लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं की भूमिका क्या होगी? मतदाताओं में आधी आबादी महिलाओं की है। पिछले 15 सालों में हिंदी बेल्ट राज्यों में उनकी संख्या में वृद्धि चुनाव परिणामों पर गहरा असर डाल रही है। इन सबके बीच एक सवाल यह भी उठता है कि भारत की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब भी कम क्यों है? क्यों अब भी लगभग सभी पार्टियां महिलाओं को टिकट देने से कतराती हैं?
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत के पहले आम चुनावों में लगभग 2.8 मिलियन महिलाओं का नाम वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया गया था क्योंकि वह पुरुषों के साथ अपने संबंधों के आधार पर पहचानी जाना चाहती थीं। जैसे A की माता या B की पत्नी या C की बेटी। हालांकि, पिछले सालों में महिलाओं की वोटर और प्रत्याशी के रूप में चुनाव में हिस्सेदारी बढ़ी है पर यह प्रगति इतनी धीमी है कि भारत अब भी कई बड़े देशों से इस मामले में पीछे है। महिला वोटर्स की संख्या में तो इजाफा हुआ है पर कैंडीडेट और सांसदों के तौर पर उनकी संख्या अभी भी बहुत कम है।
आंकड़ों की अगर बात करें त 1962 के चुनाव में भारत में 42% महिला वोटर्स थीं वहीं 2019 में यह संख्या 48.2% थी। वहीं, 1962 में 3.2% महिला उम्मीदवार थीं जिनकी संख्या 2019 के चुनाव में बढ़कर 9% हो गयी। अगर सांसदों की बात की जाये तो 1962 में 6.3% महिला सांसद थीं वहीं 2019 में यह संख्या 14.4% थी।
पार्टियां और महिलाओं को टिकट
1996 से 2019 तक पिछले 7 लोकसभा चुनावों की बात की जाये तो किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने 10% से ज्यादा महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया। कांग्रेस ने जहां 10 में से 1 महिला को टिकट दिया, वहीं बीजेपी ने 20 में से 1 महिला को टिकट दिया। पांच बड़ी पार्टियों ने कुल मिलाकर 8.5% महिलाओं को टिकट दिया।
पार्टी | 1996 में महिलाओं को टिकट (%) | 2019 में महिलाओं को टिकट (%) |
बीजेपी | 5.7 | 12.6 |
कांग्रेस | 9.3 | 12.8 |
सीपीआई | 7.0 | 8.2 |
सीपीएम | 6.7 | 14.5 |
बीएसपी | 0 | 6.3 |
हिंदी भाषी राज्यों में महिला वोटर्स
राज्य | चुनावी वर्ष 2009 में महिला मतदाताओं का प्रतिशत | चुनावी वर्ष 2019 में महिला मतदाताओं का प्रतिशत |
मध्य प्रदेश | 40.3 | 46.2 |
जम्मू-कश्मीर | 40.9 | 46.3 |
झारखंड | 44.2 | 48.6 |
बिहार | 44.5 | 48.9 |
उत्तर प्रदेश | 42.0 | 46.2 |
राजस्थान | 43.7 | 47.2 |
उत्तराखंड | 45.9 | 49.2 |
चंडीगढ़ | 44.0 | 47.2 |
18 राज्यों में कभी नहीं रहीं महिला सीएम
देश की 31 विधानसभाओं में से केवल 13 में महिला मुख्यमंत्री रही हैं। वहीं, 18 राज्यों में आजतक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं रही है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तमिल नाडु में दो बार महिला मुख्यमंत्री रही हैं।
तमाम राजनीतिक दल महिलाओं को कई स्पेशल स्कीम से लुभाने की कोशिश करते हैं। जैसे फ्री बस राइड, डायरेक्ट मनी ट्रांसफर आदि पर ज़्यादातर पार्टियां उन्हें टिकट देने के मामले में कंजूसी करती हैं। छतीसगढ़ और त्रिपुरा को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में महिला सांसदों की संख्या बहुत कम है।
चुनावी वर्ष | सदन में महिलाएं | सदन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व (प्रतिशत) |
2019 | 78 | 14 |
2014 | 66 | 12 |
2009 | 59 | 11 |
2004 | 45 | 8 |
1951 | 22 | 5 |
दुनियाभर की बात की जाये तो हाई ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स रैंकिंग वाले देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी ज्यादा है। न्यूजीलैंड में 50% से ज्यादा महिला सांसद हैं। स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, यूके और इटली की लोक सभा में भी 30% से ज्यादा महिला सांसद हैं। भारत इस मामले में पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे है। नेपाल में 33.1%, बांग्लादेश में 20.9% और पाकिस्तान में 20.5% महिला सांसद हैं।
राजनीति में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व की वकालत के लिए ‘पॉलिटिकल शक्ति’ चलाने वाली तारा कृष्णास्वामी कहती हैं, “महिला वोटरों की संख्या बढ़ी है क्योंकि उनकी आबादी और शिक्षा भी बढ़ी है। राजनीतिक दलों ने भी जागरूकता फैलाने में योगदान दिया है। यह उनके भी हित में था की वो महिलाओं को जागरुक करें और मतदान के लिए प्रोत्साहित करें ताकि उनका वोट प्रतिशत बढ़ सके।”
NETRI फाउंडेशन की संस्थापक कनाक्षी अग्रवाल का कहना है कि महिलाओं की तरफ फोकस इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि पुरुष कई बार काम की तलाश में बाहर चले जाते हैं और ऐसे में वो मतदान के लिए अपने क्षेत्र में नहीं आते हैं।” चुनाव आयोग ने भी इस दिशा में काम किया और महिलाओं के लिए बूथ तक पहुंचना और वोट डालना आसान बनाया। बूथों पर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्ग महिलाओं के लिए भी अलग इंतजाम किए जाते हैं।
लोकसभा चुनाव में जीतने वाली महिला उम्मीदवार
2019 के आम चुनावों की बात करें तो इस चुनाव में 465 पुरुष उम्मीदवार और 78 महिला उम्मीदवार थे। इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में 480 पुरुष और 63 महिला कैंडीडेट थे। वहीं, लोकसभा चुनाव 2009 में 485 मेल और 58 फीमेल कैंडीडेट थे। वर्तमान लोकसभा में कुल 542 सदस्य हैं, वहीं वर्तमान राज्यसभा में कुल 224 सदस्य हैं जिनमें से 24 महिलाएं हैं। वर्तमान में देश के निचले सदन में 77 महिला सांसद हैं।