महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा महायुति सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है तो बिहार में गिरधारी यादव के बयान से सियासी सरगर्मी बढ़ी। दिल्ली में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर दावतों का दौर शुरू है, वहीं तेलंगाना में केसीआर की बेटी कविता की बगावत ने बीआरएस में भूचाल ला दिया है। विदेश नीति के मोर्चे पर जयशंकर और डोभाल के बीच खींचतान की खबरें राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे रही हैं।
गले की फांस
मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र की महायुति सरकार के गले की फांस बन गया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के बढ़ते प्रभाव को देख कर देवेंद्र फडणवीस सरकार ने घोषित कर दिया कि मराठा समुदाय के एक वर्ग को वह कुनबी जाति के प्रमाण पत्र जारी कर ओबीसी आरक्षण का लाभ प्रदान करेगी। लेकिन सूबे के ओबीसी नेता इस फैसले के विरोध में हैं। पिछड़ों में सबसे मुखर छगन भुजबल हैं। जो सूबे की सरकार में मंत्री हैं और राकांपा (अजीत पवार) के नेता हैं। मंत्रिमंडल की जिस बैठक में मराठा वर्ग को कुनबी मानकर ओबीसी आरक्षण देने का फैसला लिया गया, भुजबल ने उसका बहिष्कार किया। इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया से साफ कह दिया कि वे इस फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे। राजनीतिक रूप से भी और कानूनी रूप से भी। कैसा विरोधाभास होगा कि एक मंत्री अपनी ही सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देगा। पर भाजपा की दुविधा ये है कि वह मराठा वर्ग को भी नाराज नहीं कर सकती। हां इस फैसले का इंडिया गठबंधन सियासी फायदा जरूर उठाना चाहेगा। खासकर बिहार के चुनाव में वह भाजपा को पिछड़ा विरोधी कहेगा और महाराष्ट्र का उदाहरण देकर बताएगा कि पिछड़ों के आरक्षण कोटे को भाजपा कैसे दूसरे वर्गों को बांट रही है। बिहार की राजनीति में पिछड़ा कार्ड अहमियत भी ज्यादा रखता है।
एक भी न छूटे
गिरधारी यादव बांका से जनता दल (एकी) के लोकसभा सांसद हैं। बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआइआर अभियान शुरू किया तो यादव खुलकर विरोध में आ गए थे। यहां तक कि संसद के मानसून सत्र में सदन के भीतर भी इसके खिलाफ भाषण दिया। चुनाव आयोग को निशाना बना कहा कि आयोग को व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। एसआइआर के लिए कम समय देने, आधार को सत्यापन के दस्तावेज नहीं मानने जैसे मुद्दे उठाए और विपक्ष की भाषा बोलने लगे। पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। लगा कि या तो वे खुद पार्टी छोड़ देंगे या उनको पार्टी से निकाल दिया जाएगा। पर पार्टी ने उनकी सफाई स्वीकार कर ली। भाजपा ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का सुझाव दिया था, यह चर्चा में है। लोकसभा में काम चलाऊ बहुमत हो तो एक सांसद की भी अहमियत होती है।
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दिल्ली में दावतों का दौर
देश के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए नौ सितंबर को मतदान होना है। इसके लिए सभी सांसद दिल्ली आएंगे। राजग के सभी सांसदों को एकजुट रखने के लिए राजधानी में दावतों का दौर शुरू होने जा रहा है। ये दावतें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से दी जाएंगी। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है जो आंध्र प्रदेश से आते हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन में इस बात को लेकर चिंता है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सांसद कहीं भावनाओं में बहकर रेड्डी के पक्ष में मतदान ने कर दें। इसलिए भाजपा नेताओं ने सभी राजग सांसदों को दावत पर आमंत्रित किया है। राजग ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है।
कुनबे की कलह
के कविता को उनके पिता केसीआर ने पार्टी से निलंबित किया था। लेकिन कविता ने तो पार्टी की सदस्यता और एमएलसी का पद भी त्याग दिया। उन्होंने एलान किया है कि वे अपने पिता की विरासत की रक्षा करेंगी। अपने संगठन तेलंगाना जागृति के माध्यम से तेलंगाना के लोगों की आवाज बुलंद करती रहेंगी। कविता को उनकी पार्टी बीआरएस से अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर निकाला गया है। के कविता तेलंगाना के एक दशक तक मुख्यमंत्री रहे केसीआर की बेटी हैं। उन्हें दिल्ली के शराब घोटाले में सीबीआइ और ईडी ने आरोपी बनाया था। कई माह जेल में रहना पड़ा उन्हें। कभी पार्टी में उनका रुतबा था। तेलंगाना राज्य के आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की थी।
उन्हें लगता था कि उनके पिता उनकी तुलना में उनके भाई केटीआर और चचेरे भाई को तरजीह दे रहे हैं। लिहाजा वे कई बार अपने भाइयों पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने और अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा चुकी थीं। परिवार के इस झगड़े को हवा दी तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने। उन्होंने कालेश्वर सिंचाई परियोजना की सीबीआइ जांच करने का एलान किया है। जिसमें केसीआर पर जांच समिति ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। रेवंत रेड्डी बीआरएस को कमजोर कर कांग्रेस को मजबूत बनाने की रणनीति पर अमल कर रहे हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश की शर्मिला की तरह कविता भी अपनी अलग पार्टी बना सकती हैं।
बदले समीकरण
विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रहा है। मीडिया की खबरों में कहा जा रहा है कि जयशंकर के बेटे ध्रुव जयशंकर अमेरिका में ओआरएफ यानी आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुखिया हैं। उनपर भारत की कुछ खुफिया जानकारियां अमेरिका को लीक करने का आरोप है। इसी से यह धारणा बनी है कि केंद्रीय शक्तिको उनके एक करीबी ने धोखा दिया है। यह जगजाहिर है कि ओआरएफ मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह द्वारा पोषित संगठन है।
लोगों को अचरज इससे भी हुआ कि नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर की तरफ से अमेरिका में होने वाला कार्यक्रम ‘इंडिया वीक’ रद्द कर दिया गया है। जयशंकर और डोभाल की अनबन का असर प्रधानमंत्री की चीन यात्रा में भी दिखा। पुतिन के साथ वार्ता के दौरान जयशंकर की जगह डोभाल नजर आए। पिछले दिनों दिल्ली के सियासी गलियारों में यह चर्चा भी गरम थी कि मंत्रिमंडल के अगले फेरबदल में शशि थरूर जयशंकर की जगह ले सकते हैं।
संकलन: मृणाल वल्लरी।