देश के जाने-माने एडवोकेट और न्यायविद फली एस. नरीमन (Fali Sam Nariman) ने कहा है कि कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हैं, लेकिन यह अब भी सबसे बेहतर विकल्प है। नरीमन ने कहा कि हमारे सामने जो दूसरा विकल्प है, NJAC (National Judicial Appointments Commission), उसके मुकाबले कॉलेजियम कम बुरा है। फली एस. नरीमन का बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब कॉलेजियम को लेकर एक तरीके से केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार जैसी स्थिति बनी हुई है। कानून मंत्री लगातार, कॉलेजियम की जगह एनजेएसी (NJAC) की वकालत कर रहे हैं।
कॉलेजियम में कई खामियां, लेकिन तब भी सबसे अच्छा
Bar and Bench को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में फली एस. नरीमन ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कॉलेजियम सिस्टम के कई ड्रॉ-बैक हैं और मैं इससे बहुत खुश नहीं हूं… लेकिन यह लोकतंत्र की तरह ही है…तमाम खराब व्यवस्था में से सबसे अच्छी व्यवस्था।
आपको बता दें कि फली एस. नरीमन (Fali S. Nariman) साल 1993 मशहूर ‘द सेकंड जजेस’ केस के एडवोकेट थे और इस केस को जीता था। इसी केस के बाद कॉलेजियम सिस्टम लाया गया था। बाद में नरीमन ने साल 2010 में आई अपनी किताब ‘बिफोर मेमोरी फेड्स’ (Before Memory Fades) में इस केस को जीतने पर खेद जताया था।
केस जीत पछताए थे, बोले- अब कोई दुख नहीं
इंटरव्यू में जब उनसे किताब के इस हिस्से के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब उन्हें इस तरह का कोई दुख नहीं है। नरीमन ने कहा, ‘मैंने, कभी खुद कहा था कि जज को ही जज की नियुक्ति नहीं करनी चाहिए। और भी कई बातें कही थीं, लेकिन उसके बाद जैसे और जिस तरीके से इसे हैंडल किया गया, अभी जैसे विवाद हैं, उसे देखें तो कॉलेजियम मौजूदा विकल्पों में सबसे अच्छा है।
नरीमन से जब पूछा गया कि उन्हें कॉलेजियम में क्या खामियां नजर आती हैं और इसे कैसे सुधारा जा सकता है? तो उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात तो यही है कि सिस्टम में सबसे अच्छे व्यक्ति को किस तरह लाया जाए, इसके प्रति ईमानदार होना चाहिए। जज भी इंसान हैं कई बार वह भी कुछ लोगों को लाना चाहते हैं, यह हमेशा से होता आया है।
केंद्र और कॉलेजियम के बीच चल रही है तकरार
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच तकरार जैसी स्थिति बनी है। सरकार, कॉलेजियम द्वारा जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सुझावे गए तमाम नामों को ठुकरा चुकी है। कानून मंत्री किरण रिजिजू बार-बार कॉलेजियम की जगह NJAC लाने की वकालत कर रहे हैं।
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पहली बार ऑन रिकॉर्ड केंद्र के रिजेक्शन पर अपना पक्ष रखा है। जिसमें खुफिया एजेंसी RAW व IB की रिपोर्ट भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम अपने आप में अप्रत्याशित है।