पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती ने साल 2020 में समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) का सब्सक्रिप्शन खत्म कर दिया था। अब प्रसार भारती ने न्यूज एजेंसी हिंदुस्थान समाचार के साथ दो साल (14 फरवरी, 2023 से 31 मार्च, 2025 तक) का कॉन्ट्रैक्ट किया है। बता दें, प्रसार भारती के माध्यम से ही दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो (AIR) प्रसारित होता है।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट 12 भाषाओं में न्यूज फीड के लिए हुआ था। इस सर्विस के लिए सरकार हिंदुस्थान समाचार को कुल 7.70 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। यानी एक महीन के लिए 30.17 लाख रुपये।
प्रसार भारती के CEO गौरव द्विवेदी ने रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हिंदुस्थान समाचार के साथ हमारा एक पूर्व अनुबंध था, जिसे इस महीने नवीनीकृत किया गया।”
संघ और हिंदुस्थान समाचार
हिंदुस्थान समाचार में हमेशा ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों का वर्चस्व रहा है। हिंदुस्थान समाचार की स्थापना साल 1948 में शिवराम शंकर आप्टे उर्फ दादासाहेब आप्टे ने की थी। आप्टे का जन्म गुजरात के बड़ौदा में हुआ था। शिवराम शंकर आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक थे। वह आजीवन आरएसएस से जुड़े रहे। 1964 में उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे और महासचिव भी बने। 1975 के आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने इस पर शिकंजा कसने की कोशिश की थी। इंदिरा गांधी ने कई समाचार एजेंसियों को विलय कर एक कर दिया था, जिसमें हिंदुस्थान समाचार भी शामिल था।
इंदिरा गांधी की सरकार जाने के बाद 14 अप्रैल, 1978 को विलय खत्म हो गया और एजेंसियां अलग-अलग काम करने लगीं। लेकिन इंदिरा गांधी के सरकार में लौटने के बाद एक बार फिर हिंदुस्थान समाचार के बुरे दिन शुरू हो गए। साल 1986 आते-आते हिंदुस्थान समाचार बंद हो गया। लेकिन हिंदुस्थान समाचार को फिर से खड़ा करने के लिए एक स्वयंसेवक ने 15 साल कानूनी लड़ाई लड़ी।
‘हिंदुस्थान समाचार संघ की एक संस्था थी…’
हिंदुस्थान समाचार को पुनर्जीवित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता चंद्र मोहन भारद्वाज ने 15 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। चंद्र मोहन भारद्वाज 70 के दशक में हिंदुस्थान समाचार से जुड़े थे। न्यूजलॉन्ड्री हिंदी से बात करते हुए भारद्वाज कहते हैं, “मेरी कानूनी लड़ाई करीब 15 साल चली। इस दौरान लोग मुझे कहते थे कि मैं पागल हूं जो अपना पैसा, समय और ऊर्जा लगाकर एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहा हूं। लेकिन मेरे लिए ये विचारधारा की लड़ाई थी। हिंदुस्थान समाचार संघ की एक संस्था थी और संघ से मेरा जुड़ाव कुछ सालों या दशकों का नहीं बल्कि पीढ़ियों का है। मैं सिर्फ नौकरी के लिए हिंदुस्थान समाचार से नहीं जुड़ा था।”
अंतत: केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने के साथ ही साल 2000 में हिंदुस्थान समाचार एक बार फिर शुरू हो गया। हिंदुस्थान समाचार के दोबारा शुरू होने पर तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने उसका उद्घाटन किया था।
मोदी सरकार और हिंदुस्थान समाचार
मई 2016 में उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर संघ द्वारा आयोजित सम्मेलन में एक व्यापक पुनरुद्धार योजना तैयार की गई थी। सम्मेलन में सर संघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह भैयाजी जोशी समेत आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व शामिल हुआ था। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद थे।
पुनरुद्धार योजना के अनुसार, हिंदुस्थान समाचार को चलाने के लिए साधन संपन्न व्यक्ति की तलाश शुरू की गई थी। खोज रवींद्र किशोर सिन्हा पर जाकर खत्म हुई। सिन्हा को भाजपा ने 10 अप्रैल, 2014 बिहार से राज्यसभा भेजा था। उनका कार्यकाल 9 अप्रैल, 2020 तक था।
सिन्हा ने हिंदुस्थान समाचार के बोर्ड अध्यक्ष के रूप में अप्रैल 2022 तक काम किया। इसके बाद उनकी जगह नागपुर के अरविंद मर्डीकर ने ले ली। वर्तमान में हिंदुस्थान समाचार समूह के संपादक राम बहादुर राय हैं। राय एक अनुभवि पत्रकार हैं। उनके परिचय में कई जगह संघ विचारक भी लिखा जाता है। राम बहादूर राय हिंदुस्थान समूह का संपादक होने के अलावा केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के अध्यक्ष भी हैं।
हिंदुस्थान समाचार संपादक जितेंद्र तिवारी हैं, जो पहले संघ परिवार द्वारा संचालित साप्ताहिक पाञ्चजन्य के साथ काम कर चुके हैं। सात सदस्यीय निदेशक मंडल के अध्यक्ष अरविंद मर्डीकर हैं।