मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की तारीख (17 नवंबर) का ऐलान हो गया है। इसके साथ ही पहले से गरम हो चुका चुनावी माहौल और गरमाने वाला है। साथ ही, बगावत की आशंका भी बढ़ रही है। खास कर उस क्षेत्र में, जिसके विधायकों के दम पर भाजपा राज्य में सरकार चला रही है। यह क्षेत्र ग्वालियर-चंबल का है।
इसी इलाके के कांग्रेसी विधायकों को ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने साथ भाजपा में लेकर आए थे और मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। इस इलाके की आधा दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां बगावत की पूरी आशंका है। भिंड, मेहगांव, गोहद, मुरैना, ग्वालियर दक्षिण, करैरा, चाचौड़ा आदि ऐसी ही सीटें हैं।
कहां, किस वजह से मुसीबत?
भिंड से टिकट के दो बड़े दावेदार हैं- एक मौजूदा विधायक संजीव कुशवाह और दूसरे पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह। टिकट नहीं मिलने की स्थिति में दोनों किसी दूसरी पार्टी से मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं।
मेहगांव: यहां के विधायक ओपीएस भदौरिया राज्य सरकार में मंत्री हैं। लेकिन, उन्हें टिकट मिलने की गारंटी नहीं लग रही। पूर्व विधायक राकेश शुक्ला दावेदार बन कर उभर रहे हैं और प्रदेश उपाध्यक्ष मुकैश चौधरी भी संभावित उम्मीदवार बन कर उभर रहे हैं। ऐसे में एक नाम घोषित होते ही, बाकी के भेदिया या बागी बनने के पूरे आसार हैं।
गोहद: यहां हुए उपचुनाव में रणवीर जाटव हार गए थे। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। जाटव को इस बार टिकट नहीं मिला है। लालसिंह आर्य को भाजपा ने टिकट दिया है। इसके बाद जाटव अपना नया ठिकाना तलाशने में जुटे हुए हैं। कहा जा रहा है कि बसपा भी उनके संपर्क में है।
मुरैना: मुरैना में सिंधिया समर्थक धरघुराज सिंह कंसाना पर ही एक बार फिर भरोसा जताया गया है। लेकिन, इससे पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। रुस्तम अपने बेटे को उम्मीदवार बनवाने के लिए जी-जान एक किए हुए थे। अब निराश रुस्तम यहां कंसाना के लिए क्या हालात बनाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।
ग्वालियर दक्षिण: इस सीट पर एक बार फिर बगावत की आशंका है। पिछले चुनाव में भी समीक्षा गुप्ता ने बगावत की थी और टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतर गई थीं। भाजपा के हाथ से यह सीट निकल गई थी। इस बार भी समीक्षा गुप्ता यहां से लड़ने की तैयारी में हैं। अनूप मिश्रा भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वैसे सबसे ज्यादा मजबूत दावेदारी पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह की मानी जा रही है।
यहां देखिए, मध्य प्रदेश चुनाव के लिए जारी बीजेपी उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट
करैरा: यहां रमेश खटीक को भाजपा ने टिकट दिया है। पूर्व विधायक जसवंत जाटव भी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन नाकाम रहने के बाद उन पर बसपा और सपा के नेता डोरे डाल रहे हैं। उनकी ताकत यह मानी जा रही है कि क्षेत्र में उनकी बिरादरी के मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।
चाचौड़ा: यहां तो ममता मीणा ने बगावत कर दी है। उनका टिकट काट कर भाजपा ने प्रियंका मीणा को दे दिया तो ममता आप की उम्मीदवार बन गई हैं।
सिंधिया का भाजपा में आना अब मुश्किल पैदा कर रहा है!
ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में आमद भी कहीं-कहीं मुसीबत का सबब बनती दिखाई दे रही है। जिन विधायकों के साथ सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में आए थे, उनमें से कुछ अब उनके साथ नहीं हैं। जाहिर है, वे भाजपा की ही मुश्किल बढ़ाएंगे। सिंधिया समर्थक जिन नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है, उनकी सीटों पर बीजेपी के पुराने नेता असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।
ग्वालियर-चंबल का इलाका सिंधिया का गढ़ माना जाता रहा है। अगस्त में कोलारस के भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी छोड़ते हुए सीधे तौर पर सिंधिया को निशाना बनाया। रघुवंशी ने सिंधिया से मतभेदों के चलते ही 2014 में कांग्रेस छोड़ी थी और 2020 में सिंधिया ही भाजपा में आ गए।