प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई वाली हाई पावर सेलेक्शन कमेटी ने कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद (Praveen Sood) को सीबीआई के नए डायरेक्टर के तौर पर चुना है। सूद इस पद पर 2 साल तक रहेंगे। वह सुबोध जायसवाल की जगह लेंगे, जो 25 मई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।
कौन-कौन है कमेटी में?
हाई पावर सेलेक्शन कमेटी में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
कमेटी ने 3 अफसरों के नाम किये थे शॉर्टलिस्ट
हाई पावर कमिटी ने सीबीआई चीफ के लिए 3 नाम शॉर्टलिस्ट किये थे। हालांकि कमेटी के सदस्य कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पूरी प्रोसेस से सहमत नहीं थे और उनकी मांग थी कि सेलेक्शन प्रोसेस नए सिरे से हो। कमेटी ने जिन 3 नाम को शॉर्टलिस्ट किया था, उनमें प्रवीण सूद के अलावा मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना और डायरेक्टर जनरल फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड्स ताज हसन भी शामिल थे।
DOPT ने भेजे थे 115 अफसरों के नाम
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग यानी डीओपीटी ने सीबीआई चीफ के लिए पैनल को 115 अफसरों के नाम भेजे थे। इसमें कुछ नाम ऐसे भी थे जो पहले से लिस्ट में थे ही नहीं। अधीर रंजन चौधरी ने इस पर आपत्ति जताई। उनका यह भी तर्क था कि उन्हें अफसरों के सर्विस रिकॉर्ड, पर्सनल डिटेल और दूसरे डॉक्यूमेंट मिले ही नहीं।
क्यों अड़ गए थे अधीर रंजन चौधरी?
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि लिस्ट तैयार करने में विसंगतियां थीं और पूरी प्रक्रिया नए सिरे से दोहराई जाए। अधीर रंजन चौधरी ने मांग की कि इस लिस्ट में महिला अफसरों और माइनॉरिटी कम्युनिटी से आने वाली अफसरों को भी शामिल किया जाए। अधीर रंजन चौधरी की इस आपत्ति के बाद ही ताज हसन का नाम सूची में शामिल किया गया और 3 नामों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी को भेजा गया था।
CJI चंद्रचूड़ ने निकाला रास्ता
इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि अधीर रंजन चौधरी की आपत्ति के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि अफसरों की वरिष्ठता और सीनियोरिटी के आधार पर लिस्ट छोटी की जाए। इसके बाद एक दर्जन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया।
कौन हैं प्रवीण सूद?
प्रवीण सूद मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। साल 1964 में जन्में सूद ने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है। 1986 बैच के आईपीएस अफसर सूद, 1989 में मैसूर के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बने थे। इसके बाद राज्य के पुलिस डिपार्टमेंट में तमाम अहम पदों पर रहे। प्रवीण सूद की गिनती देश के तेज-तर्रार आईपीएस अफसरों में होती है। पुलिस मेडल और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सूद 1999 में मॉरीशस पुलिस के सलाहकार भी रह चुके हैं।
कांग्रेस से तल्खी जग-जाहिर है
वर्तमान में कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद के खिलाफ कांग्रेस लगातार हमलावर रही है। कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने उन्हें नालायक तक कह दिया था। शिवकुमार ने आरोप लगाया था कि प्रवीण सूद, बीजेपी कार्यकर्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं और उनपर एफआईआर होनी चाहिए। चुनाव से पहले डीके शिवकुमार ने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो सूद पुलिस के मुखिया नहीं होंगे।
क्यों हुई थी CBI की स्थापना?
सीबीआई (CBI) का गठन साल 1963 में हुआ था। तब इस केंद्रीय एजेंसी की स्थापना का उद्देश्य डिफेंस डील में करप्शन, उच्च पदों पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, सामाजिक अपराध, अखिल भारतीय और अंतर राज्यीय प्रभाव वाले मामलों की जांच करना था। लेकिन साल 1965 से आतंकवाद, मर्डर, वित्तीय अपराध, किडनैपिंग जैसे क्राइम भी सीबीआई की जद में आ गए और एजेंसी को जांच का अधिकार मिल गया। CBI में मुख्य तौर पर दो विंग हैं- एक सामान्य अपराध और दूसरा आर्थिक अपराध। केंद्रीय एजेंसी के देश के 4 शहरों में दफ्तर हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शामिल है।
कैसे होता है सीबीआई चीफ का सेलेक्शन?
CBI चीफ का चयन एक हाई पावर सेलेक्शन कमेटी करती है। इस कमेटी में देश के प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। गृह मंत्रालय अनुभव, वरिष्ठता और ट्रैक रिकॉर्ड जैसे कई मानकों के आधार पर IPS अफसरों की एक लिस्ट तैयार करता है। यह लिस्ट कमेटी के पास जाती है। कमेटी प्रत्येक नाम पर विचार करती है। फाइनल नाम DOPT (कार्मिक विभाग) को भेजा जाता है।
CVC के नाम पर भी जताई थी आपत्ति
इससे पहले शनिवार (13 मई) को ही सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर यानी सीवीसी की नियुक्ति के लिए भी पीएम की अध्यक्षता वाली एक दूसरी कमेटी की बैठक हुई थी। विपक्ष के नेता के नाते चौधरी इस इस कमेटी के भी मेंबर हैं। जानकारी के मुताबिक सीवीसी के सिलेक्शन में भी उन्होंने अपनी आपत्ति जाहिर की थी। सरकार ने सीवीसी के लिए दो नाम- एक्टिंग सीवीसी पीके श्रीवास्तव और एक्जिम बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड रॉसकिन्हा का नाम कमेटी के सामने रखा था। इस कमेटी के तीसरे सदस्य गृह मंत्री अमित शाह हैं।
CVC के लिए सरकार ने सुझाए थे 2 नाम
आपको बता दें कि सीवीसी के लिए सरकार, गवर्नमेंट पीएसयू और प्राइवेट सेक्टर जुड़े संभावित कैंडिडेट का नाम कमेटी के सामने रखती है। जानकारी के मुताबिक अधीर रंजन चौधरी ने दोनों नामों पर अपनी आपत्ति जाहिर की और कहा कि डेविड का नाम पहले उस लिस्ट में था ही नहीं जो समिति के मेंबरों को सौंपीं गई थी। अधीर रंजन चौधरी की आपत्ति के बाद डेविड का नाम लिस्ट से निकाला गया। अब श्रीवास्तव सीवीसी बनने के प्रबल दावेदार हैं।
पीके श्रीवास्तव 1998 बैच के असम मेघालय कैडर के आईएएस अफसर हैं और 2002 में विजिलेंस कमिश्नर बने थे। पिछले साल दिसंबर में ही उन्हें एक्टिंग सीवीसी बनाया गया था।
