Mahayuti and MVA in Maharashtra elections 2024: महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे किसके पक्ष में आएंगे, इसे लेकर न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि दिल्ली तक में अटकलों का दौर तेज है। राज्य के दो बड़े गठबंधन महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) में शामिल दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। तमाम एग्जिट पोल ने नतीजों को लेकर बेसब्री और बढ़ा दी है। कुछ एग्जिट पोल में महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के बीच नजदीकी मुकाबले की बात कही गई है जबकि कुछ एग्जिट पोल का कहना है कि महायुति को स्पष्ट तौर पर बहुमत मिल सकता है।

महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर एक अहम तथ्य यह है कि पिछले 34 साल से यहां कोई भी दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सका है। यानी 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र की विधानसभा में किसी भी राजनीतिक दल ने पिछले 34 सालों में 145 सीट नहीं जीती हैं। इसका मतलब राज्य में जब-जब सरकार बनी है गठबंधन की ही सरकार बनी है और इस वजह से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता भी देखने को मिली है।

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कौन जीतेगा महाराष्ट्र – झारखंड चुनाव? (Jansatta)

1995 में महाराष्ट्र में गठबंधन राजनीति का दौर शुरू हुआ था और मौजूदा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी ऐसा होना तय है। माना जा रहा है कि कुछ छोटे दल चुनाव नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

चुनाव नतीजों को लेकर महायुति और MVA में शामिल दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए इन गठबंधनों के नेता छोटी पार्टियों और अपने दम पर चुनाव जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों के संपर्क में भी हैं। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 148 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन यह तय है कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी के बिना सरकार नहीं बना पाएगी।

दूसरी ओर MVA की अगुवाई करने वाली कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे भी 145 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) के भरोसे ही रहना होगा।

महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दल वंचित बहुजन अघाडी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा है कि उनका दल सरकार बनाने वाली पार्टी या गठबंधन के साथ रहेगा। उन्होंने साफ कहा कि हम सत्ता के साथ रहेंगे। लेकिन वीबीए ने इस चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं किया और अकेले ही चुनाव लड़ा।

आइए, थोड़ा सा समझते हैं कि महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों में किस तरह गठबंधन की राजनीति ने आकार लिया है।

1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य बना था और 1962 में पहली बार विधानसभा के चुनाव हुए थे। तब कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था और उसने 215 सीटें जीती थी। 1967 के चुनाव में भी पार्टी को 203 सीटों पर जीत मिली। 1978 में कांग्रेस टूट गई। 1978 में कांग्रेस को 69, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) को 62 और जनता पार्टी को 99 सीटें मिलीं थीं।

शरद पवार ने की बगावत, बने सीएम

शरद पवार ने कांग्रेस से बगावत की और जनता पार्टी और पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया की मदद से सरकार बनाई। तब पवार 38 साल की उम्र में देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे लेकिन 1980 में इस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद महाराष्ट्र में फिर से चुनाव हुए और कांग्रेस ने 186 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया।

उस दौरान महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना साथ-साथ आए और इन दोनों दलों ने गठबंधन बनाकर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ना शुरू किया। महाराष्ट्र की राजनीति को अगर आप देखें तो 1962 से लेकर 1990 तक कांग्रेस ही यहां सबसे ताकतवर रही। 1990 का चुनाव आखिरी विधानसभा चुनाव था जब किसी पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने तब 141 सीटें जीती थी जबकि शिवसेना ने 52 और बीजेपी ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

साथ आए बीजेपी-शिवसेना, बनाई सरकार

1995 में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव हुए जब शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा और पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। शिवसेना ने तब 73 और बीजेपी ने 65 सीटें जीती थी। कुछ बागियों के साथ मिलकर इस गठबंधन ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई और शिवसेना नेता मनोहर जोशी मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे उप मुख्यमंत्री बने। तब कांग्रेस को 80 सीटें मिली थी और यह उसकी बड़ी हार थी।

1999 में कांग्रेस में एक बड़ा विभाजन हुआ जब शरद पवार फिर से पार्टी को छोड़कर चले गए और उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया लेकिन चुनावी हालात को देखते हुए पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस के साथ ही गठबंधन किया। तब राज्य में दो बड़े गठबंधन आमने-सामने आए। एक था कांग्रेस-एनसीपी और दूसरा शिवसेना-बीजेपी।

1999 से 2019 तक महाराष्ट्र में लगातार गठबंधन सरकार ही चलती रही। 1999 से 2014 तक कांग्रेस और एनसीपी ने लगातार सरकार चलाई और 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना गठबंधन फिर से सत्ता में आया।

2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा था और उसने 122 सीटों पर जीत हासिल की थी।

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Kodarma Vidhan sabha Election Result: कोडरमा विधानसभा सीट के चुनाव नतीजे (Photo:X)

2019 में बनाई MVA ने सरकार, उद्धव बने सीएम

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली क्योंकि अविभाजित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ अपना कई दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया और एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन बनाया। MVA की सरकार में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने जबकि शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

जून, 2022 में शिवसेना में बड़ी बगावत हुई जब एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे से अलग हो गए और MVA की सरकार गिर गई। एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने समर्थन दिया और राज्य में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई। इस सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने जबकि देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। 2023 में महाराष्ट्र की राजनीति में फिर एक बड़ा घटनाक्रम हुआ जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत की और बीजेपी-एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हाथ मिला लिया। अजित पवार को सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

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बहुमत मिला तो कौन बनेगा CM? (Source-PTI)

महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात को देखकर साफ है कि किसी भी दल का अपने बूते सरकार बनाना असंभव है। देखना होगा कि क्या इस बार महाराष्ट्र में किसी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा?

इस बार के चुनाव नतीजों को लेकर उत्सुकता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि 1995 के बाद पहली बार सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। इस बार 66.05% मतदान हुआ है और इसने महायुति और MVA दोनों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। दोनों गठबंधनों को ऐसा लगता है कि बढ़े हुए मतदान से उन्हें फायदा होगा। उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि वोटिंग के ट्रेंड को देखकर पता चलता है कि ‘प्रो इनकंबेंसी फैक्टर’ चुनाव में हावी रहा है जबकि महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि MVA के पक्ष में जनादेश आएगा।