते हैं। वह लिखते हैं कि जस्टिस इमाम पिछले 3 सालों से बीमार चल रहे थे। उन्हें हार्ट की प्रॉब्लम थी और स्ट्रोक आ चुका था। चीफ जस्टिस बीपी सिन्हा (Justice B.P. Sinha) उनकी सेहत का ध्यान रखते हुए उन्हें बहुत कम काम असाइन किया करते थे, लेकिन जस्टिस इमाम की खराब मानसिक हालत दूसरे जजों और वकीलों के बीच चर्चा का विषय बन गई थी।
कोर्ट में सो जाते थे जस्टिस इमाम
उन दिनों जस्टिस इमाम के साथ बेंच में बैठने वाले जस्टिस सुब्बाराव ने शिकायत की कि जस्टिस इमाम काम पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं और वकीलों की दलील भी ढंग से नहीं सुनते हैं। यहां तक कि कई बार कोर्ट में ही सो जाते हैं। कई बार तो ऐसा हुआ कि जस्टिस इमाम 300 रुपये कहना चाह रहे हैं और 30000 कह दिया। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज भी इस बात को लेकर चिंतित थे कि जब जस्टिस इमाम बतौर न्यायाधीश ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं तो चीफ जस्टिस के तौर पर किस तरह काम करेंगे? जस्टिस इमाम की सेहत इतनी खराब थी कि हर दिन उनकी पत्नी और एक नर्स उन्हें सुप्रीम कोर्ट लेकर आती थीं।
पंडित नेहरू को सता रहा था पाकिस्तान का डर
जब प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जस्टिस इमाम की सेहत के बारे में पता चला तो वे चिंतित हो गए। उन्हें लगा कि यदि जस्टिस इमाम को मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया गया तो पाकिस्तान को लगेगा कि एक मुस्लिम जज को नजरअंदाज कर दिया गया। जस्टिस इमाम का परिवार नेहरू परिवार का पहले से करीबी था और कांग्रेस की सियासत में बड़ा योगदान था।
मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव लिखते हैं कि अपने रिटायरमेंट से कुछ वक्त पहले चीफ जस्टिस सिन्हा सीधे पंडित नेहरू के पास गए और उनसे कहा कि आप जस्टिस इमाम को चाय पर बुलाइये, लेकिन ध्यान रखिए कि उनकी पत्नी साथ ना आएं और उनसे बस एक शब्द बोलने को कहिए- ‘सुप्रीम कोर्ट’। यदि वो यह शब्द साफ-साफ बोल देते हैं तो आप उनको चीफ जस्टिस बना दीजिए।
गणित के साधारण सवाल हल नहीं कर पाए थे जस्टिस इमाम
चीफ जस्टिस बीपी सिन्हा ने पंडित नेहरू को सुझाव दिया कि जस्टिस इमाम की मेडिकल जांच भी करानी चाहिए। यदि इसमें फिट पाए जाएं तो उन्हें चीफ जस्टिस बना दिया जाए। बाद में पंडित नेहरू ने सीजेआई सिन्हा को बताया कि एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने जस्टिस इमाम का परीक्षण किया और उन्हीं के शब्दों (जस्टिस सिन्हा के शब्दों) में जस्टिस इमाम के अंदर हाई स्कूल के बच्चे जैसा इंटेलिजेंस भी नहीं था। जस्टिस इमाम को डॉक्टरों ने गणित के 3 साधारण सवाल दिये, लेकिन हल नहीं कर पाए।
एम्स के डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर नेहरू सरकार ने तय किया कि जस्टिस इमाम को अगला चीफ जस्टिस बनाना उचित नहीं है। इस तरह जस्टिस पीबी गजेंद्रगाडकर (PB Gajendragadkar) चीफ जस्टिस बने।