अंग्रेजी राजशाही के इतिहास में सबसे लंबे समय तक राजगद्दी संभालने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को 96 साल वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इस शोक में करीब 54 देशों ने अपना राष्ट्रीय ध्वज झुकाया है।

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वह 1952 में अपने पिता जॉर्ज VI की मौत के बाद 25 साल उम्र में रानी बनी थीं। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने ब्रिटेन के 15 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। उनमें से कई उनके राज्याभिषेक के बाद पैदा हुए थे।

सात दशक के अपने लंबे शासनकाल में एलिजाबेथ ने केवल तीन बार भारत का दौरा किया। हर दौरा अपने तरीके से यादगार रहा है। एलिजाबेथ द्वितीय ने भारत की पहली यात्रा 1961 में की थी।

पहली भारत यात्रा

एलिजाबेथ द्वितीय जनवरी 1961 में  प्रिंस फ़िलिप के साथ पहली बार भारत की यात्रा पर आयी थीं। शाही दंपति को देखने के लिए दिल्ली हवाई अड्डे से राष्ट्रपति भवन तक करीब 10 लाख लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। दोनों बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता (वर्तमान मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) की प्रसिद्ध जगहों के अलावा ताजमहल और वाराणसी शहर देखने गए थे। भारत सरकार ने शाही दंपत्ति को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर आमंत्रित किया था।

वह भारत के बेहतरीन वनस्पति उद्यानों में से एक मैसूर में लाल बाग में भी गई थीं। कोलकाता में उन्होंने महारानी विक्टोरिया की याद में बनाए मेमोरियल का मुआयना किया था और घोड़ों की रेस का आनंद उठाया था।

नेहरू ने बछड़े को चारा बनाने से रोका

भारत यात्रा के दौरान एलिजाबेथ द्वितीय ने बाघों का शिकार भी किया था। वह इसके लिए काठमांडू भी गई थीं। एलिजाबेथ द्वितीय बाघों के शिकार के लिए एक बछड़े को चारा के रूप में इस्तेमाल करना चाहती थीं, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस अनुरोध को बहुत जेंटल तरीके से ठुकरा दिया था।

कम होता गया लोगों का उत्साह

एलिजाबेथ द्वितीय की पहली भारत यात्रा के दौरान जिस कदर लोगों में उन्हें देख लेने का उत्साह था। वह अगली दो यात्राओं में नहीं दिखा। उनकी दूसरी भारत यात्रा नवंबर 1983 में हुई थी। तब उन्होंने दिल्ली में मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ़ मेरिट देकर सम्मानित किया था। महारानी ने अपनी तीसरी और अंतिम भारत यात्रा अक्तूबर 1997 में की थी।