अपनी टूट चुकी पार्टी की पहचान अपने साथ रखने की लड़ाई में जुटे शरद पवार आजकल चर्चा में हैं। हालांक‍ि, कुछ लोग यह आशंका भी जता रहे हैं क‍ि यह लड़ाई पवार की ल‍िखी स्‍क्र‍िप्‍ट का ही ह‍िस्‍सा हो सकता है। ऐसे लोग इस शक का आधार अज‍ित पवार के उस बयान में भी तलाशते हैं क‍ि प‍िछली बार जब उन्‍होंने (अज‍ित) देवेंद्र फड़णवीस सरकार में सुबह-सुबह ड‍िप्‍टी सीएम की शपथ ली थी तो इसकी जानकारी शरद पवार को थी। पवार बड़ा मकसद साधने के ल‍िए झूठ बोलते रहे हैं। ऐसे एक प्रसंंग का ज‍िक्र उन्‍होंने अपनी आत्‍मकथा में भी क‍िया है। उन्‍होंने ल‍िखा है क‍ि सीएम रहते महाराष्‍ट्र को ह‍िंंदू-मुस्‍ल‍िम दंगों की आग से बचाने के ल‍िए उन्‍होंने मुंबई में हुए सीर‍ियल ब्‍लास्‍ट्स से जुड़ा एक झूठ बोला था।

क्‍या हुआ था?

6 मार्च, 1993 को शरद पवार चौथी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे और 12 मार्च, 1993 को मुंबई में भयानक सीरियल बम ब्लास्ट हुआ। एक के बाद एक 12 धमाके। एक ब्लास्ट के चश्मदीद तो खुद सीएम पवार भी बने।

वह आत्मकथा (शरद पवार: अपनी शर्तों पर) में इस घटना को याद करते हुए लिखते हैं, “मैं अपने मंत्रालय की छठी मंजिल पर बैठा था कि नजदीक के इलाके से ही भारी विस्फोट की आवाज सुनाई दी। मैं दौड़कर खिड़की के पास गया तो देखा, एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर, नरीमन प्वाइंट पर एयर इंडिया बिल्डिंग के पास हंगामा मचा है। उस इमारत से आग और धुआं निकल रहा था। चूंकि पचास मिनट पहले ही मुझे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर हुए बम विस्फोट का समाचार मिला था इसलिए मैंने तुरंत अन्दाज लगा लिया कि यह भी बम विस्फोट की घटना है। मैं तुरंत ही मौके पर पहुंचना चाहता था लेकिन मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने मुझे रोक दिया।” शासन-प्रशासन को मात्र कुछ ही घंटों में यह स्पष्ट हो गया कि मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ है।

पवार ने दूरदर्शन से संबोधन में बोला एक झूठ

6 द‍िसंबर, 1992 को अयोध्‍या में व‍िध्‍वंस की घटना के बाद महाराष्‍ट्र में भड़की हिंदू-मुस्लिम दंगों की आग अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुई थी कि मुंबई बम धमाकों से दहल उठी थी। पवार ल‍िखते हैं- इन धमाकों के बाद एक बार फ‍िर साम्प्रदायिक दंगों का खतरा मंडरा रहा था। हमले के लिए सीमा पार से समुद्र के रास्ते आर.डी.एक्स. आया था। सभी ब्लास्ट या तो व्यावसायिक केन्द्रों पर हुए थे या हिन्दू बाहुल्य इलाके में। जाहिर है, यह एक बार फिर से हिन्दुओं-मुसलमानों के बीच दंगा भड़काने का प्रयास था।

स्थिति और बिगड़े उससे पहले सीएम पवार सीधे वरली स्थित दूरदर्शन के कार्यालय पहुंचे। वहां से उन्होंने महाराष्ट्र की जनता को संबोधित करते हुए अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील। पूरे दिन की घटनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने बताया कि 13 जगहों पर बम धमाके हुए हैं। जबकि वास्तव में 12 स्थानों पर विस्फोट हुए थे। दूरदर्शन के कार्यालय से निकल सीएम सीधे एक मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र में पहुंच गए। हालांकि वहां पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी।

सीएम ने झूठ क्यों बोला?

शरद पवार बताते हैं, “यह ट्रिक केवल यह दिखाने के लिए थी कि विस्फोटों के पीछे कोई ‘धार्मिक रंग’ नहीं है। हमारी यह ट्रिक सफल हुई और आतंकवादी हिंदू-मुस्लिम दंगा करवाने में असफल रहे।”

मुंबई दंगों के बारे में बाद में वी.एन. श्रीकृष्ण (जस्टिस) के नेतृत्व में एक जांच आयोग का गठन हुआ। आयोग ने पवार से विस्फोटों की संख्या के बारे में गलत बयान देने के बारे में पूछा। तब पवार ने बताया कि यह उनका सचेतन निर्णय था और आयोग के सामने उन्होंने परिस्थिति का वर्णन किया। पवार लिखते हैं “जस्टिस श्रीकृष्ण ने मेरे प्रयास को ‘राज्य के जिम्मेदार व्यक्ति की सूझ-बूझ का शानदार उदाहरण’ बताते हुए तारीफ की।”

अयोध्‍या में ढांचा ढहाए जाने के बाद महाराष्‍ट्र में गई थीं 2000 जानें

अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में हिंदू-मुस्लिम दंगों का सिलसिला चल पड़ा था। तब राज्य की कमान सुधाकर नाइक के पास थी। दंगों की आग से मंडी बाजार, डोंगरी, नागपाड़ा और मुम्बई शहर के उत्तरी भाग के इलाके प्रभावित थे। पहले तीन दिनों में दंगाइयों ने करीब 100 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

7 जनवरी, 1993 को जोगेश्वरी की राधाबाई चाल में बदमाशों ने आग लगा दी। पांच लोग जिंदा जल गए। पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण के लिए गोलियां चलाई। दिसंबर से जनवरी तक की हिंसा में करीब 2000 लोगों की जान चली गई। शरद पवार अपनी आत्मकथा ‘अपनी शर्तों पर’ में बताते हैं कि राज्य के बिगड़ते हालात को देख, केंद्र की नरसिम्हा राव राव सरकार ने उनसे कमान संभालने का आग्रह किया।

पवार नहीं बनना चाहते थे CM, नरस‍िंह राव नहीं माने

जनवरी के बाद दंगे तो बंद हो गए लेकिन मुंबई की आर्थिक स्थिति नॉर्मल नहीं हो रही थी। अनेक छोटे उद्योगों के मालिक राज्य से भाग रहे थे। कुटीर उद्योग बंद हो रहे थे। और इससे हजारों लोग बेरोजगार हो रहे थे। शरद पवार का दावा है कि उन्हीं दिनों प्रधामंत्री राव ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने को कहा। लेकिन पहले ही तीन बार सीएम रह चुके पवार अब राष्ट्रीय राजनीति में भविष्य तलाशना चाहते थे। उन्होंने पीएम से कहा, “यदि आप वर्तमान मुख्यमंत्री को बदलना ही चाहते हैं तो उनके पद पर किसी नए व्यक्ति को जिम्मेदारी दे दीजिए। मैं उसको पूरा सहयोग करूंगा।” हालांकि पीएम इसके लिए राजी नहीं हुए।