लाइटहाउस जर्नलिज्म ने पाया कि दस दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा था कि कांग्रेस प्रशासन के दबाव में पुलिस ने गणेश प्रतिमा की पूजा-अर्चना नहीं करने दी, इससे एक हिंदू नाराज हो गया और उसने पुलिसकर्मियों को सबक सिखाया।

जाँच के दौरान हमने पाया कि वीडियो नागपुर का है और वीडियो में दिख रहा व्यक्ति शहर का एनसीपी नेता वेदप्रकाश आर्य है। यहाँ दिखाई गई गणेश प्रतिमा अपने विवादास्पद डिज़ाइन के कारण चर्चा में थी और उत्सव समाप्त होने से पहले ही उसका विसर्जन कर दिया गया था।

क्या है दावा?

X यूजर @maheshyagyasain ने भ्रामक दावे के साथ वायरल वीडियो को अपनी प्रोफ़ाइल पर शेयर किया।

दावे का आर्काइव वर्जन देखें।

https://archive.ph/I1waB

अन्य यूजर भी इसी तरह के दावे के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।

जांच पड़ताल:

हमने पूरे वीडियो को देखा, हमें अंत में गणेश की मूर्ति दिखी जो थोड़ी जानी-पहचानी लग रही थी। दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत से ही यह मूर्ति चर्चा में थी।

हमें नागपुर के एक स्थानीय पोर्टल पर इस बारे में एक खबर मिली।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है: रुद्र अवतार गणेश मंडल ने जरीपटका क्षेत्र में मूर्ति स्थापित की, कई आपत्तियाँ उठाई गईं क्योंकि मूर्ति को ड्रेनेज पाइप का उपयोग करके तैयार किया गया था। परिणामस्वरूप, कई लोगों की भावनाएँ आहत हुईं, जिससे मंडल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण मूर्ति का विसर्जन किया गया।

त्योहार के पाँचवें दिन मूर्ति का विसर्जन किया गया। मंडल ने पाँच तत्वों की थीम वाली मूर्ति स्थापित की थी, लेकिन सूंड के रूप में ड्रेनेज पाइप का उपयोग किया था।

रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है: बाद में, मंडल के सदस्यों में से एक ने एक राजनेता से संपर्क किया, जिसने तथ्यों की पुष्टि किए बिना पुलिस को गाली दी। इसके बाद पुलिस ने नेता के खिलाफ मामला दर्ज किया और मंडल के सदस्यों के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की। रिपोर्ट में नेता का नाम वेदप्रकाश आर्य बताया गया है। वेदप्रकाश आर्य नागपुर में पूर्व पार्षद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता हैं।

बाद में उन्हें मामले में जमानत दे दी गई।

हमने मामले के बारे में अधिक जानकारी के लिए नागपुर के डीसीपी (जोन 5) निकेतन कदम से भी संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया, “कुछ संगठनों ने गणेश प्रतिमा के डिजाइन पर आपत्ति जताई थी, उनके लिए मुख्य मुद्दा यह था कि सूंड एक ड्रेनेज पाइप से बानी थी और उन्होंने उसी पर आपत्ति जताई थी। इन संगठनों और गणेश मंडल ने एक साथ बैठकर पांचवें दिन मूर्ति को विसर्जित करने का फैसला किया और इसलिए पुलिस ने मंडल के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करने का फैसला किया। मामला यहीं खत्म हो जाता क्योंकि सब कुछ सुलझा लिया गया था, लेकिन मंडल का एक सदस्य स्थानीय राजनेता वेदप्रकाश आर्य से मिला और उसने उन्हें यह कहकर गुमराह किया कि डिजाइन में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है और फिर भी मंडल को परेशान किया जा रहा है। तथ्यों की पुष्टि किए बिना नेता ने इस मुद्दे पर हंगामा भी किया। इसके बाद पुलिस को कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी। एक बार जब आर्य हिरासत में थे, तो हमने उनसे पूछा कि क्या उन्हें पता है कि यह मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है, जिस पर उन्होंने सहमति जताई कि उन्हें तथ्यों के बारे में गुमराह किया गया था और उन्हें नहीं पता था कि विवाद किस बारे में था।” कदम ने यह भी कहा कि राजनेता को इलाके में हंगामा करने से पहले इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए थी।

निष्कर्ष: नागपुर के एनसीपी नेता वेदप्रकाश आर्य द्वारा गणेश प्रतिमा के विवादास्पद डिजाइन को लेकर नागपुर के गणेश मंडल में हंगामा करने का वायरल वीडियो भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। पुलिस ने भक्तों को भगवान की पूजा, आरती करने से नहीं रोका। वायरल दावा भ्रामक है।