जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) सुर्खियों में हैं। सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। पिछले दिनों एक इंटरव्यू में उन्होंने पुलवामा हमले से लेकर जम्मू कश्मीर की सियासत पर तमाम बातें कही थीं। 24 जुलाई 1946 को बागपत के जाट परिवार में जन्में सत्यपाल मलिक की उम्र जब महज डेढ़ साल थी, तभी उनके पिता बुध सिंह का देहांत हो गया था।

सत्यपाल मलिक शुरुआत से ही बगावती तेवर वाले रहे हैं। मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई करने वाली मलिक छात्रसंघ की राजनीति से सियासत में आए और फिर तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए।

चरण सिंह की पार्टी से 1974 में पहली बार बने विधायक

सत्यपाल मलिक का सियासी सफर साल 1974 में शुरू हुआ। वे चौधरी चरण सिंह की अगुवाई वाले भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और विधायक बने। इस चुनाव में उन्हें 42.4 फीसदी वोट मिले थे और कम्यूनिस्ट पार्टी के आचार्य दीपांकर को हराया था। बाद में जब राष्ट्रीय लोकदल बना तो मलिक इसके जनरल सेक्रेटरी बने।

1989 के बाद नहीं मिली जीत

साल 1980 में लोक दल ने ही सत्यपाल मलिक को राज्यसभा भेजा था। 1984 आते-आते उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया, लेकिन यहां ज्यादा दिन टिक नहीं पाए। जब बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी का नाम आया और कांग्रेस सरकार घिरी तो मलिक ने पार्टी छोड़ दी और 1988 में वीपी सिंह की अगुवाई वाले जनता दल में शामिल हो गए। साल 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि इसके बाद उन्हें जीत नसीब नहीं हुई।

चुनाव हारे लेकिन बीजेपी में कद बढ़ता गया

सत्यपाल मलिक ने 1996 में दोबारा समाजवादी पार्टी के टिकट पर अलीगढ़ से किस्मत आजमाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर बागपत से भी पराजय मिली। हालांकि हार के बावजूद सत्यपाल मलिक का भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में कद बढ़ता गया। 2012 में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और 2017 में बिहार का राज्यपाल बना दिया।

सालभर बाद ही 2018 में मलिक को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद 2019 में गोवा के राज्यपाल बने और 2020 में मेघालय के राज्यपाल नियुक्त हुए। 2021 के शुरुआत से उन्होंने बीजेपी के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार कर लिया।

सत्यपाल मलिक के परिवार में कौन-कौन हैं? (Satyapal Malik Family)

सत्यपाल मलिक की पत्नी इकबाल मलिक शिक्षक (Satyapal Malik Wife) और चर्चित पर्यावरणविद् हैं। जबकि उनके बेटे देव कबीर (Satyapal Malik Son Dev Kabir) जाने-माने ग्राफिक डिज़ाइनर हैं। बीयर के मशहूर ब्रांड बीरा (Bira Beer) का लोगो देव कबीर ने ही डिजाइन किया है। यह जानकारी खुद सत्यपाल मलिक ने दी थी। देव कबीर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) से डिप्लोमा हासिल किया है और तमाम बड़ी कंपनियों के लिए काम कर चुके हैं। मलिक की बहू भी आईआईटी से ग्रेजुएट हैं।

पिता से कई गुना ज्यादा कमाते हैं देव कबीर

The Telegraph की एक रिपोर्ट के मुताबिक सत्यपाल मलिक जब बिहार के राज्यपाल थे, तब कौशल विकास से जुड़े एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इसी कार्यक्रम में उन्होंने स्किल के महत्व पर बात करते हुए अपने बेटे का उदाहरण दिया था और बताया था कि किस तरीके से उनका बेटा उनसे कहीं ज्यादा कमाता है। सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘मैंने अपने बेटे को बताया कि अब मेरी सैलरी 3.5 लाख प्रति माह हो गई है, तो उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मुझे एक डिजाइन प्रोजेक्ट के लिए 60 लाख रुपये मिलते हैं’।

सत्यपाल मलिक की संगीत में है गहरी रुचि

सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik Bio) की सियासत के अलावा इतिहास, संगीत, फोटोग्राफी में भी गहरी दिलचस्पी है। राजनीति पर केंद्रित कई किताबें लिख चुके हैं।