शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर, 2012 को हुआ था। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में कई विवादास्पद दिए। संसद में महात्मा गांधी के हत्यारे के तारीफ में प्रज्ञा ठाकुर (भाजपा सांसद) के बोलने से लगभग तीन दशक पहले बाल ठाकरे ने नाथूराम गोडसे की खुलेआम प्रशंसा की थी। ठाकरे ने कहा था कि उन्हें नाथूराम गोडसे पर गर्व है।
हत्यारे की तारीफ में पढ़े कसीदे
शिवाजी, विनायक दामोदर सावरकर, हिटलर, सचिन तेंदुलकर पर किताब लिखने वाले वैभव पुरंदरे ने बाल ठाकरे और शिवसेना पर भी पुस्तक लिखी है। पुरंदरे ने अपनी किताब “Bal Thackeray & The Rise of the Shiv Sena” में बाल ठाकरे के 1991 के उस बयान को छापा है, जिसमें उन्होंने गोडसे की तारीफ की थी।
1991 की बात है। आम चुनाव को लेकर नेता प्रचार में जुटे थे। 17 मई को बाल ठाकरे भाजपा उम्मीदवार अन्ना जोशी के समर्थन में रैली करने पुणे (जहां गोडसे और उसका परिवार रहता था) पहुंचे। पुणे के अलका टॉकीज स्क्वायर पर चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सेना संस्थापक ने कहा था कि उन्हें नाथूराम गोडसे पर गर्व है:
“नाथूराम कोई भाड़े के हत्यारे नहीं थे। वह महात्मा गांधी द्वारा देश के साथ किये गये विश्वासघात से क्रोधित थे। किसी भी व्यक्ति की हत्या एक बुरा कृत्य है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। लेकिन हमें ऐसी घटनाओं के पीछे के कारणों का पता लगाना चाहिए। महात्मा गांधी ने देश को धोखा दिया। उन्होंने कहा था कि देश का विभाजन होने से पहले अपनी जान दे देंगे। लेकिन अंततः उन्होंने विभाजन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसके अलावा, उन्होंने उस समय पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने पर जोर दिया जब देश विभाजन से तबाह हो गया था। इसी गुस्से के कारण नाथूराम को वह करना पड़ा जो उसने किया। उन्होंने (गोडसे) देश को एक और विभाजन से बचा लिया। उनकी प्रेरणा राष्ट्रवादी गौरव थी। उनका कोई स्वार्थी मकसद नहीं था।”
यहूदियों का नरसंहार करने वाले हिटलर के फैन थे बाल ठाकरे
बाल ठाकरे यहूदियों का नरसंहार करने वाले जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने कहा था कि भारत में दिखावटी लोकतंत्र है और देश को एक तानाशाह की जरूरत है। वह खुद भारत का तानाशाह बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने 2007 में अंग्रेजी मैगजीन ‘एशिया वीक’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मैं हिटलर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और मुझे ऐसा कहने में कोई शर्म नहीं है।” ठाकरे जर्मन तानाशाह को इतना अधिक क्यों पसंद क्यों करते थे, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें-

“हिंदू राष्ट्र के लिए खड़े थे बाल ठाकरे”
शिवसेना लंबे समय से ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को घृणित मानती रही है। पार्टी के एक बड़े नेता खुद मानते हैं कि बाल ठाकरे का धर्मनिरपेक्षता से कोई सरोकार नहीं थी। इसे साल 2015 की एक घटना से समझिए। उस वर्ष सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अखबारों में विज्ञापन दिया था। विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना छपी थी, लेकिन प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ नहीं था।
विज्ञापन को लेकर जमकर विवाद हुआ। कांग्रेस ने विज्ञापन को वापस लेने की मांग की। लेकिन तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने सफाई देते हुए कहा कि विज्ञापन में ‘मूल’ प्रस्तावना की तस्वीर छाप है। मूल प्रस्तावना यानी 42वें संविधान संशोधन से पहले वाले संविधान की प्रस्तावना। इंदिरा गांधी सरकार में 42वें संविधान संशोधन से प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द जोड़ा गया था।
इसी विवाद पर सरकार का साथ देते हुए शिवसेना के बड़े नेता संजय राउत ने मांग की थी कि दोनों शब्दों को आधिकारिक तौर पर एक संशोधन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना से हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, “सेना के संस्थापक बाल ठाकरे हिंदू राष्ट्र के लिए खड़े थे और बाबासाहेब के दिमाग में धर्मनिरपेक्षता के लिए कोई जगह नहीं थी।”