लोकसभा चुनाव 2024 पंजाब में 2019 से काफी अलग होने वाला है। इस बार मुकाबला दो नहीं बल्कि चार कोण वाला होगा क्योंकि बीजेपी अकेली लड़ रही है और आप भी मैदान में है।
1998 से 2009 के लोकसभा चुनावों के बीच, पंजाब में दो दलों के बीच मुख्य लड़ाई थी जहां कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल से मुकाबले में थी। 2009 के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा-शिअद का संयुक्त वोट शेयर 89% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। दो दलों के बीच की इस लड़ाई में AAP ने 2014 के लोकसभा चुनावों में एंट्री ली। जहां 2019 के लोकसभा चुनावों में आप की किस्मत डूब गई, वहीं 2022 के विधानसभा चुनावों में उसने भारी जीत हासिल की।
एक तरफ जहां बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल अलग हो गए हैं, वहीं कांग्रेस और आप दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन बनाने में कामयाब रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर पंजाब में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इसका मतलब है कि पंजाब में 2024 में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। 1996 के बाद यह पहली बार होगा कि एनडीए के सबसे पुराने घटकों में से एक बीजेपी और SAD राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।

कौन-कौन हैं इस बार पंजाब के चुनाव मैदान में?
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें 6 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। पार्टी ने चंडीगढ़ सीट से मनीष तिवारी, अमृतसर से गुरजीत सिंह औजला, फतेहगढ़ साहिब से अमर सिंह, भटिंडा से जीत मोहिंदर सिंह, संगरूर से सुखपाल सिंह और पटियाला से धर्मवीर गांधी को टिकट दी गई है। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को जालंधर सीट से उम्मीदवार घोषित किया है।
भाजपा ने 30 मार्च को पंजाब के लिएछह उम्मीदवारों की घोषणा की थी, जिसमें लुधियाना से कांग्रेस से आए रवनीत सिंह बिट्टू और पटियाला से परनीत कौर को मैदान में उतारा था। पार्टी ने आप से भाजपा में शामिल हुए सुशील कुमार रिंकू को भी जालंधर से मैदान में उतारा। इसके अलावा, भाजपा ने गुरदासपुर से दिनेश सिंह बब्बू, फरीदकोट से हंस राज हंस और अमृतसर सीट से तरणजीत सिंह संधू को मैदान में उतारा है।
SAD और AAP ने किसे दिया टिकट?
शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब की 7 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने वरिष्ठ पार्टी नेता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा को गुरदासपुर से मैदान में उतारने का फैसला किया है, जबकि प्रेम सिंह चंदूमाजरा आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ेंगे। पूर्व मंत्री अनिल जोशी को अमृतसर निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है जबकि पूर्व विधायक एन.के. शर्मा पटियाला से चुनाव लड़ेंगे। इकबाल सिंह झूंदा संगरूर निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार हैं। बिक्रमजीत सिंह खालसा फतेहगढ़ साहिब से और राजविंदर सिंह फरीदकोट निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।
AAP ने पंजाब में 8 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी। इनमें संगरूर से मंत्री गुरमीत मीत हेयर, पटियाला से मंत्री डॉ. बलबीर सिंह, खडूर साहिब से मंत्री लालजीत भुल्लर, अमृतसर से मंत्री कुलदीप धालीवाल, बठिंडा से मंत्री गुरमीत खुडि्डयां, फरीदकोट से कर्मजीत अनमोल और फतेहगढ़ साहिब से गुरप्रीत जीपी को टिकट दिया गया था। दूसरी लिस्ट में होशियारपुर रिजर्व सीट से राजकुमार चब्बेवाल और आनंदपुर साहिब से मालविंदर सिंह कंग को टिकट दिया गया। जालंधर, लुधियाना, गुरदासपुर और फिरोजपुर सीट से उम्मीदवारों का ऐलान बाकी है।
चुनाव में अलग-अलग लड़ने से बीजेपी और अकाली दल पर असर
भाजपा नेता सभी 13 सीटें जीतने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत से भी कम है। पंजाब के गांवों में जनाधार बढ़ाना और गैर सिख मतदाताओं को लुभाना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
अकाली दल के वोट शेयर में गिरावट
