केरल के चुनावी मैदान में मुख्य मुकाबला एलडीएफ और यूडीएफ के बीच है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF), सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) को निशाना बनाने में जुटा हुआ है।
केरल की 20 लोकसभा सीटों के लिए जारी चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस बनाम वामपंथ की लड़ाई जारी है। दोनों पक्षों के INDIA गठबंधन में सहयोगी होने के बावजूद कड़वाहट दिखाई दे रही है। यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सीएम पिनाराई विजयन सहित बड़े नेताओं पर व्यक्तिगत निशाना साधते हुए कांग्रेस और वामपंथियों के बीच खींचतान चल रही है। सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ‘द हिंदू’ से बातचीत के दौरान कहा कि कई यूडीएफ और कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसा पूरे देश में हो रहा है। भाजपा आज नई कांग्रेस के नाम से जानी जाती है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं को मैदान में उतारा है।
INDIA गठबंधन के दलों में फूट
सीताराम येचुरी ने कहा, “कांग्रेस को आत्ममंथन कर तय करना चाहिए कि उनका मुख्य लक्ष्य क्या है, अगर भाजपा मुख्य लक्ष्य है तो आइए उन्हें हराएं। अगर कांग्रेस का मेन टारगेट एलडीएफ और केरल के मुख्यमंत्री हैं तो कांग्रेस केवल भाजपा की मदद कर रही है। कांग्रेस यही संदेश दे रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” सीपीआई (एम) महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री को निशाना बनाना अनुचित है। केरल के मुख्यमंत्री राहुल गांधी के संसद से निलंबन की निंदा करने वाले पहले व्यक्ति थे। वे जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, हमने उस तरह से कभी नहीं की।
सीएम पिनाराई विजयन का कांग्रेस पर हमला
वहीं, दूसरी ओर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए उस पर भाजपा द्वारा आरएसएस के एजेंडे को लागू करने पर चुप रहने का आरोप लगाया है। 22 अप्रैल को कन्नूर के मट्टनूर में एक सार्वजनिक बैठक में विजयन ने कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस आरएसएस विचारधारा वाली भाजपा के कामों का विरोध करने में विफल रही।
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए पिनाराई विजयन ने अपने देशव्यापी दौरे के दौरान सीएए पर कांग्रेस नेता की चुप्पी की आलोचना की थी। विजयन ने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में सीएए को शामिल करने का प्लान था लेकिन घोषणापत्र ज्यादा बड़ा होने के कारण इसे हटा दिया गया। मुख्यमंत्री ने केरल के विकास के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि राज्य में विनाशकारी बाढ़ के दौरान केंद्र से कम सहायता दी गयी। उन्होंने लोगों से संकट के समय में केरल में विकास के भाजपा के वादों और उसके पिछले कार्यों पर गौर फरमाने का आग्रह किया।

कौन अधिक भाजपा विरोधी?
एलडीएफ और यूडीएफ नेताओं के बीच वाकयुद्ध जारी है क्योंकि वे मुस्लिम-ईसाई वोट बैंक को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनमें से कौन अधिक भाजपा विरोधी है। जहां कांग्रेस इन वर्गों से कहती है कि केवल वह ही भाजपा और मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर रोक सकती है, वहीं एलडीएफ उन कांग्रेस नेताओं की संख्या पर फोकस करती है जो दल बदलकर भाजपा में शामिल हो गए।
केरल में राजनीतिक दलों की अल्पसंख्यक वोटों पर नजर
चुनाव के दौरान केरल में राजनीतिक दलों के लिए अल्पसंख्यक वोटों पर पकड़ बनाना सबसे बड़ी चुनौती रही है। इस बार यह लड़ाई और भी बढ़ गयी है जब भाजपा भी इस बार राज्य में टक्कर में है। कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ इस बात पर जूझ रहे हैं कि संघ के सांप्रदायिक फासीवादी एजेंडे के खिलाफ कौन खड़ा हो सकता है। 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम और ईसाई समुदाय मिलकर राज्य की आबादी का 44.9% हैं। राजनीतिक दलों का कहना है कि यह आंकड़ा अब बढ़ा ही होगा।
मालाबार क्षेत्र में आठ निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां सभी सीटों पर 25% से अधिक मुस्लिम आबादी है। कासरगोड (30.8% लगभग), कन्नूर (26% लगभग) , वडकारा (31.2%), कोझिकोड (36.7%), वायनाड (41%), मलप्पुरम (68%), पोन्नानी (62.4%) और पलक्कड़ (29.4%) में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। इसके अलावा ईसाई समुदाय की बात की जाये तो राज्य की 20 सीटों में से 13 में अल्पसंख्यक आबादी का हिस्सा 35% से अधिक है। राज्य में छह सीटें हैं जहां ईसाई आबादी की हिस्सेदारी 20% से अधिक है, सबसे ज्यादा इडुक्की (41.8%) और पथानामथिट्टा (39.6%) में क्रिश्चियन हैं।
