राजस्थान शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों में आर्टिकल 370 निरस्त क‍िए जाने को अपने कैलेंडर में शामिल किया है। राजस्थान के स्कूलों में अब धारा 370 हटाने वाले दिन (5 अगस्त) को ‘स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस’ के नाम से पढ़ाया जाएगा। राजस्थान सरकार के इस कदम से नया राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है।

स्कूलों को जारी कैलेंडर, जिसका नाम शिव पंचांग रखा गया है, के मुताब‍िक 28 मई को सावरकर जयंती, 4 फ़रवरी को सूर्य नमस्कार दिवस, 7 फ़रवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के रूप में मनाया जाएगा। वहीं, वैलेंटाइन डे यानि 14 फ़रवरी को माता पिता दिवस और 23 जनवरी को देश प्रेम दिवस यानी सुभाष चंद्र बोस दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सावरकर जयंती ग्रीष्म अवकाश के दौरान पड़ेगी।

राजस्थान के शिक्षा विभाग की तरफ़ से जारी इस एकेडमिक कैलेंडर में पहले की तरह रखे त्योहारों के साथ ये नए दिन जोड़े गए हैं। हालांकि इसकी घोषणा शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पहले ही कर दी थी मगर शिक्षा विभाग ने इसे कैलेंडर के रूप में अब जारी किया है। मदन दिलावर ने इसे देश प्रेम और संस्कार की शिक्षा देने वाला कदम बताया है।

राजस्थान सरकार के एकेडमिक कैलेंडर पर विवाद

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 26 फरवरी को अपने विभाग का प्रभार संभालने के बाद कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर की भूमिका को इतिहास में गलत तरीके से लिखा गया है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की भूमिका को महिमा मंडित किया है जो एक बलात्कारी था। उन्होंने महाराणा प्रताप के चरित्र को भी विकृत किया है।

हालांकि, इस एकेडमिक कैलेंडर पर विवाद शुरू हो गया है। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्कूलों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का जश्न मनाने के भाजपा सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे शर्मनाक कृत्य बताया। पूर्व शिक्षा मंत्री डोटासरा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया। डोटासरा ने कहा, “कांग्रेस शिक्षा के इस राजनीतिकरण और हमारे छात्रों पर विभाजनकारी विचारधारा थोपने का विरोध करती है।” राज्य अभिभावक संघ ने भी कैलेंडर की आलोचना की है।

बीजेपी का कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मुकेश पारीक ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि छात्र सावरकर और महाराणा प्रताप जैसे महान नेताओं के जीवन और भूमिकाओं के बारे में जानें। उन्हें जगह मिलनी चाहिए क्योंकि वे छात्रों को प्रेरित करेंगे।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कैलेंडर को इस तरह से योजना बनाई गई थी कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को स्कूल स्थान में रुचि लेने और शिक्षा के माध्यम से गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि उन्होंने हर दूसरे और चौथे शनिवार को नो बैग डे, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती का उत्सव जैसी अन्य गतिविधियों को भी जोड़ा है।

2109 में न‍िरस्‍त हुआ आर्टिकल 370?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370(A) में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। अनुच्छेद 370 के तहत इसे एक अलग संविधान, एक राज्य ध्वज और आंतरिक प्रशासन की स्वायत्त शक्ति प्रदान की गयी थी।

अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान के भाग XXI में अस्थायी और विशेष प्रावधान के तहत तैयार किया गया था। संविधान में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को यह सिफारिश करने का अधिकार होगा कि भारतीय संविधान राज्य पर किस हद तक लागू होगा। राज्य विधानसभा धारा 370 को पूरी तरह से निरस्त भी कर सकती है, ऐसी स्थिति में भारतीय संविधान की सभी धाराएं राज्य पर लागू होतीं।

भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू

5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने 1954 के आदेश को खत्म करते हुए एक राष्ट्रपति आदेश जारी कर भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर दिया गया। 6 अगस्त को पारित एक और आदेश ने अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंडों को निष्क्रिय कर दिया।

इसके अलावा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 संसद द्वारा पारित किया गया, जिससे जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विभाजित किया गया। यह पुनर्गठन 31 अक्टूबर 2019 को हुआ।

संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दायर की गईं। जिसके बाद पांच न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया। 11 दिसंबर 2023 को संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिकता को बरकरार रखा।