कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अमेरिका दौरे पर हैं। एक कार्यक्रम में राहुल से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने और इसे सेक्युलर करार दिया। अब बीजेपी राहुल गांधी के इस बयान को लेकर हमलावर है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने राहुल के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। तो बीजेपी IT सेल के मुखिया अमित मालवीय ने कहा कि भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग, राहुल के मुताबिक सेक्युलर पार्टी है…। इस बीच कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार किया है।

कहां से शुरू हुआ विवाद?

दरअसल, राहुल गांधी वाशिंगटन के नेशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। इसी दौरान एक पत्रकार ने केरल में कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के बीच गठबंधन को लेकर सवाल किया। जिसका जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मुस्लिम लीग पूरी तरह सेक्युलर पार्टी है…कुछ भी नॉन सेक्युलर नहीं है।

केरल में कांग्रेस और IUML के बीच गठबंधन

केरल में मुख्य तौर पर दो गठबंधन हैं। पहला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी UDF और दूसरा लेफ्ट की अगुवाई वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी LDF। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरण ने साल 1979 में यूडीएफ की स्थापना की थी। वर्तमान में कांग्रेस और IUML इसी फ्रंट में एक साथ गठबंधन में हैं। केरल में दोनों पार्टियां लंबे समय से गठबंधन का हिस्सा हैं।

बता दें कि साल 2019 में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी के साथ-साथ केरल वायनाड से भी लोकसभा का चुनाव लड़े थे। अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था, जबकि वायनाड से जीते थे। कुछ वक्त पहले ही आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी सांसदी चली गई थी।

यह कोई पहला मौका नहीं…

यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को बंटवारे से पहले वाली मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के तौर पर पेश कर रही है। साल 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां तक कह दिया था कि मुस्लिम लीग एक वायरस और कोई इस वायरस की चपेट में आ गया तो बच नहीं सकता। आज कांग्रेस इसकी चपेट में है…कल्पना करिए कि यदि यह वायरस पूरे देश में फैल जाए तो क्या हो सकता है?

कब और कैसे बनी IUML?

मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग और IUML का नाम भले एक जैसा हो लेकिन दोनों का इतिहास और विचारधारा अलग अलग हैं। 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो मोहम्मद अली जिन्ना की अगुवाई वाली मुस्लिम लीग भंग कर दी गई। लीग ही लंबे समय से अलग पाकिस्तान की मांग कर रही थी। बंटवारे के बाद जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बने और सितंबर 1948 में उनका निधन हो गया।

जिन्ना वाली मुस्लिम लीग से कैसा कनेक्शन?

जिन्ना की मौत के बाद वेस्ट पाकिस्तान में फिर मुस्लिम लीग का गठन हुआ और ईस्ट पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में ऑल पाकिस्तान आवामी मुस्लिम लीग बना। ठीक इसी समय भारत में मोहम्मद इस्माइल ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की स्थापना की। मोहम्मद इस्माइल जिन्ना वाली लीग में मद्रास प्रेसिडेंसी के अध्यक्ष हुआ करते थे और भारत ही रह गए।

इलेक्शन कमीशन ने दी है मान्यता

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग लंबे समय से चुनाव लड़ती रही है और लोकसभा में उपस्थिति दर्ज कराती रही है। पार्टी केरल में ठीक-ठाक स्थिति में है और तमिलनाडु में भी यूनिट है। इलेक्शन कमीशन लंबे समय से आईयूएमएल को केरल की स्टेट पार्टी के तौर पर मान्यता देता रहा है।

मनमोहन सरकार में पार्टी का मंत्री भी था

स्थापना के बाद से एक चुनाव को छोड़कर सभी लोकसभा चुनाव में आईयूएमएल के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। मौजूदा लोकसभा में आईयूएमएल के तीन सांसद- ईटी मोहम्मद बशीर, एमपी अब्दुसमद समदानी और के नवास कानी हैं। इसी तरह राज्यसभा में भी एक सदस्य- पीवी अब्दुल वहाब भी हैं। IUML के दिवंगत नेता ई. अहमद 1991 से 2014 के बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि भी रहे थे और मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री भी थे। लोकसभा और राज्यसभा के अलावा केरल में पार्टी के 15 विधायक हैं।

बीजेपी भी कर चुकी है गठबंधन

साल 2012 में नागपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में बीजेपी 62 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 145 सीटों वाले इस कॉरपोरेशन में मेयर बनाने के लिए बीजेपी को 74 पार्षदों की आवश्यकता थी। तब बीजेपी ने आईयूएमएल के दो पार्षदों, 10 निर्दलीय और 2 अन्य के समर्थन से अपना मेयर बनाया था। अब राहुल गांधी पर हमले के बीच कांग्रेस, बीजेपी को यही गठबंधन याद दिला रही है।