सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्वतंत्रता सेनानी और लोकमत मीडिया समूह के संस्थापक संपादक जवाहरलाल दर्डा की जन्मशती पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। बाबूजी के नाम से प्रसिद्ध जवाहरलाल दर्डा का जन्म 2 जुलाई, 1923 को हुआ था।
अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में एक आर्टिकल लिखकर नितिन गडकरी ने जवाहरलाल दर्डा के साथ अपने संबंधों का उल्लेख किया है। गडकरी बताते हैं, “बाबूजी की मेरे साथ एक अलग ही केमिस्ट्री थी। हमारी पीढ़ी को छात्र जीवन के शुरुआती दौर में और फिर राजनीति में प्रवेश के बाद उनका मार्गदर्शन मिला। वह महाराष्ट्र के एक प्रमुख पत्रकार और संपादक तथा अपने समय के एक प्रमुख राजनेता थे।
वह लंबे समय तक मंत्री रहे। लेकिन वे पत्रकारिता को राजनीति में नहीं लाए और पत्रकारिता में राजनीति को नहीं आने दिया। वह कांग्रेस के नेता थे। लेकिन उन्होंने शुरू से ही सभी तरह के विचारों को लोकमत में जगह दी। बाबूजी ने निर्भीक पत्रकारिता का आदर्श विकसित किया। स्वतंत्रता के बाद राजनीति में सक्रिय होने के बाद बाबूजी ने लोकमत के माध्यम से एक बड़े मिशन की शुरुआत की।”
अखबार को बनाया सार्वजनिक जीवन का हिस्सा
गडकरी का मानना है कि जवाहरलाल दर्डा के मार्गदर्शन में लोकमत ने जनता से संबंधित प्रश्न पूछने, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा करने और बदलते समय के अनुसार पाठकों को विभिन्न विषयों से परिचित कराने के लिए एक प्रणाली विकसित की। एक दैनिक समाचार पत्र कैसे सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बन सकता है, लोकमत इसका एक बड़ा उदाहरण है।
स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान
स्वतंत्रता संग्राम में जवाहरलाल दर्डा का अद्वितीय योगदान माना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम को लेकर दर्डा के रुख ने महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसी हस्तियों का ध्यान आकर्षित किया था। गडकरी लिखते हैं, “यवतमाल जिला स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल था और लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावना को जगाने का श्रेय बाबूजी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को दिया जाना चाहिए। बाबूजी यवतमाल जिले के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं।”
1941 में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश नीति के विरुद्ध सत्याग्रह की घोषणा की, जिसके तुरंत बाद यवतमाल में इसकी गूंज सुनाई देने लगी। बाबूजी ने लोगों के एक समूह को इकट्ठा किया और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण उन्हें जेल भी हुई। गडकरी बताते हैं कि विचार और कार्य में वे सदैव अपने समकालीनों से आगे रहते थे। न्होंने उद्योग, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में महान योगदान दिया। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जो हमेशा समाज के कल्याण के बारे में सोचते थे।
विदर्भ को लेकर चिंतित रहे
जवाहरलाल दर्डा हमेशा विदर्भ की प्रगति के लिए चिंतित रहे। राज्य के उद्योग मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई क्षेत्रों में इंडस्ट्रियल इस्टेट स्थापित किए। गडकरी लिखते हैं, “राज्य विधानमंडल में बाबूजी के तर्क अद्वितीय थे। वह सदन में अच्छी तैयारी करके आते थे और मुद्दों पर बेबाकी से बोलते थे। उनका कहना था कि विधायिका जनता के हित में रचनात्मक चर्चा के लिए है।”