Maharashtra Election Ladki Bahin Yojana Mahayuti: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों के बाद अब महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई पूरे जोर-शोर से लड़ी जा रही है। मुंबई में एक फाइनेंस कंपनी के डायरेक्टर ने बातचीत के दौरान कहा, “आप नहीं जानते कि बीजेपी महाराष्ट्र में भी जीत सकती है। कांग्रेस जो हरियाणा का चुनाव जीतने के दावे कर रही थी लेकिन आप नहीं बता सकते कि आखिरी समय में कांग्रेस के साथ क्या होगा।” बताना होगा कि कांग्रेस को कतई उम्मीद नहीं थी कि उसे हरियाणा के चुनाव में हार मिलेगी।

पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा जिले के गांव में काम करने वाले एक कार्यकर्ता ने कुछ ऐसी ही बातें कही। उसने कहा कि लड़की बहिन योजना की वजह से एक अंतर पैदा हुआ है। इससे न सिर्फ अधिकतर महिलाओं के खातों में 4500 हजार रुपए पहुंचे हैं बल्कि कई महिलाएं तो ऐसी हैं जिन्हें 7500 हजार रुपए तक मिले हैं और इससे महा विकास अघाड़ी (MVA) का असर कुछ कम हुआ है। कार्यकर्ता ने बताया कि लेकिन ऐसा नहीं है कि राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल गए हैं।

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इन दोनों ही लोगों की बातों का एक मतलब था कि महाराष्ट्र के चुनावी हालात में कुछ नहीं कहा जा सकता कि क्या होगा क्योंकि चुनावी माहौल पूरी तरह अनिश्चित है और मुकाबला बेहद करीबी है।

लोकसभा चुनाव में बहुत आगे रहा था MVA

लोकसभा चुनाव में MVA के लिए सहानुभूति फैक्टर हावी रहा था और यह फैक्टर यह था कि बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी का बंटवारा कर दिया है। याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे MVA के लिए फायदेमंद जबकि महायुति के लिए खराब रहे थे। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होना है और चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं है।

MVA seat sharing dispute 2024
लोकसभा चुनाव में MVA ने किया था शानदार प्रदर्शन।

महाराष्ट्र और मुंबई देश के बड़े कॉमर्शियल हब हैं और यहां के चुनाव नतीजे निश्चित रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं।

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद निराशा का सामना कर रही बीजेपी को हरियाणा ने ऊर्जा दी है। लेकिन अगर MVA महाराष्ट्र का चुनाव जीत लेता है तो हरियाणा के चुनाव नतीजों को लोग भुला देंगे।

हरियाणा फैक्टर ने BJP में फूंकी जान

वैसे तो कोई भी दो राज्य एक जैसे नहीं होते और विधानसभा के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं लेकिन फिर भी महाराष्ट्र में महायुति और MVA के बीच एक ‘एच’ फैक्टर जरूर काम करेगा। इस ‘एच’ फैक्टर यानी हरियाणा फैक्टर ने बीजेपी के निराशा कार्यकर्ताओं में जान फूंक दी है और उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया है कि हम हारी हुई बाजी को भी जीत सकते हैं।

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यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री की भी बॉडी लैंग्वेज हरियाणा की जीत के बाद पूरी तरह से बदल गई है और अब बीजेपी महाराष्ट्र के चुनाव में अपने सहयोगियों एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी से ज्यादा सौदेबाजी कर सकती है। जैसा सीटों के बंटवारे की एक बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से कहा- हमने आपको मुख्यमंत्री बनाने के लिए बहुत त्याग किया है अब आपको भी त्याग करना चाहिए। शाह का मतलब था कि शिंदे बीजेपी के लिए ज्यादा सीटें छोड़ें।

BJP के लिए काम कर रहा RSS

नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय भी है और आरएसएस ने बीजेपी के लिए सक्रिय रूप से काम करना शुरू कर दिया है। कुछ वक्त पहले आरएसएस के नेताओं और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई बैठकें हुई है। भले ही महायुति मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है लेकिन फिर भी उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पार्टी के सबसे अच्छे नेता के रूप में देखा जा रहा है।

MVA को मराठा आरक्षण से जीत की उम्मीद

बीजेपी महाराष्ट्र में ओबीसी (माली, धनगढ़, वंजारी) को अपने पक्ष में एकजुट करने की कोशिश करेगी जैसा कि उसने हरियाणा में किया। वहां जाट बनाम नॉन जाट के ध्रुवीकरण से उसे बड़ी जीत मिली। महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन के बाद मराठा-ओबीसी का बंटवारा तेज हुआ है। MVA को ऐसा अनुमान है कि इससे उसे चुनाव में फायदा मिलेगा।

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एमपी में मिला था BJP को फायदा

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद एकनाथ शिंदे ने लगातार खुद को मजबूत किया है। माझी लड़की बहिन योजना से वह लोकप्रिय हुए हैं और ऐसा लग रहा है कि यह योजना महायुति के लिए गेम चेंजर साबित होगी जैसा कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए हुआ था। इस योजना के तहत 18-60 वर्ष की महिलाओं को राज्य सरकार 1,500 रुपये प्रति माह देगी।

MVA के पास शरद पवार जैसे बड़े नेता का साथ है। पवार की बातों को उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी भी गंभीरता से लेते हैं और यह MVA के लिए एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है।