मोदी कैबिनेट (Cabinet Ministers) में संभावित फेरबदल को लेकर मंत्रियों के बीच टेंशन का माहौल है। हालांकि चिंता कितनी भी हो काम जारी रखना होता है। हाल ही में मोदी सरकार (Modi Government) के एक मंत्री पैर चोट‍िल होने के बावजूद व‍िमान यात्रा कर रहे थे। उनकी बगल में बैठे एक यात्री ने उनसे पूछ ल‍िया- क्‍या आपके ल‍िए यह यात्रा वाकई बहुत जरूरी है?

असल में मंत्री को देख कर ही समझा जा सकता था क‍ि वह दर्द में हैं। यात्री के सवाल पर मंत्री ने बताया- मंत्रियों को किसी समारोह में शामिल न होने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है और ऐसी मंजूरी बहुत कम मिलती है। मंत्रियों को प्रधानमंत्री का उदाहरण देकर, उनकी तरह का रूटीन फॉलो करने के लिए कहा जाता है। बताया जाता है कि पीएम लगातार आगे बढ़ते रहते हैं।

दो बार राज्यसभा सांसद रहने वाले अब लड़ेंगे लोकसभा

राज्यसभा से चुने गए केंद्रीय मंत्रियों के लिए एक झटका यह भी है कि उन्हें सूचित किया गया है कि दो बार के राज्यसभा सदस्यों को 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ना होगा। राज्यसभा सांसद ऐसे मंत्रियों की सूची में धर्मेंद्र प्रधान, मनसुखलाल मंडाविया, हरदीप पुरी, वी मुरलीधरन, भूपेन्द्र यादव और पीयूष गोयल शामिल हैं।

विपक्षी एकता के अनेक पक्ष

लालू यादव (Lalu Yadav) ने बिहार के पटना में विपक्ष की बैठक (Opposition Meeting in Patna) में यह टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया कि अगर राहुल गांधी शादी कर लें तो वे सभी उनकी बारात का हिस्सा बनेंगे। कुछ लोगों ने लालू यादव के सुझाव को इस रूप में देखा की वह राहुल गांधी को विपक्ष का नेतृत्व करना करने को कर रहे हों।

बता दें कि यह यह लालू ही थे जिन्होंने सोनिया गांधी को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि राहुल पटना सम्मेलन में आएं, भले ही तारीख स्थगित करनी पड़ी क्योंकि वह अमेरिका में थे।

नीतीश कुमार लालू की टिप्पणी से चकित हो गए। क्योंकि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवालऔर अखिलेश यादव जैसे कुछ नेता इस बात पर दृढ़ हैं कि राहुल को 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य चुनौती के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए।

दूसरी तरफ कांग्रेसी हैं जो लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं कि चूंकि राहुल को लोकसभा चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मैदान में नहीं उतारा जा सकता है, लेकिन पटना में लगाए गए कांग्रेस के पोस्टर स्पष्ट कर देते हैं कि पार्टी शक्ति प्रदर्शन का सितारा किसे मानती है।

विपक्षी एकता पर एक और विवादास्पद मुद्दा यह है कि क्या नीतीश कुमार, जो डिफ़ॉल्ट रूप से विपक्षी मोर्चे के संयोजक के रूप में उभरे हैं, उन्हें उस भूमिका में बने रहना चाहिए। शरद पवार का मानना ​​है कि वह नीतीश की तुलना में अधिक स्वीकार्य हैं, जिन्होंने भाजपा के साथ कई साल बिताए हैं। उधर ममता बनर्जी भी संयोजक बनना चाहेंगी। बनर्जी ने कई इशारा दे चुकी हैं, यहां तक ​​कि सम्मानपूर्वक लालू के पैर भी छुए।