भारत के विदेश यात्रा परिदृश्य में वर्ष 2025 में एक निर्णायक बदलाव देखने को मिला, जिसके तहत देश से 10 में से नौ अंतरराष्ट्रीय यात्राएं ‘मिलेनियल्स’ और ‘जेन जी’ ने की। एक रपट में यह जानकारी सामने आई है। वर्ष 1981-1996 के बीच जन्मी पीढ़ी को मिलेनियल्स जबकि वर्ष 1997-2012 के बीच जन्मे लोगों को ‘जेन जी’ कहा जाता है।

यात्रा एवं वित्तीय प्रोद्यौगिकी मंच ‘नियो (Niyo)’ द्वारा जारी वार्षिक यात्रा रपट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे युवा, डिजिटल-फर्स्ट और अनुभव-केंद्रित भारतीय कैसे बेहतर योजना, अकेले यात्रा और लागत-सचेत निर्णय के माध्यम से वैश्विक यात्रा प्रवृत्तियों को नया रूप दे रहे हैं। रपट के निष्कर्षों में कहा गया है, ‘जेन जी और मिलेनियल्स ने 10 में से 9 अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कीं। इनमें से दो-तिहाई यात्राएं दिल्ली, बंगलुरु और मुंबई से शुरू गईं, जो भारत के प्रमुख महानगरों के विदेश यात्रा पर मजबूत प्रभाव को दर्शाती हैं।’

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रपट के अनुसार, भारतीय यात्रियों में सबसे अधिक पसंदीदा एकल यात्रा रही, जो एक विकल्प के तौर पर उभरी हैं। इस साल 63.8 फीसद लोगों ने एकल यात्राएं की। युगल यात्रा का फीसद 19.93 रहा। इसमें कहा गया है कि इसके बाद परिवारों की यात्रा का फीसद 12.26 एवं समूहों का फीसद 4.01 रहा। रपट में कहा गया है कि ये आंकड़े स्वतंत्र यात्रा अथवा एकल यात्रा की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है।

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रपट में कहा गया है कि कम दूरी की एशियाई यात्रा वाले गंतव्य और उभरते मध्य एशियाई देश भारतीय यात्रियों के लिए शीर्ष विकल्प बने रहे। इसमें कहा गया है कि इस सूची में शीर्ष पर थाईलैंड रहा, जहां 23.08 फीसद यात्राएं की गईं, इसके बाद 21.57 फीसद यात्राओं के साथ यूएई का नंबर रहा। इसके अनुसार इसके बाद जार्जिया (9.65 फीसद), मलेशिया (8.89 फीसद), फिलीपींस (8.8 फीसद), कजाकिस्तान (7.38 फीसद), वियतनाम (5.87 फीसद), उज्बेकिस्तान (5.6 फीसद), ब्रिटेन (5.38 फीसद) और सिंगापुर (3.78 फीसद) की यात्राएं की गईं। इसमें आगे कहा गया है, ‘यात्रा वृद्धि के मामले में उभरते देश थाईलैंड, यूएई, मलेशिया, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान थे, जबकि दुबई, वियतनाम, सिंगापुर, हांगकांग और इंडोनेशिया के लिए वीजा बुकिंग में भी मजबूत वृद्धि हुई।’

रपट में विदेश यात्रा करने वाले यात्रियों के खर्च करने के बदलते व्यवहार पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें दिखाया गया है कि कुल खर्च का लगभग आधा हिस्सा खरीदारी पर (कार्ड के उपयोग का 47.28 फीसद) खर्च हुआ, इसके बाद भोजन पर 20.69 फीसद, परिवहन पर 19.93 फीसद, आवास पर 9.09 फीसद और अनुभवों पर 3.01 फीसद खर्च हुआ। रपट के निष्कर्ष दस लाख से अधिक विदेश यात्रा करने वाले भारतीय यात्रियों के यात्रा आंकड़ों पर आधारित हैं।