2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों और 2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों की तुलना से पता चलता है कि AAP और कांग्रेस ने SAD के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा दी है। 2019 के लोकसभा में अकाली दल का वोट शेयर 27.8 प्रतिशत था, जो 2022 के विधानसभा चुनाव में घटकर 18.38 प्रतिशत हो गया। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर स्थिर रहा। 2022 में यह 9.7 प्रतिशत था जब भाजपा और शिअद सहयोगी नहीं थे।
आप का बढ़ा वोट शेयर
मोटे तौर पर, पंजाब को तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है – मालवा, माझा और दोआबा। आठ निर्वाचन क्षेत्रों के साथ मालवा राज्य का सबसे बड़ा क्षेत्र है, इसके बाद क्रमशः तीन और दो संसदीय क्षेत्रों के साथ माझा और दोआबा हैं। मालवा, माझा और दोआब का विधानसभा क्षेत्र क्रमशः 69,25 और 23 है। 2022 के विधानसभा चुनावों में, AAP ने मालवा और माझा क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाया, इस क्षेत्र में 95.6% और 64% विधानसभा क्षेत्रों पर जीत हासिल की। दोआबा ही ऐसा क्षेत्र था जहां आप और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर थी। दोआबा में, AAP ने 43.3% सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने क्षेत्र में 39.1% सीटें जीतीं।
ये रुझान वोट शेयर में भी दिखाई देते हैं। मालवा और माझा क्षेत्र में आप को सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल हुआ। जबकि मालवा क्षेत्र में AAP के वोट शेयर में बढ़त कांग्रेस और SAD दोनों के वोट काटकर हुई, वहीं माझा में आप ने काफी हद तक कांग्रेस के वोट में सेंधमारी की। दूसरी ओर, कांग्रेस और शिअद दोनों ने दोआबा में बड़ा वोट शेयर खो दिया, हालांकि ये सभी वोट AAP को नहीं मिले। छोटी पार्टियों को भी दोआबा में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की हार से फायदा हुआ।
2024 में क्या बदल सकता है?
हालांकि, 2022 तक देखे गए रुझानों में दलबदल के कारण 2024 में और बदलाव आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, मालवा में 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस से आप और भाजपा दोनों में दलबदल देखा गया है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जो मालवा क्षेत्र से हैं, ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। अगर यह मान भी लिया जाये कि इससे मालवा में कांग्रेस को नुकसान होगा, फिर भी यह बताना मुश्किल है कि 2024 में इस दलबदल से भाजपा और AAP में से किसे अधिक फायदा हो सकता है।
इसके अलावा, दोआबा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी और राज कुमार ने भी कांग्रेस छोड़ दी है और वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इसलिए पंजाब का नया चुनावी नक्शा देखने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार करना होगा।
पंजाब लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
13 लोकसभा सीटें और 117 विधानसभा क्षेत्र वाले पंजाब में 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस 8 सीटें मिली थीं। अकाली-बीजेपी गंठबंधन को 4 और आप को सिर्फ 1 सीट हासिल हुई थी। 2014 में अपने पहले लोकसभा चुनाव में 25% वोट शेयर के साथ चार सीटें जीतने वाली AAP इस बार बुरी तरह फिसल गई थी। पार्टी को न केवल केवल एक सीट मिली बल्कि उसका वोट शेयर भी 7.36% पर गिर गया था। भगवंत मान को छोड़कर पार्टी के अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसके 13 उम्मीदवारों में से आठ को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए वोटों का 5% भी नहीं मिल सका था।
2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 सीटों पर तीन सियासी धड़े थे। कांग्रेस अकेले मैदान में उतरी, जबकि शिअद और भाजपा एक-साथ गठबंधन के रूप में चुनाव लड़े थे। कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं और 40.12% वोट हासिल किए थे। शिअद और भाजपा को मिले वोट का प्रतिशत 37.08% था लेकिन वे केवल 4 सीटें जीत सके। निजी रूप से, शिअद को 10 सीटों पर 27.76% वोट मिले और भाजपा को 3 सीटों पर 9.63% वोट मिले। पंजाब में तीसरे धड़े का नाम पंजाब डेमोक्रेटिक एलायंस था। इस अलायंस को कुल 11.09% वोट मिले लेकिन उन्हें कोई सीट नहीं मिली थी।
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