भारत की आबादी में हर सातवां व्यक्ति मुसलमान है, लेकिन देश के किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री मुस्लिम नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा 76 सदस्यीय मंत्रिमंडल से केंद्र में सरकार चला रही है, लेकिन एक भी मंत्री मुसलमान नहीं है। संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में भाजपा के कुल 394 सांसद हैं, पूरे देश में कुल 1379 विधायक हैं लेकिन उनमें से एक भी मुसलमान नहीं है।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्रमश: 7 और 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। दोनों बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीते लेकिन भाजपा आसानी से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही।

देश की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हर पांच में से एक व्यक्ति मुसलमान है। भाजपा राज्य की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को एक भी टिकट दिए बगैर दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी है। उत्तर प्रदेश सहित देश के 28 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा का एक भी विधायक मुस्लिम नहीं है।

भाजपा के उभार के बाद घटा मुसलमानों की भागीदारी? : आजाद भारत का पहला आम चुनाव साल 1952 में हुआ था। तब देश की कुल आबादी में मुसलमानों की भागीदारी 10 प्रतिशत थी। उस वक्त लोकसभा में मुस्लिमों का प्रत‍िन‍िध‍ित्‍व 4 प्रतिशत था। 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त देश में मुस्लिमों की आबादी 15 प्रतिशत आंकी गई। यानी पहले चुनाव की तुलना में जनसंख्या 5 प्रतिशत तक बढ़ी। लेकिन इस दौरान लोकसभा में उनकी भागीदारी सिर्फ 0.9 प्रतिशत बढ़ी। फिलहाल लोकसभा में मात्र 4.9 प्रतिशत मुस्लिम सांसद हैं।

देश के कुल 28 राज्यपालों में से सिर्फ एक राज्यपाल (आरिफ मोहम्मद खान) मुस्लिम हैं, जिन्हें केरल की कमान सौंपी गई है। 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से किसी का भी लेफ्टिनेंट गवर्नर या प्रशासक मुस्लिम नहीं है। केंद्र सरकार के पास कुल 87 सचिव हैं, जिनमें से केवल 2 मुसलमान हैं।

देश के 11 राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश को छोड़कर किसी राज्य में भाजपा ने एक भी मुस्लिम को मंत्री नहीं बनाया। यूपी के 52 मंत्रियों की कैबिनेट में सिर्फ दानिश आजाद को जगह मिली है। असम में मुसलमानों की आबादी 28 प्रतिशत है लेकिन हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में चल रही सरकार ने एक भी मुसलमान को मंत्री नहीं बनाया है।

गुजरात में 9 प्रतिशत मुसलमान हैं, वहां भाजपा की सरकार है, कुल 23 मंत्री हैं। लेकिन कैबिनेट में एक भी मुसलमान की जगह नहीं दी गई है। यही हाल कर्नाटक का भी है। वहां 11 प्रतिशत मुसलमान हैं, भाजपा की सरकार है, 29 मंत्री हैं लेकिन एक भी मुसलमान को मंत्री नहीं बनाया गया है।

भाजपा के लिए गैरजरूरी हुए मुस्लिम वोटर? : 1999 में जब एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार गिरी थी तो तब भाजपा नेता बलबीर पुंज ने कहा था, ‘मुसलमानों के पास वीटो है, वह तय करते हैं कि भारत में कौन राज करेगा।’ 2014 के बाद भाजपा उन मुस्लिम बहुल सीटों को भी जीतने में कामयाब हुई है, जिसके बारे में राजनीतिक विश्लेषकों ने कभी सोचा भी नहीं था। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं उतारा था। बावजूद इसके वह देवबंद,  मुरादाबाद नगर, कांठ और रुदौली जैसी मुस्लिम बहुल सीटों को जीतने में सफल हुई।

2017 में भाजपा के ब्रजेश ने देवबंद सीट पर बसपा के माजिद अली को तीस हजार वोटों से हराया था। मुरादाबाद के कांठ सीट पर भाजपा के राजेश कुमार चुन्नू ने सपा के अनीसुर्रहमान को 2348 वोटों से हराया था। फैजाबाद की रुदौली सीट पर भाजपा नेता रामचंद्र यादव ने समाजवादी पार्टी के अब्बास अली जैदी तीस हजार वोटों से हराया था।


उत्तर प्रदेश में कुल 82 ऐसी विधानसभा सीटें हैं,जहां मुस्लिम वोटरों की आबादी एक तिहाई है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने 82 में 62 सीटों को जीत लिया था। हाल में हुए रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा को जीत मिली है। रामपुर में करीब 50 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। आजमगढ़ में मुस्लिम-यादव की आबादी 40 प्रतिशत है।