प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने से पहले अपने भाषण में आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 25 जून को आपातकाल के 50 साल पूरे हो रहे हैं और देशवासी संकल्‍प लेंगे क‍ि भारत में अब कोई ऐसी ह‍िम्‍मत नहीं करेगा जैसी 50 साल पहले की गई थी।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमला बोलते रहे हैं।

25 जून 1975 की रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लगा दिया था। यह आपातकाल 21 महीने तक चला और इसे भारतीय इतिहास का सबसे काला दौर माना जाता है।

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संजय गांधी ने कहा था- मां नहीं कराएंगी चुनाव

द इंडियन एक्सप्रेस में 3 फरवरी, 2019 में अपने कॉलम ‘इनसाइड ट्रैक’ में कूमी कपूर ने कुलदीप नैयर की एक क‍िताब (On Leaders and Icons) के हवाले से आपाताकाल के बारे में एक बात ल‍िखी थी। वह क‍िताब तब तक बाजार में नहीं आई थी। क‍िताब के हवाले से कूमी कपूर ने ल‍िखा था क‍ि आपातकाल हटाए जाने के बाद संजय गांधी ने कुलदीप नैयर को बताया था कि वह यह मान कर चल रहे थे कि उनकी मां तीन-चार दशक तक चुनाव नहीं कराएंगी।

इसके कुछ ही द‍िन बाद (आठ फरवरी) को प्रख्‍यात कानूनव‍िद फाली एस. नरीमन ने द इंडियन एक्सप्रेस में ही A Tentalising Mystery शीर्षक से एक आर्टिकल लिखा। इसमें उन्‍होंने कूमी कपूर की बात का ज‍िक्र करते हुए कहा क‍ि यह हमारे समय का अनसुलझा सवाल है क‍ि आखिर इंदिरा गांधी ने आपातकाल क्यों हटा लिया और मार्च, 1977 में चुनाव कराने का फैसला क्यों किया।

नरीमन लिखते हैं कि आपातकाल के बाद चुनाव कराने की इस बात को लेकर उन्हें भारत में ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन उच्चायुक्त ब्रूस ग्रांट की कही हुई एक बात याद आ गई।

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भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी (Express archive photo)

ग्रांट ने बताया था नरीमन को

ब्रूस ग्रांट के साथ वह शाम को नेहरू पार्क में घूमने जाते थे। ग्रांट ने उन्हें बताया था कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने अपनी भारत यात्रा के दौरान इंदिरा गांधी से कहा था कि उन्हें कानून के रास्ते पर चलना चाहिए। तब मार्च, 1977 में इंद‍िरा ने चुनाव कराया था।

इसका मतलब यह हुआ कि कार्टर ने भारत में आपातकाल के दौर को खत्म करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की ओर लौटने का आग्रह इंदिरा गांधी से किया था। ग्रांट के मुताबिक, उन्हें यह बात इंदिरा गांधी ने ही बताई थी।

आडवाणी को भी ऐसा कुछ याद नहीं

फाली एस. नरीमन लिखते हैं कि उन्होंने यह बात कई लोगों को बताई। यह बात उन्होंने 1995 में एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ लंच के दौरान भी दोहराई। लंच में मौजूद जस्टिस रूथ गिन्सबर्ग को यह बात दिलचस्प लगी और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं अपनी इस बात के समर्थन में कोई विश्वसनीय दस्तावेज का हवाला दे सकता हूं।

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इंदिरा गांधी। फाइल फोटो -(इंडियन एक्सप्रेस)।

नरीमन लिखते हैं कि वह भारत वापस आये लेकिन इस संबंध में उन्हें कुछ भी ठोस नहीं मिला। उस दौरान विपक्ष के नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी (जिन्हें आपातकाल के दौरान जेल में रखा गया था) ने उन्हें बताया कि जिमी कार्टर ने इंदिरा गांधी से मार्च, 1977 में चुनाव कराने के लिए कहा हो, उन्हें ऐसी कोई बात याद नहीं है।

नरीमन लिखते हैं कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में रह रहे एक शख्स ग्रानविले ऑस्टिन से इस बारे में पूछा और ऑस्टिन ने लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में जिमी कार्टर वाली बात को खोजा लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं मिला।

नरीमन ने जस्टिस रूथ गिन्सबर्ग को 17 जुलाई, 1995 को एक पत्र लिखा और इस बात के लिए माफी मांगी कि उन्होंने उन्हें (जस्टिस रूथ को) गुमराह किया है।

नरीमन ने कहा कि वह कूमी कपूर का कॉलम पढ़ने से पहले हमेशा यही सोचते थे कि यह उन चीजों को याद करने जैसा है, जो कभी हुई ही नहीं हैं। लेकिन अब हो सकता है कि इसे लेकर भारत में कुछ रिसर्च होगी कि आखिर इंदिरा गांधी के दिमाग को किसने बदला और उन्होंने मार्च, 1977 में चुनाव कराने का फैसला क्यों किया।

उनके बेटे संजय गांधी जो उस समय इंदिरा गांधी के सबसे करीबी शख्स थे वह भी इस बारे में नहीं जानते थे।