2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहा था। चिराग पासवान बीजेपी के तो साथ थे लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के खिलाफ उन्होंने चुनाव में उम्मीदवार खड़े किए थे।

चिराग पासवान को ऐसा भरोसा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें किसी भी मुश्किल से बाहर निकाल लेंगे।

जबकि इसके उलट चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान ने जब 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे तो अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। रामविलास पासवान ने 2002 के दंगों के लिए खुलकर मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि वह दंगों को नियंत्रित करने में फेल रही।

विपक्ष के नेताओं ने जोर-शोर से मोदी के इस्तीफे की मांग की थी लेकिन बीजेपी ने उन्हें नहीं हटाया था।

chirag paswan
बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान (ANI Photo)

सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव

30 अप्रैल को वाजपेयी सरकार तब मुश्किल में आ गई थी जब उसे संसद में निंदा प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। बीजेपी के नेता एनडीए के सहयोगी दलों से संपर्क कर रहे थे और बहुमत का आंकड़ा जुटाने की कोशिश कर रहे थे जिससे सरकार को संसद में किसी तरह की शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

डर था टीडीपी से, झटका मिले लोजपा से

बीजेपी के नेता विशेषकर टीडीपी को लेकर चिंतित थे। तब टीडीपी ने एनडीए की सरकार को बाहर से समर्थन दिया हुआ था। टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू गुजरात सरकार की मुखर होकर आलोचना कर रहे थे और केंद्र की सरकार को समर्थन जारी रखने के बदले वह नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग कर रहे थे।

बीजेपी टीडीपी को मनाने की कोशिशों में जुटी हुई थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसे झटका कहीं और से लगने वाला है।

बीजेपी जब निंदा प्रस्ताव से बचने के लिए समर्थन का आंकड़ा जुटा रही थी तभी रामविलास पासवान ने प्रस्ताव के एक दिन पहले ही अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

पासवान ने एनडीए की एक अहम बैठक से सिर्फ एक घंटा पहले अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेज दिया था। इस बैठक में एनडीए में शामिल दलों की ओर से निंदा प्रस्ताव को लेकर रणनीति पर चर्चा होनी थी। रामविलास पासवान से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था। प्रधानमंत्री कार्यालय और गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से पासवान से संपर्क करने की बहुत कोशिश की गई लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

narendra modi
बीजेपी में नहीं थम रही रार। (Source-PTI)

पासवान के इस्तीफा देने से हैरान थे प्रसाद

पासवान के मंत्रालय में राज्य मंत्री रवि शंकर प्रसाद को भी इसका अंदाजा नहीं था कि पासवान इस्तीफा दे देंगे। रवि शंकर प्रसाद उस दौरान दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थे। तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने प्रसाद को फोन किया और जल्द देश लौटने को कहा। पासवान के द्वारा संभाले जा रहे मंत्रालय का प्रभार आडवाणी ने अपने पास रख लिया था।

पासवान के इस कदम का अंदाजा उनके परिवार को भी नहीं था। रोली बुक्स के द्वारा प्रकाशित और शोभना के. नैयर के द्वारा लिखी गई किताब में चिराग पासवान बताते हैं कि 29 अप्रैल को जब उनके पिता ने वाजपेयी की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था तो वह अपने बेडरूम में खबरें देख रहे थे और तब हैरान रह गए जब उन्होंने टीवी पर पिता के इस्तीफे की खबर देखी। इससे उनकी मां रीना पासवान भी हैरान रह गई थीं।

pm modi| cm yogi| up bjp
नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Source- PTI)

इस्तीफा देने के लिए बुलाई गई अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बहुत शांति के साथ पत्रकारों को बताया कि चार सदस्यों वाली उनकी लोक जनशक्ति पार्टी निंदा प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के खिलाफ मतदान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मौके पर तटस्थ नहीं रहा जा सकता है।

पासवान बातचीत के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते थे। अपने इस्तीफे का खुलकर ऐलान करने के बाद वह अपने दोस्त एके वाजपेयी के कार्यालय चले गए। वाजपेयी कहते हैं कि उनके घर के बाहर भी बड़ी संख्या में मीडिया के लोगों का जमावड़ा था और वे लोग कुछ और जानना चाहते थे। लेकिन पासवान प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात कह चुके थे और इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते थे।

पासवान ने प्रधानमंत्री कार्यालय और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के दिल्ली और गुजरात से आ रहे फोन कॉल का भी कोई जवाब नहीं दिया।

Ram Vilas Paswan The Weathervane of Indian Politics
चिराग पासवान और उनकी मां रीना पासवान। (PC-@iChiragPaswan)

पासवान की पार्टी पर भी पड़ा फैसले का असर

रामविलास पासवान के इस फैसले का असर उनकी पार्टी पर भी पड़ा। दिल्ली की बदरपुर सीट से पूर्व विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने लोजपा से अपना रास्ता अलग कर लिया। रामवीर सिंह बिधूड़ी बताते हैं कि वह रामविलास पासवान के फैसले से बेहद नाराज थे और यह उनकी नजर में गलत फैसला था।

इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में बिधूड़ी ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह जीते भी। बिधूड़ी ने आरोप लगाया था कि आरिफ मोहम्मद खान ने पासवान को सरकार को छोड़ने के लिए उकसाया हालांकि खान ने इससे पूरी तरह इनकार किया था।