4 जून को सामने आए लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम बीजेपी के लिए मनमुताबिक नहीं रहे। पार्टी को अपना गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में भी हार का सामना करना पड़ा है। यूपी में भाजपा की बड़ी हार में अयोध्या और वाराणसी क्षेत्रों में भी कम सीटें मिलना भी एक वजह है। बीजेपी अयोध्या क्षेत्र में आने वाली 9 में से 5 लोकसभा सीटें और वाराणसी में आने वाली 12 में से 9 सीटें हार गयी है।
अयोध्या में जहां भव्य राम मंदिर बनाया गया जिसका लंबे समय से भाजपा ने वादा किया था, वहीं वाराणसी अब न केवल तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है, बल्कि उनकी सरकार की महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर परियोजना भी वहीं है। इन सबके बावजूद बीजेपी मनमुताबिक नतीजे नहीं ला सकी।
अयोध्या क्षेत्र में आने वाली नौ लोकसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी हार गई। 2019 में उसने इनमें से सात सीटों पर जीत हासिल की थी। जिन निर्वाचन क्षेत्रों से पार्टी हार गई उनमें फैजाबाद भी शामिल है, जिसके अंतर्गत राम मंदिर पड़ता है। फैजाबाद सीट समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद सिंह ने जीती है। भाजपा ने 2014 और 2019 दोनों चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र पर जीत हासिल की थी।
फैजाबाद में किसे मिले कितने वोट
पार्टी | प्रत्याशी | मिले वोट (%) |
बीजेपी | लल्लू सिंह | 43.81 |
सपा | अवधेश प्रसाद | 48.59 |
बसपा | सच्चिदानंद पांडे | 4.07 |
फैजाबाद सीट पर बीजेपी की हार
इस बार बीजेपी ने फैजाबाद लोकसभा सीट से लल्लू सिंह को उतारा था। 2014 और 2019 में लगातार जीतने वाले लल्लू सिंह को इस बार अवधेश प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा है। फैजाबाद के नजदीक सुल्तानपुर में भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को समाजवादी पार्टी के राम भुआल निषाद से पहली बार हार का सामना करना पड़ा। बस्ती लोकसभा सीट भी सपा ने जीत ली, यहां से भाजपा के दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी हार गए।

भाजपा ने अम्बेडकर नगर और श्रावस्ती भी खो दी, जो उसने 2019 में भी नहीं जीती थी। पार्टी यहां राम मंदिर के नाम पर जीतने की उम्मीद कर रही थी क्योंकि राम मंदिर का अभिषेक सिर्फ चार महीने पहले हुआ था। दरअसल, राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और पूर्व पीएम मोदी के सहयोगी नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा श्रावस्ती से बीजेपी के उम्मीदवार थे।
फैजाबाद लोकसभा चुनाव परिणाम

अयोध्या क्षेत्र के जिन निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा जीती है वे हैं कैसरगंज, गोंडा, डुमरियागंज और बहराइच। कैसरगंज से भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करणभूषण को मैदान में उतारा गया था।
राम मंदिर पर क्या बोले सपा नेता अवधेश प्रसाद
फैजाबाद सीट समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद सिंह ने अपनी जीत के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “भाजपा देश में झूठ फैला रही है कि हम राम को वापस लाये हैं। हकीकत तो यह है कि उन्होंने राम के नाम पर देश को धोखा दिया, राम के नाम पर कारोबार किया, राम के नाम पर महंगाई बढ़ने दी, राम के नाम पर बेरोजगारी पैदा की, राम के नाम पर गरीबों और किसानों को उजाड़ा। भाजपा ने राम की मर्यादा को नष्ट करने का काम किया है। जनता इस बात को अच्छे से समझ चुकी है।”

