बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमारी की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने जाति जनगणना की इनसाइड स्टोरी बताई है। हाल में जद(यू) अध्यक्ष द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘आइडिया एक्सचेंज’ शामिल हुए। ललन सिंह से द इंडियन एक्सप्रेस के असिस्टेंट एडिटर हरिकिशन शर्मा ने पूछा कि बिहार में जाति आधारित जनगणना कराने में क्या चुनौतियां थीं?
जवाब में ललन सिंह ने जाति जनगणना के तार को वीपी सिंह से जोड़ते हुए जवाब दिया, “हम चाहते थे कि केंद्र सरकार पूरे देश में 2021 की जनगणना जाति के आधार पर कराये। यह लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विजन रहा है। दरअसल, उन्होंने इस बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह से बात की थी और देश में जाति आधारित जनगणना कराने को कहा था। नीतीश कुमार ने इस विचार पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और तत्कालीन वित्त मंत्री मधु दंडवते से भी चर्चा की थी।”
ज्ञानी जैल सिंह के जवाब को याद करते हुए ललन सिंह ने कहा, “तत्कालीन राष्ट्रपति ने कहा था कि उनकी सरकार इस समय जाति-आधारित जनगणना नहीं कर सकती क्योंकि जनगणना का मूल्यांकन पहले से ही चल रहा था। हमारी पार्टी ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था क्योंकि 1931 के बाद से कोई जाति जनगणना नहीं हुई है। हम एक विकसित राष्ट्र का निर्माण तब तक नहीं कर सकते जब तक हम उन लोगों को मुख्यधारा में नहीं लाते, जो पीछे छूट गए हैं।”
सभी दल के नेताओं ने PM से की थी मुलाकात
बातचीत में ललन सिंह ने बताया कि दो साल पहले बिहार के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जाति जनगणना की आवश्यकता पर जोर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए बिहार सरकार ने भाजपा के विरोध के बावजूद जाति जनगणना कराने का फैसला किया।
जाति जनगणना के खिलाफ BJP की कई याचिकाएं
ललन सिंह ने बताया की भाजपा जाति जनगणना के खिलाफ रही है। उसने पटना उच्च न्यायालय में कई जनहित याचिकाएं दायर कीं, जिनमें से एक के की वजह से जाति जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे अगली सुनवाई में जारी रखने की इजाजत दे दी और सभी जनहित याचिकाएं रद्द कर दीं। फिर उन्हीं याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। लेकिन बेंच ने पूछा कि जाति जनगणना के परिणामस्वरूप गोपनीयता का क्या उल्लंघन होगा क्योंकि हर समुदाय जाति के बारे में विस्तृत स्तर पर जानता है और राज्य सरकार द्वारा इसका दस्तावेजीकरण करने में कुछ भी गलत नहीं है।
इसके आगे की कहानी बताते हुए ललन सिंह कहते हैं, “शीर्ष अदालत द्वारा जनगणना पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद, केंद्र के सॉलिसिटर-जनरल ने कहा कि सरकार ने न तो इसका विरोध किया और न ही समर्थन किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की प्रक्रिया का एकमात्र अधिकार केंद्र के पास होना चाहिए।
जल्द आने वाला है एक और सर्वे रिजल्ट
ललन सिंह कहते हैं, “बिहार में हमने न सिर्फ जातीय जनगणना करायी बल्कि आर्थिक बदहाली में रहने वाले लोगों की संख्या भी दर्ज की, जिसे दूसरे चरण में सार्वजनिक किया जायेगा। आज कई राज्य इसी तरह की जनगणना की मांग कर रहे हैं, जो 2024 के चुनावों का एजेंडा बन गया है। जाति जनगणना कमंडल (भाजपा की हिंदुत्व) राजनीति पर हावी हो गई है।” सिफारिशें कब लागू हो सकती है, इस सवाल पर सिंह ने बताया कि राज्य सरकार जनगणना रिपोर्ट विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बहस और चर्चा के लिए पेश करेगी।