केरल के इन जिलों में अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा
जिला | मुस्लिम+ईसाई (प्रतिशत) |
मलप्पुरम | 72.2 |
एर्नाकुलम | 53.7 |
इडुक्की | 50.8 |
वायनाड | 50.0 |
कोट्टयम | 49.9 |
कासरगोड | 43.9 |
कोझिकोड | 43.5 |
केरल (कुल) | 44.9 |
सीएए-एनआरसी के खिलाफ राज्य में फैले भय पर फोकस कर रहीं पार्टियां
यह अच्छी तरह से जानते हुए कि मुस्लिम वोट एक निर्णायक कारक हो सकते हैं, यूडीएफ और एलडीएफ दोनों ने सीएए और एनआरसी के बारे में राज्य में फैले भय-आशंकाओं और समान नागरिक संहिता लागू करने के भाजपा के वादे पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। कांग्रेस अल्पसंख्यकों से अपील करने की कोशिश कर रही है कि भाजपा के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में, वह संघ परिवार की राजनीति के खिलाफ सबसे अच्छा दांव है।
एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चला रहीं पार्टियां
वहीं, सीपीएम का चुनाव अभियान अल्पसंख्यकों को यह संदेश देने पर केंद्रित है कि कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यह देश भर में कांग्रेस से भाजपा में आए 12 पूर्व मुख्यमंत्रियों के दलबदल और एके एंटनी के बेटे और के करुणाकरण की बेटी के पाला बदलने का मुद्दा उठा रहा है। इसके अलावा, अल्पसंख्यक वोटों की दौड़ में, सीपीएम यह कहकर आईयूएमएल समर्थकों को लुभा रही है कि पार्टी को यूडीएफ के साथ डील मिल रही है।
क्रिश्चियन वोट पर नजर
ईसाई, यूडीएफ के लिए एक गारंटीड वोट बैंक हैं। दिवंगत ओमान चांडी जैसे नेताओं के सभी चर्च के बड़े नेताओं के साथ करीबी संबंध थे। हालांकि अब, यूडीएफ के पास इस रिश्ते को जारी रखने के लिए उस कद के नेता नहीं हैं। जहां अधिकांश चर्च सत्ताधारी एलडीएफ से खुश नहीं हैं लेकिन यह स्पष्ट भी नहीं है कि वे इस बार भी पूरी तरह से यूडीएफ की ओर झुकेंगे या नहीं।
राज्य में लगभग 50 लाख से अधिक सिरो-मालाबार कैथोलिक हैं। चर्च के गढ़ एर्नाकुलम, चलाक्कुडी, त्रिशूर, कोट्टायम, मावेलिककारा और पथानामथिट्टा हैं। चर्च वडकारा, कालीकट और कन्नूर के कुछ इलाकों में भी मजबूत हैं। लैटिन कैथोलिक, जिनकी तटीय क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति है, उन्होंने भी राज्य सरकार और विपक्ष के साथ कुछ मुद्दे उठाए हैं।
केरल में अपने पांव पसारने की कोशिश में जुटी भाजपा
यूडीएफ और एलडीएफ के बीच फंसी बीजेपी केरल में ‘तीसरे खिलाड़ी’ के रूप में उभरने की पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी ने अब तक राज्य में सिर्फ एक विधानसभा सीट जीती है, इस बार अपना खाता खोलने की पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा राज्य में अपने बढ़ते वोट प्रतिशत (2019 में 13%) के अलावा, ईसाइयों के वर्गों को लुभाने का प्रयास, दो केंद्रीय मंत्रियों और फिल्म सितारों सहित कुछ हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों को मैदान में उतारना जैसे तमाम दांव खेल रही है।
राज्य भाजपा ‘मोदी फैक्टर’ पर बहुत अधिक भरोसा कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने केरल में कई चुनावी यात्राएं कीं हैं। जहां वह कांग्रेस और वाम दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू, भ्रष्टाचार के दो स्तंभों के रूप बता रहे हैं। उन्हें और उनकी पार्टी को मौका देने के लिए मनाने की कोशिश में जुटे पीएम मोदी का कहना है कि केरल उनकी सरकार के विकास एजेंडे का हिस्सा है।
कांग्रेस का क्षेत्र
देशभर में सिकुड़ती कांग्रेस को केरल ने सहारा दिया। पिछले चुनाव में पार्टी ने यहां 20 में से 15 सीटें जीतीं थीं। इसके साथ ही राहुल गांधी को अमेठी में हार के बाद वायनाड सीट पर जीत भी दिलाई।

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
2019 के आम चुनावों में, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने राज्य की 20 में से 19 सीटों पर जीत हासिल की। यूडीएफ ने मुस्लिम और ईसाई वोटों के एकीकरण के कारण यह 19 सीटें जीतीं। लोकनीति सीएसडीएस के चुनाव बाद सर्वे के अनुसार, 2019 में यूडीएफ को 65% मुस्लिम वोट और 70% ईसाई वोट मिले जबकि एलडीएफ को क्रमशः 28% और 24% ही मिले। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राज्य में कोई भी सीट नहीं जीत सका लेकिन लगभग 15% वोट शेयर हासिल किया। सत्तारूढ़ एलडीएफ़ केवल एक सीट ही जीत सका।
लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम
2014 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने राज्य की 20 में से 8 सीटों पर 31.10% वोट के साथ जीत हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन राज्य में कोई भी सीट नहीं जीत सका था, हालांकि पार्टी को 10.83% वोट मिला था। एलडीएफ़ के खाते में 7 सीटें और 21.59% वोट शेयर गया था।