सपा नेता ने आगे कहा, “मेरे नेता मुलायम सिंह यादव कहते थे कि अयोध्या में मंदिर जरूर बनना चाहिए, चाहे वह सोने का ही क्यों न हो, लेकिन यह आपसी सहमति से या कोर्ट के फैसले पर बनना चाहिए। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उनके सामने भी यही मुद्दा आया। उनकी भी यही राय थी। अंत में कोर्ट के फैसले के बाद ही मंदिर का निर्माण हुआ। सरकार कोई भी हो, अगर कोर्ट का फैसला आता तो मंदिर जरूर बनता, लेकिन जबरन श्रेय लेना गलत है। जनता समझ गई है ये राम को लाने वाले नहीं हैं, राम तो हजारों साल से यहीं हैं।”
वाराणसी में आने वाली 12 में से 9 सीटें हारी भाजपा
वहीं, दूसरी ओर वाराणसी क्षेत्र में 12 लोकसभा सीटें हैं- वाराणसी, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही, चंदौली, मिर्ज़ापुर, रॉबर्ट्सगंज, ग़ाज़ीपुर, घोसी, आज़मगढ़, लालगंज और बलिया। 2019 में, सहयोगी अपना दल-सोनीलाल के साथ भाजपा ने इनमें से सात सीटें जीतीं, जबकि जौनपुर, गाजीपुर, घोसी, लालगंज और आज़मगढ़ हार गई थी। बाद में सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सीट खाली करने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने आजमगढ़ जीत लिया था।

इस बार भाजपा ने इस क्षेत्र में केवल तीन सीटें जीतीं (अपना दल-सोनीलाल द्वारा जीती गई एक सीट सहित), जौनपुर, मछलीशहर, चंदौली, रॉबर्ट्सगंज, गाज़ीपुर, घोसी, लालगंज, आज़मगढ़ और बलिया हार गई। हारने वालों में केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे भी शामिल थे, जो सपा के बिजेंद्र सिंह से हार गए। रॉबर्ट्सगंज और बलिया सीटें भी 2014 और 2019 दोनों में भाजपा ने जीती थीं। इस बार ये सीटें क्रमशः सपा के छोटेलाल और सनातन पांडे ने जीतीं।
वाराणसी में किसे मिले कितने वोट
पार्टी | प्रत्याशी | मिले वोट (%) |
बीजेपी | नरेंद्र मोदी | 54.24 |
कांग्रेस | अजय राय | 40.74 |
बसपा | अतहर जमाल लारी | 2.99 |
UP में बीजेपी के 49 मौजूदा सांसदों में से 27 हारे
सत्ता विरोधी लहर ने यूपी में 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए नतीजों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके 49 मौजूदा सांसदों में से 27 हार गए। बीजेपी ने 2019 में चुनाव लड़ने वाले 54 उम्मीदवारों को दोबारा टिकट दिया था लेकिन उनमें से 31 इस बार जीत हासिल करने में असफल रहे।
तीसरी या उससे ज्यादा बार चुनाव लड़ रहे केवल 14 भाजपा सांसद जीते
इस बार मैदान में उतरे उम्मीदवारों में से 49 मौजूदा सांसद थे। इनमें से 33 सांसद तीसरी बार या उससे अधिक बार चुने गए लेकिन उनमें से 20 अपनी सीटें हार गए। इस सूची में स्मृति ईरानी (अमेठी), अजय मिश्रा टेनी (खीरी), कौशल किशोर (मोहनलालगंज), महेंद्र नाथ पांडे (चंदौली), साध्वी निरंजन ज्योति (फतेहपुर), भानु प्रताप सिंह वर्मा (जालौन) और संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर) जैसे सांसद और केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। आठ बार की सांसद मेनका गांधी (सुल्तानपुर) और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह (एटा) जैसे हाई-प्रोफाइल सांसदों को भी हार का सामना करना पड़ा। लल्लू सिंह (फैजाबाद) और सुब्रत पाठक (कन्नौज) को भी हार का सामना करना पड़ा।
आंकड़ों से पता चला कि तीसरी या उससे ज्यादा बार चुनाव लड़ रहे केवल 14 भाजपा सांसद जीते, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी (वाराणसी), महेश शर्मा (जीबी नगर), भोला सिंह (बुलंदशहर), राजनाथ सिंह (लखनऊ), और हेमा मालिनी (मथुरा) शामिल हैं।
घटा भाजपा का वोट शेयर
2019 के लोकसभा चुनावों में, जब भाजपा ने शानदार जीत हासिल करते हुए 303 सीटें जीती थीं, तो उसने 50% से अधिक वोट शेयर के साथ उनमें से 224 सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा 50% से अधिक वोट शेयर के साथ उनमें से केवल 156 सीटें ही जीत पाई। 2019 में बीजेपी ने 50% से ज्यादा वोटों से जो 224 सीटें जीतीं, उनमें से सात सीटों पर उसे 70% से ज्यादा वोट मिले थे, 77 सीटों पर 60% से 70% के बीच और 50% से 60% के बीच 140 सीटों पर वोट मिले थे।
