भारत में 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day) के रूप में मनाया जाता है। 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग (Election Commission) की स्थापना हुई थी। इस दिवस को लोकतंत्र में चुनाव (Electoral Democracy) की महत्ता को रेखांकित करने और लोगों को मतदान (Voting) के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य मनाया जाता है। हालांकि सीएसडीएस (CSDS) का एक हालिया सर्वे बताता है कि देश के प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय के 45 प्रतिशत स्टूडेंट्स ने खुद को मतदाता के तौर पर रजिस्टर्ड ही नहीं कराया है।

16 से 20 जनवरी के बीच Lokniti-CSDS ने दिल्ली विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों के 761 स्टूडेंट्स के बीच एक सर्वे किया। सर्वे में शामिल स्टूडेंट्स की उम्र 18 से 34 वर्ष के बीच थी। स्टूडेंट्स से कई और सवाल भी किए पूछे गए। छात्र-छात्राओं ने अपने पसंदीदा नेता, नेताओं के रिटायरमेंट एज, नेताओं की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी अपनी राय व्यक्त की।

EVM के पक्ष में अधिक स्टूडेंट्स

राष्ट्रीय राजनीति में अक्सर यह बहस होती रहती है कि मतदान EVM से होना चाहिए या बैलेट पेपर से। सर्वे में शामिल दिल्ली विश्वविद्यालय के पांच में से चार स्टूडेंट्स की राय थी कि वोटिंग ईवीएम मशीन से होनी चाहिए। सर्वे में शामिल कुल स्टूडेंट्स में 79 ईवीएम के पक्ष में थे, वहीं मात्र 14 बैलेट के समर्थन में थे।

तय होनी चाहिए नेताओं के रिटायरमेंट की उम्र

Lokniti-CSDS के सर्वे में शामिल चार में तीन ने इस बात पर सहमति दी कि नेताओं के रिटायरमेंट की उम्र तय होनी चाहिए। इस तर्क का समर्थन करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स ग्रेजुएट थे और आगे की पढ़ाई कर रहे थे। सर्वे में शामिल कुल छात्र-छात्राओं में से 75 रिटायरमेंट की उम्र फिक्स करने के समर्थन में थे, वहीं मात्र 18 इस उपाय से सहमत नहीं थे।

शिक्षित नेता चाहते हैं यूथ

पांच में से चार छात्रों का यह मानना था कि भारत में चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए। यह भी पाया गया कि मिनिमम एजुकेशन क्वालीफिकेशन का समर्थन पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक किया और स्नातक की तुलना में उच्च डिग्री हासिल करने वाले छात्रों ने अधिक किया। आंकड़ों की बात करें तो सर्वे में शामिल कुल स्टूडेंट्स में 82 मिनिमम एजुकेशन क्वालीफिकेशन के पक्ष में और 16 विपक्ष में थे।

‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के पक्ष में नहीं डीयू स्टूडेंट्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का सुझाव दे चुके हैं। आम लोगों के बीच इस मुद्दे पर खूब बहस होती है। हालांकि देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति डीयू जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ज्यादातर स्टूडेंट्स ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के आइडिया से सहमत नहीं है।

ज्यादातर स्टूडेंट्स का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक ही समय पर नहीं होने चाहिए। पांच में से तीन ने माना कि एक साथ चुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं है। सर्वे में शामिल कुल छात्र-छात्राओं में सिर्फ 32 ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के पक्ष में थे और 60 विपक्ष में।

पसंदीदा नेता कौन?

सर्वे में शामिल 16% ने कहा कि वे नरेंद्र मोदी उनकी भाषण शैली की वजह से पसंद करते हैं। 15% ने बताया कि वे उन्हें उनकी नीतियों के कारण पसंद करते हैं। दस में से सिर्फ एक ने उन्हें करिश्माई नेता माना।

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में पूछे जाने पर तीन में से एक (35%) ने कहा कि उन्हें उनकी कोई भी बात पसंद नहीं है। जो लोग राहुल को पसंद करते हैं, उनमें से 13% ने कहा कि वे उन्हें उनकी धर्मनिरपेक्ष और समावेशी विचारधारा के कारण पसंद करते हैं। दस में से एक ने कहा कि वह उन्हें उनके दृढ़ संकल्प और मेहनती स्वभाव के लिए पसंद करते हैं।