कांग्रेस पार्टी को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में नया अध्यक्ष मिल गया है। उन्होंने तिरुवंतपुरम के सांसद शशि थरूर को 6825 वोटों से करारी शिकस्त दी है। शशि थरूर ने इस चुनाव में महज 1,072 वोट हासिल किये, लेकिन उन्होंने अलग छाप छोड़ी है। थरूर ने घोषणा कर दी है कि उन्हें पार्टी में अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

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शशि थरूर को मिला 12 प्रतिशत वोट शेयर यह दर्शाता है कि कांग्रेस में बदलाव की भूख है या दूसरे शब्दों में कहें तो पार्टी की वर्तमान स्थिति के प्रति नाराजगी भी है। मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेतृत्व को थरूर को एक प्रभावशाली नेता और चुनावों के दौरान उनके द्वारा पेश की गई भावना को स्वीकारना होगा 

चुनाव परिणाम के बाद थरूर के करीबी लोगों ने कहा कि खड़गे इस पद पर स्थापित किए गए प्रत्याशी की तरह थे। इसके बावजूद थरूर को मिले वोट उनकी छवि को काफी प्रभावशाली बनाते हैं । थरूर खेमे ने कई राज्यों में चुनाव के दौरान धांधली के आरोप भी लगाए हैं। उनके मुताबिक थरूर को 1,072 से ज्यादा लोगों ने वोट दिया है ।  

थरूर को को मिले 1,072 वोट जी-23 ग्रुप के बड़े नेताओं के लिए भी आश्चर्य की बात हो सकती है, क्योंकि ये वोट उनके समर्थन के बिना थरूर ने अपने दम पर हासिल किया है। जी-23 ग्रुप के लिए अब थरूर को नजरंदाज करना आसान नहीं होगा। अगर जी-23 ग्रुप के सदस्य इस चुनाव में थरूर को समर्थन करते तो तस्वीर कुछ अलग हो सकती थी, लेकिन इस चुनाव में थरूर ने जो भी हासिल किया उसका क्रेडिट उन्हें ही मिलेगा 

अब थरूर के लिए क्या बचा है?

क्या कांग्रेस का आलाकमान अब थरूर को कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल करेगा या उन्हें पार्टी में कुछ प्रमुख स्थान देगा, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि उनके खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है। क्या चुनाव के दौरान उनके द्वारा की गई कई शिकायतों के बाद पार्टी और उनके बीच कुछ कड़वाहट आई है? क्या कांग्रेस थरूर को अपने बड़े नेता की तरह प्रोजेक्ट करेगी? क्या थरूर लोकसभा में पार्टी नेता के रूप में ऊर्जावान अधीर रंजन चौधरी की जगह लेंगे? सियासी गलियारों में इन्हीं सवालों के इर्दगिर्द चर्चा छिड़ी है।

आपको बता दें कि थरूर 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और वह तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस संगठन के लिए कोई प्रभावशाली काम नहीं किया है। 2017 के बाद से अखिल भारतीय पेशेवर कांग्रेस के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल को छोड़कर दिल्ली के आला हलकों के बाहर उनका किसी भी तरह का दबदबा महसूस नहीं किया गया। 

थरूर का समर्थन करने वाले एकमात्र G-23 नेता, संदीप दीक्षित ने कहा कि वह भारत के करोड़ों युवा, आकांक्षी लोगों के लिए एक आदर्श हो सकते हैं। थरूर ने भी “थिंक थरूर, थिंक टुमॉरो” जैसे नारों के ज़रिए युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का निरंतर प्रयास किया है।

थरूर ने अपने घोषणापत्र में संगठन में सुधार पर काफी ज़ोर दिया, क्या कांग्रेस पार्टी उनके द्वारा दिए गए बिन्दुओं पर विचार करेगी? नतीजे आने के बाद, थरूर ने खड़गे को बधाई देते हुए एक बयान जारी किया और उन्हें “वरिष्ठ” कहा। उन्होंने सोनिया गांधी को भी धन्यवाद दिया, उन्होंने कहा कि “इस चुनाव प्रक्रिया को अधिकृत करने का उनका निर्णय, जिसने हमें भविष्य के लिए नए रास्ते दिए हैं, निसंदेह हमारी पार्टी के लिए उनकी दूरदर्शिता का उपयुक्त उदाहरण है”।

थरूर ने कहा कि उनका मानना है कि यह  चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, यह आखिरकार पार्टी को मजबूत करेने वाले चुनाव होंगे।