Sathya Sai Birth Anniversary: शिरडी के साईं बाबा (Sai Baba of Shirdi) का अवतार होने का दावा करने वाले सत्य साईं के भक्तों की सूची में कई नामचीन हस्तियों का नाम भी शामिल है। देश के प्रधानमंत्री, जज, सेना के बड़े अधिकारी और क्रिकेटर उनसे आशिर्वाद लेते रहे हैं। अप्रैल 2011 में सत्य साईं की मौत के बाद भी क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने उन्हें याद करना नहीं छोड़ा।

साल 2017 में 23 नवंबर को सत्य साईं के जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए सचिन ने लिखा था, ”श्री सत्य साईं बाबा और उनकी शिक्षाओं को उनके 92वें जन्मदिन पर याद कर रहा हूं। सभी से प्रेम करो, सबकी सेवा करो, सहायता करो, कभी दुख मत दो… उन्होंने जीवन जीने का सही तरीका बताया।”

हालांकि सत्य साईं पर उनके जीवित रहते और मौत के बाद भी यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगते रहे। आलोचकों और तर्कवादियों ने उन्हें औसत जादूगर से अधिक कुछ नहीं माना। उनके आश्रम से घोटालों की खबरें अक्सर सामने आती रहीं। आइए जानते हैं कौन हैं सत्य साईं और उनके चमत्कारों पर क्यों उठते रहे सवाल?

बिच्छू का डंक और सत्य साईं का उदय

सत्य साईं का जन्म 23 नवंबर, 1926 को मद्रास प्रेसीडेंसी के पुट्टपर्ती नामक गांव में हुआ था। फिलहाल यह गांव आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में आता है। सत्य साईं 14 वर्ष तक एक सामान्य लड़के की तरह ही थे। तब उनका नाम सत्यनारायण राजू हुआ करता था।

उनके जीवन में नया मोड़ आया 8 मार्च, 1940 को। इस रोज उन्हें एक बिच्छू ने डंक मार दिया। पहले तो वह काफी समय तक बेहोश रहें। जब होश आया तो असामान्य व्यवहार करने लगे। दावा किया जाता है कि वह धाराप्रवाह संस्कृत बोलने लगे, जबकि उन्हें संस्कृत भाषा नहीं आती थी।

23 मई, 1940 को सत्यनारायण राजू हुआ ने अपने परिवार वालों को कुछ चमत्कार दिखाते हुए, घोषणा कर दी कि वह शिरडी के साईं बाबा के अवतार हैं। बाद में सत्य साईं हवा में हाथ घुमाकर फूल, भभूत, प्रसाद और सोना बनाने के लिए प्रसिद्ध हुए।

सत्य साईं की प्रसिद्धि जब अपने चरम पर थी, तब लोग उन्हें मसीहा की तरह देखा करते थे। वह लोगों की मदद करते थे। उनके ट्रस्ट ने गरीबों के स्कूल और अस्पताल बनवाया था। गोदावरी जिले में पानी पहुंचाने के लिए साल 1995 में उन्होंने एक परियोजना भी शुरू की थी। कई विकास कार्य भी करवाए थे। हालांकि आलोचक का मानना था कि सत्य साईं पहले लोगों को मूर्ख बनाकर पैसा बनाते हैं, फिर उसी से परोपकार का ढोंग करते हैं।

सत्य साईं की क्यों होती रही आलोचना

सत्य साईं के शुरुआती आलोचक तर्कवादी बासव प्रेमानंद थे। इन्होंने 1975 से ही सत्यसाईं को चुनौती देना शुरु कर दिया था। बासव उन्हें ‘धूर्त’ मानते थे। मशहूर जादूगर पीसी सरकार जूनियर (Magician P. C. Sorcar) को सत्य साईं पर संदेह था। उन्होंने साईं से मिलने का समय मांगा। लेकिन समय नहीं दिया गया। कई कोशिशों के बाद भी जब उन्हें सफलता नहीं मिली, तो जादूगर ने बंगाल के उद्योगपति का बेटा बनकर मिलने का समय मांगा। इस बार अर्जी मंजूर हो गई।

मुलाकात के बाद पीसी सरकार ने दावा किया कि सत्य साईं कोई बाबा नहीं हैं, बल्कि एक औसत जादूगर हैं, जो अच्छे जादूगरों का नाम खराब कर रहे हैं। वह जो करते हैं, वह मजह हाथ की सफाई है।

बीबीसी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘सीक्रेट स्वामी’ के जरिए भी सत्य साईं के चमत्कारों की पोल खोली थी। हालांकि इन खुलासों के बावजूद सत्य साईं के भक्तों में कोई कमी नहीं आयी थी।